हेलीमंडी नगरपालिका सचिव ने नहीं दिया कोई जवाब.
किस ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने सील लगाई और तोड़ी.
हेलीमंडी पालिका प्रशासन के द्वारा  नोटिस चस्पा किया   
 

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   मौजूदा समय में कोरोना महामारी को देखते हुए घोषित राष्ट्रीय आपदा काल समय को केंद्र सरकार के द्वारा अभी समाप्त नहीं किया गया है । इसी बीच में कथित विवाद को लेकर हेलीमंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा एक धर्मशाला पर सील लगा दी गई । लाख टके का सवाल यह है की हेलीमंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा जो नोटिस चस्पा किया गया है, उस नोटिस पर संबंधित धर्मशाला का नाम क्यों नहीं लिखा गया ? यह जानबूझकर के किया गया या अनजाने में गलती हुई है । यह भी अपने आप में सवाल बन गया है ।

जिस भी धर्मशाला के बाहर यह नोटिस चस्पा किया गया है , धर्मशाला का नाम बेशक अलग हो । लेकिन इस नोटिस पर सील लगाई गई धर्मशाला का नाम नहीं लिखा गया , आखिर ऐसा क्यों ? इसका जवाब तो देना ही चाहिए । इस विषय में हेलीमंडी नगर पालिका सचिव राजेश मेहता को फोन भी किया गया और उन को व्हाट्सएप पर मैसेज भी डाले गए कि जिस भी धर्मशाला पर सील लगाई गई, सील लगाए जाने के समय कौन अधिकारी ड्यूटी मजिस्ट्रेट मौजूद था।  सील लगाने से पहले धर्मशाला के अंदर की स्थिति का जायजा लिया गया ? वहां क्या समान था और क्या नहीं था , क्या उसकी लिस्ट बनाई गई ।

इस घटनाक्रम के दो दिन बाद 18 जनवरी सोमवार को पहले से लगाई गई सील को कथित रूप से हेलीमंडी पालिका प्रशासन के द्वारा फिर से तोड़ दिया गया । अब फिर वही सवाल आता है कि पहले जो सील 16 को लगाई गई, उस समय कौन ड्यूटी मजिस्ट्रेट था और जो सोमवार को सील तोड़ी गई उस समय कौन ड्यूटी मजिस्ट्रेट मौजूद था ? तथा सील किस सक्षम वरिष्ठ अधिकारी के लिखित आदेश पर तोड़ी गई ? सोमवार को ही धर्मशाला के गेट पर लगाई गई सील को तोड़ने के बाद फिर से सील किया गया और जब सील किया गया तो उसमें क्या संबंधित ड्यूटी मजिस्ट्रेट मौजूद थे ? मौजूद थे तो सील लगाने की जो पूरी  कथित कानूनी प्रक्रिया है , क्या उसका पूरी ईमानदारी से पालन किया गया । अर्थात सील लगाने के बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर , गवाहों के हस्ताक्षर कि हम लोगों की मौजूदगी में सील खोली गई और हम लोगों की मौजूदगी में सील लगाई गई । इस पूरे कथित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया यह ।

सब जानकारी हेलीमंडी पालिका सचिव राजेश मेहता से व्हाट्सएप मैसेज भेज कर मांगी गई। लेकिन समाचार लिखे जाने तक हेलीमंडी पालिका प्रशासन और हेलीमंडी पालिका सचिव की तरफ से कोई भी जवाब नहीं दिया जा सका । यहां हेलीमंडी पालिका सचिव से यह भी जानकारी मांगी गई थी जिस भी धर्मशाला को सील लगाई गई , आज कड़कड़ाती और हाड जमा देने वाली सर्दी में धर्मशाला में रह रहे अथवा ठहरने वाले लोगों को क्या लिखित में सूचना दी गई कि उनको यह धर्मशाला अब खाली करनी होगी ? इसके साथ ही कितने यात्री धर्मशाला को सील करते समय मौजूद थे , क्या उनका पूरा नाम पता ठिकाना मोबाइल नंबर पालिका प्रशासन के द्वारा दर्ज किया गया । इसका जवाब भी पालिका सचिव के द्वारा नहीं दिया जा सका है ।

धर्मशाला के सील किए सील किए जाने का दूसरा पहलू यह है कि हेलीमंडी पालिका प्रशासन के ही अपने रैन बसेरे हैं । सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक प्रवासी मजदूरों ,राहगीरों, और गरीब वर्ग के लोगों के लिए रहने और खाने पीने की व्यवस्था संबंधित इलाके के स्थानीय प्रशासन के जिम्मे ही है । क्या ऐसे में संबंधित धर्मशाला को सील किया जाने के बाद यहां  ठहरने वाले लोगों अथवा यात्रियों को हेलीमंडी पालिका प्रशासन के द्वारा अपने बनाए गए रैन बसेरे में ठहरने-रुकने और खाने की व्यवस्था अथवा सुविधा दी गई है । इस बात का भी हेलीमंडी पालिका सचिव कोई जवाब नहीं दे सके हैं । इसके बाद भी  पालिका सचिव अपना कोई भी पक्ष अथवा बात कहना चाहेंगे तो उनके पक्ष को भी हम सहर्ष प्रकाशित करने के लिए तैयार हैं । लेकिन हैरानी की बात यह है कि व्हाट्सएप मैसेज भेज को पढ़ने के बाद भी कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा गया है ।

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