कहा: ये किसान हैं न कि कोई आतंकवादी जो उनके साथ ये व्यावहार किया जाये

पंचकूला,4 जनवरी।  आम आदमी पार्टी ने रेवाड़ी और संगरुर में किसानों पर आंसू गैसे के गोलो का प्रयोग करने व किये गये लाठीचार्ज की कड़ी आलोचना की है। पार्टी का कहना है कि ये सरकारें अब किसानों की एकता से इतना डर गईं हैं कि उन्हें दिल्ली भी नहीं जाने देना चाहती। पार्टी ने यह भी कहा कि हरियाणा के साथ अब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह भी किसान विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है, वे भाजपा से मिले हुये हैं, जो उनके इशारे पर संगरुर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज करवाया गया। पार्टी का कहना है कि ये किसान देश के अन्नदाता हैं, न कि कोई आतंकवादी। उनके साथ ऐसा व्यावहार उचित नहीं है।

 आज यहां जारी एक ब्यान में आप के उत्तरी हरियाणा जोन के सचिव योगेश्वर शर्मा ने कहा कि भाजपा के नेता चाहे वे दिल्ली के हों या पंजाब हरियाणा, उत्तरप्रदेश और बिहार के, वे किसानों के खिलाफ चाहे जितनी गल्त भाषा का इस्तेमाल करें, पंजाब में उनके खिलाफ तो कैप्टन सरकार ने कोई केस दर्ज नहीं किया,मगर भाजपा नेताओं का विरोध करने पर कांग्रेस सरकार को कुछ ज्यादा ही मिर्ची लगी है जो उन्होंने इसकी भड़ास संगरुर में किसानों पर लाठीचार्ज करवाकर निकाली है। आप नेता ने कहा कि इसी प्रकार हरियाणा में दिल्ली जयपुर हाईवे पर मसानी बैराज के पास से दिल्ली जा रहे किसानों पर हरियाणा पुलिस की ओर से की गई आंसू गैस के गोलों की बोछार भी निंदनीय है और यह किसानों के लोकतांत्रिक मूल्य का हनन है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा व केंद्र की सरकार देश व प्रदेश के किसानों से इतना डर क्यों रही है। वे इस देश के ही अन्नदाता व नागरिक हैं। देश की तरक्की में उनका भी योगदान रहा है और इन किसानों के बच्चे देश की सरहदों पर अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी डयूटी कर रहें हैं। ऐसे में जब उन्हें पता चलता होगा कि उनके पिता भाईयों पर पुलिस सिर्फ इस लिए लाठीचार्ज या आंसू गैस के गोले दाग रही है,क्येंाकि वे अपनी मांग मनवाने के लिए सिर्फ दिल्ली जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह देश का अन्नदाता किसान है जो सर्दी गर्मी में अपना चखून पसीना एक करके देश के लिए अन्न की पैदावार करता है, वह पुलिस की लाठी या आंसु गैस के गोलों से क्या डरेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी हठधर्मिता त्यागकर इन किसानों की बात सुननी चाहिए तथा तीनों काले कानून तुमरंत वापिस लेने चाहिए, क्योंकि किसान से टकराव देशहित में नहीं है।