संयुक्त किसान मोर्चा एवं पंजाब-हरियाणा के किसान नेताओं को पत्र भेजकर कुंडू ने सुझाया फार्मूला
कल केंद्र सरकार से होने वाली किसानों की मीटिंग के एजेंडे में पानी के मुद्दे को शामिल करने का आग्रह
हरियाणा-पंजाब के भाईचारे को आगे फिर से राजनितिक दलों की राजनीति का शिकार होने से बचाने को दिया सुझाव
कुंडू बोले – राजनितिक दलों को छोड़कर दोनों राज्यों के किसान नेता ही निकल सकते हैं सही समाधान

चंडीगढ़, 3 जनवरी : पंजाब एवं हरियाणा के बीच एसवाईएल को लेकर पिछले 35 सालों से राजनितिक दलों द्वारा की रही स्वार्थ की राजनीती को दो भाइयों को बांटने वाली राजनीति बताते हुए महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने आज संयुक्त किसान मोर्चा एवं हरियाणा व पंजाब के किसान नेताओं को एक पत्र भेजा है, जिसमें हमारे सबसे बड़े दुश्मन देश पाकिस्तान में व्यर्थ बहकर जा रहे सतलुज नदी के पानी को रोककर हरियाणा-राजस्थान की प्यासी भूमि को सिंचित करने का फार्मूला सुझाया गया है। साथ ही किसान नेताओं से आग्रह किया गया है कि कल 4 जनवरी को केंद्र के साथ किसानों की होने वाली बैठक के एजेंडे में इस मुद्दे को शामिल किया जाये। कुंडू ने कहा कि किसानों द्वारा अपने किसान नेताओं के माध्यम से यह काम करने से सभी राजनितिक दलों के मुँह भी बंद हो जायेंगे और पंजाब-हरियाणा का भाईचारा भी हमेशा के लिए मजबूत हो जायेगा।

अपने पत्र में विधायक बलराज कुंडू ने कहा है कि आज किसान आंदोलन के चलते एक बात जो निकलकर सामने आई है तथा जिसकी चर्चा पंजाब व हरियाणा में प्रत्येक व्यक्ति की जुबान पर है वो है हरियाणा-पंजाब का छोटे एवं बड़े भाई का रिश्ता। आज हरियाणा प्रदेश का किसान-मजदूर पंजाब को अपना बड़ा भाई मानते हुए पंजाब के किसानों के स्वागत व सेवा में आँखें बिछाये लगा हुआ है। हरियाणा प्रदेश की भाजपा व जजपा सरकार ने एसवाईएल का मुद्दा उछालकर इसमें दरार डालने का एक बेहूदा प्रयास किया था लेकिन हरियाणा प्रदेश के लोगों ने उनको सिरे से नकारते हुए भाजपा व जजपा नेताओं का घेराव करके उनको करारा जवाब देकर हरियाणा-पंजाब के भाईचारे की मिसाल देने का काम किया है और यह बात साबित कर दी कि हरियाणा, पंजाब को अपना बड़ा भाई मानता है तथा बड़े भाई पर पूरा भरोसा भी करता है लेकिन अगर हम इस मुद्दे का इतिहास देखें तो पता चलता है कि किस प्रकार यूपीए तथा एनडीए में शामिल रहे हरियाणा व पंजाब के सभी राजनितिक दल एसवाईएल पर अपनी राजनितिक रोटियां सेंकते हुए हरियाणा-पंजाब के भाईचारे में दरार पैदा करते रहे हैं। जब भी हरियाणा और पंजाब में चुनाव होते हैं तो सालभर पहले हरियाणा व पंजाब के नेता दोनों राज्यों के लोगों को बेवकूफ बनाते रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद जब कुर्सी पर बैठ जाते हैं तो सब इस मुद्दे को भूल जाते हैं। एक ही समय में दोनों प्रदेशों व केंद्र में यूपीए और एनडीए की सरकारें रही हैं, जब केंद्र एवं दोनों राज्यों में एक ही गठबंधन की सरकारें रह चुकी हैं तो यह मुद्दा अभी तक क्यों नहीं सुलझा है ? हरियाणा व पंजाब के भाईचारे को खराब करने व लोगों को बेवकूफ बनाने में चौटाला व बादल परिवारों की भूमिका सबसे अहम रही है। बादल परिवार और भाजपा का तो पिछले 28 साल पुराना गठबंधन रहा है। इससे भाजपा का असली चेहरा भी पता चलता है कि भाजपा हरियाणा को पानी देने के मामले में कितनी चिंतित है। लेकिन, आज किसान आंदोलन ने हरियाणा-पंजाब के इस भाईचारे जिसमें हम एक दूसरे को छोटा व बड़ा भाई मानते हैं को फिर से एक करने का काम कर दिया है। ऐसे में किसान नेता चाहें तो सभी स्वार्थी राजनितिक दलों व नेताओं को सबक सिखा सकते हैं।

सतलुज नदी का जहाँ से पानी पाकिस्तान जाता है उसके सभी गेट बिलकुल डैमेज हो चुके हैं जिससे दुश्मन देश पाकिस्तान में हमारा ज्यादा पानी जाता है। क्योंकि यह विषय भी केंद्र का है, केंद्र की भाजपा सरकार जो पिछले लगभग साढ़े 6 साल से सत्ता पर काबिज है, ने पीएम मोदी का एजेंडा पाकिस्तान का पानी रोककर हरियाणा व राजस्थान को देना था, उस पर कोई कार्यवाही ना करके सिर्फ हरियाणा के लोगों में पंजाब के लोगों पर पानी नहीं देने की राजनीति करते हुए हमारे भाईचारे को ख़राब करती रही है। भाजपा, मामला कोर्ट में पेंडिंग है बोलकर लोगों को बरगलाने का काम कर रही है।

कुंडू ने संयुक्त किसान मोर्चा एवं पंजाब तथा हरियाणा के सभी किसान नेताओं से आग्रह करते हुए कहा है कि आप इस मुद्दे को भी केंद्र के साथ जो हमारे दो मुख्य मुद्दे हैं, जिनमें तीनों काले कानून रद्द करवाना तथा एपीएमसी एक्ट को लागु कर एमएसपी की गारंटी के कानून का प्रावधान कराना है के साथ पाकिस्तान जा रहे पानी को रोककर हरियाणा व राजस्थान को इसका पानी देने का एजेंडा भी जोड़ दें ताकि हरियाणा व पंजाब के किसानों के साथ ये राजनितिक दल आगे कोई खेल ना खेल सकें तथा हमारा भाईचारा सदा जिंदाबाद रहे।

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