उमेश जोशी

बातचीत के बारह दौर हो गए। अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार और किसानों के बीच आज भी गतिरोध बरकरार है। किसान आंदोलन को आज 59 दिन हो गए। बातचीत जिस तरह विफल हो रही हैं उससे अनिश्चितता का माहौल गहराता जा रहा है। किसान जिस तरह अपनी मांग पर अडिग हैं और केंद्र सरकार जिस तरह अड़ियल रुख दिखा रही है, उससे तो यही संकेत मिल रहे हैं कि यह आंदोलन कई वर्ष भी चल सकता है। अभी कोई भी आंदोलन की अवधि को लेकर भविष्यवाणी नहीं कर सकता।

 शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे आंदोलन में विघ्न बाधाएँ खड़ी करने और आंदोलन को उग्र करने की कई बार कई तरीके से कोशिश की गई लेकिन किसानों की सूझबूझ से सभी हथकंडे नाकाम कर दिए गए। यह देश के इतिहास में पहला आंदोलन है जिसमें सूझबूझ और संयम का बेजोड़ तालमेल देखने को मिला है। दुनिया के इतिहास में भी यह आंदोलन मिसाल के तौर पर याद किया जाएगा। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि लाखों किसानों का आंदोलन इतना शांतिपूर्ण भी हो सकता है।

 सरकार ने आंदोलन कमज़ोर करने के लिए दो दिन पहले एक बड़ा पासा भी फेंका था। सरकार ने कहा कि तीनों कानून दो साल के लिए स्थगित कर देंगे। लेकिन किसानों को कानून रद्द करने के अलावा कोई विकल्प मंजूर नहीं है। अच्छी बात यह है कि किसान संगठनों के सभी नेता एकराय हैं; कहीं कोई भ्रम या ऊहापोह की स्थित नहीं है। अक्सर देखा है कि ऐसे आंदालनों को कमज़ोर करने या तोड़ने के लिए सरकार कुछ नेताओं को मोटा लालच  देकर अपने पाले में कर लेती है और वही नेता सरकार का एजेंडा लागू कर आंदोलन में सेंध लगा देते है। नतीजतन, आंदोलन बिखर जाता है। इस बार सभी किसान संगठनों के नेता चट्टान की तरह अडिग खड़े हैं। 

किसान आंदोलन की सबसे अहम बात यह है कि समझौता वार्ताएँ जैसे जैसे विफल हो रही हैं, वैसे वैसे आंदोलन अधिक मजबूत हो रहा है; किसानों का मनोबल फौलादी होता जा रहा है। किसान गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में उपस्थित दर्ज करवाने का भी एलान कर चुके हैं। सरकार भरसक प्रयास करेगी कि किसान आंदोलन की तपिश राजधानी की सडकों पर ना पहुंचने पाए। उधर, किसान भी अपने ट्रक्टरों पर सवार होकर दिल्ली पहुंचने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। उनके हौसले बुलंद हैं। 

 कड़कड़ाती सर्दी में आन्दोलन की खासी गरमाहट महसूस हो रही है। माहौल में अनिष्ट की आशंका से तैरती दिखाई दे रही है। किसान दिल्ली पहुँचने के इरादे पर अटल हैं जबकि सरकार रोकने के हर संभव प्रयास करेगी। उन प्रयासों में क्या अच्छा होगा, क्या बुरा होगा, कोई नहीं जानता। कल ही एक व्यक्ति को किसानों ने पकड़ा है। उसकी स्वीकारोक्ति रोंगटे खड़े कर देने वाली है। किसी को अंदाजा ही नहीं है कि किसानों के दिल्ली पहुंचने के मिशन को नाकाम करने के लिए कितने घिनौने षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। सभी गांधीवादी ईश्वर, अल्लाह, वाहे गुरु से प्रार्थनाएं कर रहे हैं कि गणतंत्र दिवस शांति से निपट जाए। 

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