संयुक्त मोर्चा के आहवान पर 26 जनवरी दिल्ली में मनाएगें.
गुजरात व महाराष्ट्र से अलग अलग जत्थे पहुंचे खेड़ा बार्डर.
कड़कड़ाती ठंड में खेडाबोर्डर पर बढ रही किारनों की संख्या

फतह सिंह उजाला

गुरूग्राम/पटौदी। दिल्ली के चैतरफा बोर्डरो ंके साथ-साथ हजारों की संख्या में शाहजापुर खेडा बोर्डर पर दिल्ली कूच करने से पूर्व राजस्थान, आंध्रप्रदेश, हरियाणा के किसानों ने डेरा डला हुआ है । वहीं शुक्रवार को पीएम मोदी केगृह क्षेत्र गुजरात से पंहुचे युवा किसानो ने गरबा पेश करके गुजरात की झलक दिखाते हुए भारत के प्रधानमंत्री व गुजरात के पूर्व मुख्य मंत्री नरेंद्र भाई मोदी पर खूब व्यंगय कसते हुए कहा कि जब किसान ही नही बचेगा, तो रोटी कहां से खाओगे। पीड़ितो की आवाज सुनो, रहम खाओ, देश के कोने कोने से किसान की मांग को पूरा करते हुए कृषि बिल को वापस लें व एमएसपी पर कानून बनाएं। किसानों के मन की बात को भी सुनकर, अपना 56 इंच का सीना दिखाये।  भारत का यही कमेरा वग और अन्नदाता है , जिसने  अपना मत दान प्रयोग करके भारत के सिंहासन पर मोदी को बैठाया था । 500 से 1000 किलो मीटर दूरी तय करके महाराष्ट्र व गुजरात के सैकड़ो किसानो ंके द्वारा पंहुचने और संयुक्त किसान मोर्चा को अपना समर्थन देने पर किसानो का गर्म जोशी के साथ स्वागत किया गया।

जयसिहंपुर खेडा बोर्डर पर शीर्ष किसान नेता राजाराम मील, अमराराम व पवन दुगगल व  पैमा राम ने उपस्थित हजारों किसानों को आंदोलन की आगामी कार्यवाही की जानकारी देते हुए कहा कि आज शनिवार को सायं काल तक जम्मू काश्मीर से पांच बसों में सवार होकर सैकडो की संख्या में किसान व महिलांए खेडा बोर्डर पर किसान विरोधी कानूनो को वापस लेने व गंूगी बहरी सरकार को जगाने के लिए पंहुचेगें।

राजाराम मील ने व्यंगय कसते हुए कहा कि उन्हे भरोसा ही नही था कि शुक्रवार को भी केंद्र के साथ किसानों की आठवें दौर की बैठक में कोई हल निकलेगा । देश की जनता अब भाजपा की गहरी चाल व देश को बेचने , गिरवी रखने की चाल से परिचित हो चुकी है । यदि समय रहते  तीनों काले कानूनों को वापिस नही किया और किसानों की मांग को नही माना गया तो आगामी 26 जनवरी को सम्पूर्ण भारत का किसान देश की राजधानी दिल्ली में अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों व पैदल मार्च करके दिल्ली की सडको पर मार्च करेगा जो ऐतिहासिक होगा ।

खेडा बोर्डर से केंद्र व हरियाणा सरकार को चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि देश की आजादी के लिए वर्ष 1857 में  विभिन्न क्रंातिकारियों ने गौरे अंग्रेजो व ईस्ट इण्डिया कम्पनी को वापस ख्ंादेडा था । उसी तर्ज पर वर्तमान सत्तासीन पार्टी को वापस उसके खेमे में भेजने का कार्य भारत की जनता करेगी । किसानों में जोश व गुस्सा है, संयुक्त मोर्चा के आहवान के बाद शांतिपूर्ण ढँग से अपने आंदोलन को चलाते हुए, तेज करने में भी पीछे नही रहेगें।

राजाराम मील ने कहा कि देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के पूर्व सीएम देवीलाल के परिवार के ही वर्तमान में हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला को आज के हालात में देवीलाल के उसी त्याग की मिशाल कायम करके दिखानी चाहिये-जैसे  देवीलाल ने प्रधानमंत्री की कुर्सी ठुकरा दी थी। उन्होंने दुष्यंत को किसान हित में बात करने व चैधरी देवी लाल, दीनबंधु सैर छोटूराम की याद दिलाते हुए कहा कि यदि सत्ता में बैठे चैटाला परिवार को किसानों के प्रति लगाव सहित किसानों की आने वाली पीढ़ी कि रत्तीभर भी चिंता है तो वे अपने पूर्वजो की आनबानशान के लिए किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन का समर्थन करे । अन्यथा किसान वोट की चोंट से सब कुछ छिन्न भिन्न व नष्ट करेगा, जिसकी भरपाई करना नामुमकीन ही होगा ।

अन्न त्याग अनशन पर विभिन्न क्षेत्र के किसानों में रमेश गावीन, कानीवाल गावासी, जालमसिंग गावासी, रविदार गावासी, गंगाराम खेडकर नागपुर, वायएन पाटील महाराष्ट्र, बसंत रामचंद्र पाटिल, दगडू परसू बाबर, आनंदा हणमल संकपाल, विजदान सोहन दा चारण खजुवाला, अशोक औंरगाबाद महाराष्ट्र, मोबीन बशिर बेग औरगांबाद महाराष्ट्र, रक्षन सोनबधि, मनसाराम पंवार धुलिया महाराष्ट्र, दिनकर सतु माने , आनंदा महादेव माने, आनंदा धोडीमेढ बैठे रहे। इस अवसर पर तारा सिंह सिंधु, डॉ संजय माधव, छगन लाल चैधरी, राजबाला, राजेंद्र कामरेड, पूर्व विधायक अमराराम, पूर्व विधायक पवन दुगगल, राजेश धनखड झझर,  राष्ट्रीय अध्यक्ष मूल निवासी संघ भारत तारा राम मेहना, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भैरूलाल नामा, बलबीर छिल्लर,जेपी भारती, ललिता भारती, सुनील यादव आदि अनेंको विभिन्न संगठनों के विभिन्न क्षेत्रों से किसान नेताओं ने तीनों काले कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा निरस्त करने व किसानों के आंदोलन के पक्ष में मजबूती से डटे रहे।

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