25 जनवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने 72वें गणतंत्र दिवस पर प्रदेंश के नागरिकों को हार्दिक बधाई देते हुए उनसे आग्रह किया कि वर्तमान मोदी-भाजपा सरकार व हरियाणा भाजपा सरकार द्वारा संविधान के साथ किये जा रहे खिलवाड़ के खिलाफ लडने की शपथ ले। विद्रोही ने कहा कि लोकतंत्र किसी व्यक्ति, पार्टी या विचारधारा विशेष से नही चलता है अपितु लोकतंत्र में संविधान सर्वोच्च होता है। लेकिन विगत छ सालों से भाजपा-संघ सुनियोजित ढंग से संविधान, संवैद्यानिक संस्थाओं व लोकतंत्र पर चोट करके देश-प्रदेश को फासीजम की ओर धकेल रहे है। सत्ता दुरूपयोग से सुनियोजित ढंग से साम्प्रदायिकता फैलाकर लोगों को बाटकर नफरत फैलाकर समाज को तोडा व कमजोर किया जा रहा है।              

 विद्रोही ने कहा कि विगत छ साल में जिस तरह मोदी सरकार ने राज्यपाल पद के दुरूपयोग करके, ईडी, आईटी, सीबीआई से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को डराकर जनादेश के विपरित दलबदल, खरीद-फरोख्त से विभिन्न राज्यों में भाजपा की सरकारे बनाई है, वैसा भारत के 70 साल के गणतंत्र के इतिहास में कभी नही हुआ। सवाल उठता है कि जब मतदाता के जनादेश के अनुरूप सरकारे नही बनेगी तो लोकतंत्र है कहां? देश में पहली बार धर्म के आधार पर नागरिकता देने का कानून में संशोधन करके मोदी-भाजपा-संघ सरकार संविधान के मूल ढांचे पर चोट करके देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को तार-तार किया है। विद्रोही ने कहा कि सरकार के तुगलकी फैसलों, नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था गंभीर हालत में है। बेरोजगारी चरम पर है, किसान की आर्थिक हालत बद से बदतर हो रही है। चंद पूंजीपतियों की तिजौरियां भर रही है, वहीं गरीब की जेब पर सुनियोजित ढंग से डाका डाला जा रहा है। गणतंत्र दिवस पर विद्रोही ने आमजनों से अपील की कि वे देश, संविधान, लोकतंत्र को बचाने का संकल्प लेकर संघी फासीजम का कडाई से विरोध करे। 

  विद्रोही ने कहा कि जिस तरह मोदी सरकार ने पहले संसद के अंदर सत्ता दुरूपयोग से सभी संवैद्यानिक परम्पराओं को तांक पर रखकर राज्यसभा में तीन काले कृषि कानूनों को जबरदस्ती पारित करवाया और जब इसका किसानों ने भारी विरोध किया तो तब भी सरकार चंद पूंजपतियों की तिजौरी भरने के लिए इन काले कानूनों को रद्द करने को तैयार नही है। लगभग दो माह से अन्नदाता किसान दिल्ली की सीमाओं पर भयंकर सर्दी में डटा हुआ है, तब भी सरकार किसानों से वार्ता का ढोंग करके उन्हे छलने, थकाने और आंदोलन को कमजोर करने का कुप्रयास तो रही है, पर इन काले कानूनों को रद्द करने की बजाय बनाये रखने पर अड़ी है जो बताता है कि मोदी राज में लोकराज की लोकलाज बिल्कुल खत्म हो चुकी है और सरकार फासीजम की तरफ देश को धकेल रही है जिस पर 72वें गणतंत्र दिवस पर देश की जनता को गंभीरता से विचार करना चाहिए।