महिलाओं ने थामी धरने की कमान, कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेंगी लड़ाई चरखी दादरी जयवीर फोगाट संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज कितलाना टोल के अनिश्चित कालीन धरने पर महिला किसान दिवस मनाया गया। धरने की कमान आज पूरी तरह से महिलाओं के हाथ मे रही। महिलाओं में से ही अध्यक्ष मंडल का चयन किया गया और मंच संचालन के साथ वक्ता भी महिलाएं ही रही। धरना स्थल पर बड़ी संख्या में उमड़ी महिलाओं ने दर्शा दिया कि वो आज किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं हैं। महिला वक्ताओं ने कहा कि महिलाएं हमारे देश की कृषि व्यवस्था की रीढ़ हैं। दुनिया का पहला किसान महिला को ही माना जाता है। उनके बिना खेती बाड़ी की कल्पना करना भी मुश्किल है। घर में चूल्हे चौके से लेकर पशुधन को पालने से लेकर फसल की कटाई, निराई, गुड़ाई, धुलाई और चुगाई में महिलाओं की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि खेती का कार्य 75 प्रतिशत महिलाएं ही संभालती हैं। उसके बावजूद वह केवल 12 प्रतिशत कृषि भूमि की मालिक हैं। आज भी उन्हें किसान होने की नैतिक मान्यता नहीं मिली है। यहां तक की किसानों को मिलने वाली ₹6000 वार्षिक राशि से भी वह वंचित रह जाती हैं। किसानों को मिलने वाली अन्य सहूलियतों को भी वह हासिल नहीं कर पाती। महिला वक्ताओं ने कहा कि समाज में जैसे तैसे करके उन्होंने एक मुकाम हासिल कर लिया है। लेकिन केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लाकर उन्हें तोड़कर रख दिया है। असीमित भंडारण से बढ़ती महंगाई उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी। रसोई का बजट बिगड़ने से बच्चे पालना उनके लिए दुभर हो जाएगा। यही वजह है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ वे किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ रही हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि कल होने वाली बातचीत में सरकार किसानों की मांगें पूरी करे वर्ना 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाली किसान परेड में महिलाएं भी बढ़चढ़कर कर भाग लेंगी। कितलाना टोल पर धरने के 25वें दिन कृष्णा छपार, निर्मला पांडवान, बीरमति डोहकी, शीला बलियाली, रिसालो भिवानी, रतन्नी देवी ने संयुक्त अध्यक्षता की। मंच संचालन कमलेश भैरवी ने किया। उन्होंने कहा कि वे समाज में बराबर की अधिकारी हैं और अब शोषण सहन नहीं करेंगी। इस मौके पर दीपा रोहतक ने किसानों पर एक लघु नाटिका प्रस्तूत की। महिलाओं ने इस बीच सरकार के खिलाफ पूरे जोश से नारेबाजी की। आज भी टोल फ्री रहा। खास बात यह रही कि पुरुषों भी बड़ी संख्या में धरने पर हाजिर थे पर उन्हें धरनास्थल के आखिर में बैठना पड़ा और दूर से मंच की कार्यवाही देखनी पड़ी। इस मौके पर मुकेश पहाड़ी, भतेरी, शांति देवी, सरती देवी, मुन्नी, फुलपति, परमेश्वरी, ओमपति, इंद्र, सब्जो, ओमली, राजवंती, ज्ञाना, सजनो, दुर्गा, सावित्री, सरोज, कृष्णा, संतोष देशवाल, ज्योति, प्राची, राजेश, राजबाला, प्रवीण, सीमा कितलाना, संतरा, विराज, सुरेखा, कमला, सुनीता, सुखमा इत्यादि मौजूद थी। Post navigation सिरसा नई-दिल्ली एक्सप्रेस गाड़ी का रूट बदलने पर देनिक रेल यात्री जनकल्याण संघ जताया रोष, स्टेशन मास्टर को सौपा ज्ञापन महिलाओं ने संभाला आंदोलन का मोर्चा, खरकड़ी माखवान में धरना स्थल पर पहुंची महिलाएं