• कुलगाम में शहीद दीपक कुमार के गांव जुड्डी पहुंचकर सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने दी श्रद्धांजलि• उम्मीद है इस बार की बातचीत नतीजे तक पहुंचेगी, अगली तारीख नहीं होगी• पहले हुई वार्ताओं की तरह अड़ियल रवैया न अपनाये सरकार• सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर आदि धरनास्थलों पर बिजली-पानी की व्यवस्था बाधित करना सरकार की नैतिक हार• किसानों के बाद अब पत्रकारों का भी उत्पीड़न शुरु कर दिया है सरकार ने• नागरिक व प्रेस स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिशों को देश स्वीकार नही करेगा• किसान आंदोलन की आड़ में हुए इंटरनेट बैन को तुरंत खत्म करे सरकार रेवाड़ी, 31 जनवरी। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज शहीद दीपक कुमार के पैतृक गांव जुड्ड़ी पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवारजनों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया। शहीद दीपक कुमार ने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कोसली हलके के गांव गुडियानी पहुंचकर पूर्व मंत्री विक्रम यादव के पिता के निधन पर भी शोक प्रकट किया। उन्होंने बताया कि सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर आदि धरनास्थलों पर बिजली-पानी की व्यवस्था को बाधित करने की ख़बरें आ रही हैं। आंदोलनरत किसानों की बिजली-पानी बाधित करना सरकार की नैतिक हार है। सरकार के इशारे पर अफसरों द्वारा इसे अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने चेताया कि प्रजातंत्र में कोई भी सरकार स्थायी नहीं रहती और जो कोई अफसर किसानों की बिजली-पानी बाधित करने में शामिल होंगे उनको समझ लेना चाहिए कि वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार और किसानों के बीच 2 फरवरी को बातचीत शुरु होने की खबर आयी है। इस बातचीत की सफलता के लिये जरुरी है कि सरकार अपना अड़ियल रवैया छोड़े और किसानों की मांगें माने। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे पहले हुई 12 दौर की बातचीत की तरह इस बार की बातचीत निष्फल नहीं होगी। सरकार इस बार वार्ता को अंजाम तक पहुंचायेगी और हर बार की तरह अगली तारीख नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सरकार यदि राजहठ और जिद करके बातचीत के दरवाजे खोलेगी तो उसके कोई मायने नहीं हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वो सिर्फ बातचीत के द्वार ही न खोले बल्कि खुले दिमाग से वार्ता भी करे। दीपेंद्र हुड्डा ने देश भर में पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज करने और उत्पीड़न की कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों के बाद अब पत्रकारों का भी उत्पीड़न शुरु कर दिया है। जिस प्रकार रोहतक के पत्रकार मनदीप पुनिया को पुलिस ने गिरफ्तार किया है उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर नागरिक व प्रेस स्वतंत्रता को कुचलने की कोई भी कोशिश की जाती है तो ऐसे प्रयासों को देश स्वीकार नही करेगा। उन्होंने मांग करी कि पत्रकारों पर दर्ज मुकदमें वापस लिये जाएं और मनदीप पुनिया को रिहा किया जाए। उन्होंने किसान आंदोलन की आड़ में जगह-जगह इंटरनेट बैन किये जाने को आपत्तिजनक बताया और कहा कि कोरोना की वजह से बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं घर से ही चल रही हैं। इंटरनेट बैन होने से बच्चों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। उन्होंने सरकार से इंटरनेट बैन तत्काल खत्म करने की मांग की। Post navigation किसान आंदोलन के संदर्भ में सरकार वही दिखाना व बताना चाहती है जो सरकार के हित में हो : विद्रोही अभय चौटाला के इस्तीफे से मजबूत हुआ किसान आन्दोलन : रजवन्त डहीनवाल