हरियाणा सरकार में हलचल है और विधायकों को संभालने की कोशिशें जारी हैं

कमलेश भारतीय

पूर्व व युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बड़े पैमाने पर होने वाले दलबदल को देखते हुए राजनीति की गंगा को मैली होने से बचाने के लिए दलबदल विरोधी कानून बनवाया था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से दलबदल का जो स्वरूप सामने आया उससे लगा कि यह कानून कारगर नहीं रहा । इस कानून का कोई फायदा राजनीति को नहीं हुआ बल्कि राजनीति की गंगा गटर गंगा में बदलती जा रही है । राजनीति का समाजसेवा या लोक कल्याण से कोई वास्ता नहीं रह गया । राजनीति बस आत्मप्रचार और आत्मकल्याण का सुलभ साधन बन कर रह गयी है ।

यदि एक शोध के आधार पर देखें तो हैरानी होती है कि कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली भाजपा में पिछले चार सालों में 168 विधायकों /सांसदों ने दल बदल किया और ज्यादातर भाजपा में शामिल हो गये । इनमें भी 57 प्रतिशत कांग्रेस के नेता हैं तो कौन सा कांग्रेस मुक्त भारत बनाये जाने का दावा किया जा रहा है?

अभी पश्चिमी बंगाल के चुनाव होने वाले हैं और यह दल बदल वहां बड़े पैमाने पर पांव पसार चुका है । चुनाव किसी भी राज्य में हो पहली और आखिरी झांकी दलबदल की ही निकलती है । वैसे लोकतंत्र की यह शर्मनाक झांकी होती है । संविधान और राजनीतिक दलबदल कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए यह झांकी निकाली जाती है ।

आखिर यह दलबदल कानून किस काम का ? न दलबदल रुका और न ही नेताओं का बिकना बल्कि दाम और बढ़ते चले गये । बल्कि हर राज्य एक मंडी बन कर रह गया । कभी हरियाणा के चौ भजन लाल ने पूरे मंत्रिमंडल का दल बदल करवाया था और देश दम साथ कर देखता रह गया था । असम , मणिपुर, गोवा , मध्यप्रदेश की सरकारें दलबदल के अनुपम व स्वर्णिम उदाहरण हैं । चौ भजन लाल ने जो राह दिखाई उसे सभी दलों ने खुले दिल व ध्वनिमत से पारित कर अपना लिया । यों ही नहीं कहते कि हरियाणा का जुगाड़ देश दुनिया में सीखने वाली बात है । धन्य हो हरियाणा । मात्र दो सिपाहियों के राजीव गांधी के आवास के बाहर रहने से सरकार गिरने का काम शुरू हो गया था ।

आजकल फिर हरियाणा सरकार में हलचल है और विधायकों को संभालने की कोशिशें जारी हैं । एक एक विधायक को संतुष्ट किया जा रहा है । अमित शाह जी मिनट मिनट पर गवर्नमेंट पर नज़र रखे हुए हैं । कहते हैं न कि गवर्नमेंट उसे कहते हैं जो मिनट मिनट पर गौर करे । यदि दूसरे दल की सरकार होती तो कब की परमगति को प्राप्त हो चुकी होती लेकिन यह भाजपा की सरकार है और इसे अंतिम समय तक वेंटिलेटर पर रखा जायेगा जब तक कि राजनीतिक विश्लेषक कोरा जवाब नहीं दे देंगे । रब्ब खैर करे । वैसे कोरोना बड़ी नाममुराद बीमारी है लेकिन लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी बीमारी यह दलबदल है । कोरोना का वैक्सीन तो प्रधानमंत्री मोदी लेकर बड़े खुश हो रहे हैं लेकिन जो लोकतंत्र को दलबदल का रोग लगा है उसका वोक्सीन कब लायेंगे ?

बडी बात इस शोध से यही निकलती है कि भाजपा एक ऐसा दल है जो हर गटर गंगा से विधायक तोड़ने/लाने को तैयार है और इन्हें गंगाजल में स्नान करवा कर पवित्र बनाने का मंत्र जानता है । दूसरे दलों के पास धन नहीं रहा और न कोई बड़ा उद्योगपति जो सरकार गिराने लायक विधायक खरीदने का सारा खर्च उठा सके । राजनीति धन बल और बाहुबल से ज्यादा चलने लगी है और जनसेवा व कल्याण की भावना से कोसों दूर जा चुकी है । हम तो बस इतना ही कहेंगे
आ अब लौट चलें ,,,,

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