पहाड़ी फ्लाईओवर…ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज

हादसे के बाद खुली आंख फ्लाईओवर के दोनों तरफ अवरोधक.
मृतक के भाई की शिकायत पर पुलिस ने किया मुकदमा दर्ज

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   पटौदी और रेवाड़ी के बीच में पहाड़ी गांव में रेलवे फाटक 48 पर 14 करोड़ की लागत से बने फ्लाईओवर पर हुए हादसे के बाद मृतक के भाई की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है । गौरतलब है कि एक दिन पहले ही शनिवार को मौत के इस फ्लाईओवर से एक कार 50 फुट नीचे आ गिरी और कार चालक दिनेश कुमार की दर्दनाक मौत हो गई ।

वैसे तो इस फ्लाईओवर पर कई प्रकार की खामियों के चलते निर्माण के दौरान भी हादसों में कई लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन आनन-फानन में किए गए उद्घाटन के बाद भी इस फ्लाईओवर पर आज भी खामियों की कोई कमी नहीं है। 6 सितंबर 2019 को पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री राव नरबीर सिंह के हाथों आनन-फानन में किए गए उद्घाटन के बाद 7 मार्च 2020 को 14 करोड रुपए की लागत वाला यह फ्लाईओवर बीचो बीच में से भरभरा कर नीचे बैठ गया। उस वक्त भी दिल्ली आईआईटी के विशेषज्ञों के दौरे के बाद मुकदमा तो दर्ज हुआ, लेकिन इस फ्लाईओवर को बनाने वाली गुरु नानक इंजीनियरिंग सर्विस कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ ही किया गया । जबकि जवाबदेही और जिम्मेदारी प्लाई और को उद्घाटन के लिए मंजूरी और एनओसी देने वाले अधिकारियों की भी बनती है ।

बहरहाल पटौदी पुलिस  ने फ्लाईओवर हादसे में मृतक दिनेश कुमार के भाई की शिकायत पर ठेकेदार के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है। यहां लाख टके का सवाल यह है कि, क्या मुकदमा दर्ज होने के बाद इस मामले में किसी की गिरफ्तारी भी हो सकेगी ? इधर पहाड़ी फ्लाईओवर पर इस प्रकार का भयंकर हादसा होने के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों की आंखों पर पड़ी धूल हट गई और फ्लाईओवर के दोनों तरफ ईटों की दीवार तथा काले रंग के डरम के अवरोधक बनाकर सफेदी भी कर दी गई है । जिससे कि रात में अंधेरे के साथ-साथ गहरी धुंध में भी सफेद दीवार के अवरोधक वाहन चालकों को दूर से ही दिखाई दे जाए । इसी पूरे मामले में सफाई देते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग के कनिष्ठ अभियंता परमजीत का कहना है कि फ्लाईओवर के चढ़ाई के आरंभ होने वाले स्थान पर ही ड्रम इत्यादि रखकर अवरोधक बनाए गए थे , संभवत इन्हें किसी ने हटा दिया होगा। जिसके कारण वाहन चालक को पता नहीं लग सका कि फ्लाईओवर पर काम चल रहा है ।

मेजबान गांव के सरपंच प्रदीप कुमार, पूर्व सरपंच नरेंद्र पहाड़ी, विजय कुमार, गजराज, हवलदार राजेंद्र, रामपाल सहित अन्य का कहना है कि जैसे-तैसे तो कई वर्षों तक मांग किया जाने के बाद यह फ्लाईओवर बनाया गया और बनाया भी तो ऐसा बनाया कि उद्घाटन के 6 माह बाद ही 14 करोड़ का यह फ्लाईओवर अपना बोझ खुद ही सहन नहीं कर सका। मार्च 2020 के बाद से ग्रामीण एक ही मांग करते आ रहे हैं कि इस पूरे फ्लाईओवर को नए सिरे से बनाया जाए । लेकिन सरकार और विभाग ग्रामीणों की इस मांग को नजरअंदाज किए हुए हैं । ग्रामीणों ने पुनः दोहराया है कि बेशक से इस पूरी तरह से नकारा और जानलेवा फ्लाईओवर को जुगाड़ की मुरम्मत से सही कर दिया जाए , लेकिन इस बात की कौन गारंटी लेगा की यह फ्लाईओवर पूरी तरह से आवागमन के लिए सुरक्षित ही है ? वहीं दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गुरुग्राम-पटौदी और रेवाड़ी फोरलेन नेशनल हाईवे घोषित किया जा चुका है और इसका निर्माण कार्य कभी भी आरंभ हो सकता है । ऐसे में पहाड़ी का फ्लाईओवर एक बार फिर से समस्या और चुनौती बन सकता है , इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

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