न तो फेस मास्क-कवर और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग.
अध्यापकों का यह हाल तो छात्रों का कौन रखे ख्याल

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   विश्वव्यापी महामारी कोरोना कोविड-19 पर विजय पाने के लिए देश में एक नहीं दो -दो वैक्सिंन आने के साथ ही इनकी डोज देने का कार्य भी आरंभ हो चुका है । लेकिन इसी बीच स्वास्थ्य मंत्रालय और पीएम मोदी के द्वारा बार-बार आह्वान किया जा रहा है कि अब दवाई भी और कड़़ाई भी । लेकिन इन सब बातों सहित कोरोना के बचाव के आह्वान का एक प्रकार से मखोल उड़ता देखा गया ।

क्या किसी अपग्रेड हुए स्कूल में कोरोना का आना कोरोना की वैक्सीन लॉन्च होने के साथ ही बैन हो गया है ? यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है । शिक्षा विभाग और राज्य सरकार कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए वैसे ही फूंक-फंूक कर के कदम रख रहे है और सभी स्कूलों में सशर्त छात्र छात्राओं को आगमन की अनुमति दी जा रही है ।

मामला हेलीमंडी में अपग्रेड हुए सरकारी स्कूल का है । यहां पर सोमवार को एक अलग ही नजारा देखने को मिला । गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल जाटोली न्यू अपग्रेडेड में अध्यापक वर्ग के चेहरे पर अधिकांश के न तो फेस मास्क थे न हीं फेस कवर और सोशल डिस्टेंसिंग की तो बात ही अलग है । ऐसे में सवाल यही है कि जब अध्यापक वर्ग का यह हाल है तो ऐसे में छात्र छात्राओं को कौन ध्यान रखेगा।  स्कूल अपग्रेड होने की खुशी में कोरोना कोविड-19 से बचाव की तमाम गाइडलाइन भी तार-तार होती दिखाई दी । जबकि खासतौर से सभी स्कूलों के लिए यह निर्देश जारी किए गए हैं कि स्कूलों में आने वाले छात्र वर्ग के बीच में सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए पालन करवाया जाए । लेकिन कोरोना से बचाव की इस गाइडलाइन का पालन करवाएं कौन ? जब पालन करवाने वाले ही पालन करने से परहेज करते दिखाई दे रहे हो।

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