यह कानून कृषि बाजार, भूमि, खाद्यान्न श्रृंखला पर कारपोरेट नियंत्रण स्थापित करेंगे; मंडियों, खेती व किसानों की आय में सुधार कानून के रद्द होने के बाद ही संभव है

– एआईकेएससीसी ने शाहजाहपुर सीमा पर किसानों पर आज किये गए लाठीचार्ज की निंदा की; कहा दमन से किसानों का संकल्प और बढ़ेगा
– किसान नेता 4 जनवरी वार्ता के लिए तैयारी में जुटे, किसानों के समर्थन में दिल्ली धरनों में भीड़ बढ़ी
– कानून वापसी पर सरकार की जिद और शब्दावली का जाल समाधान के लिए बाधा; सभी प्रक्रियाएं सरकार के हाथ में
– एआईकेएससीसी ने कहा तीन कानून, बाजार व जमीन पर किसानों के अधिकार को समाप्त कर देंगे
– ‘एमएसपी का कानूनी अधिकार’ को वर्तमान में धान की एमएसपी रु. 1868 प्रति कुंतल की जगह निजी मंडियों में 900 रु. कुंतल की बिक्री, शुगर मिलों द्वारा गन्ना किसानों के बकाये का हल ढूंढना होगा
– तेलंगाना ने धान की खरीद बंद की; कहा केन्द्र ने मना किया है; मोदी सरकार का एमएसपी व सरकारी खरीद जारी रहने का आश्वासन झूठा साबित
– एआईकेएससीसी ने मांग की कि सरकारी खरीद तथा राशन में खाने का आवंटन बढ़े, ताकि भूखे देशों की श्रेणी में भारत का 94/107 से सुधार हो
– मंडी कानून का भाजपा शासन मध्य प्रदेश में असर सामने; दो किसानों से व्यापारी में 2581 कुंतल दाल खरीदी, व्यापारी लापता
– एआईकेएससीसी का राज्य स्तरीय यात्राओं, जिला स्तरीय रैलियों द्वारा देश भर में आन्दोलन को तेज करने की घोषणा। नए साल में शपथ कार्यक्रम की तैयारी; दिल्ली के आसपास की जनता किसानों के साथ भोजन करेगी
– एआईकेएससीसी दमन के खिलाफ बड़ी गोलबंदियां करेगी

एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा तीन कानूनों के रद्द करने की जगह किसानों से विकल्प सुझाने की अपील एक असंभव प्रस्ताव है, क्योंकि इन कानूनों को केन्द्र ने ही अलोकतांत्रिक ढंग से किसानों पर थोपा था। ये कानून खेती के बाजार, किसानों की जमीन और खाद्यान्न श्रृंखला पर कारपोरेट तथा विदेशी कम्पनियों का नियंत्रण स्थापित करेंगे। इन्हें रद्द किये बिना मंडियों और कृषि प्रक्रिया में किसान पक्षधर परिवर्तनों और कृषि आय दोगुना करने की संभावना शून्य है। एआईकेएससीसी ने कहा कि सरकार को अपना अड़ियल रवैया तथा शब्दों का जाल बिछाना छोड़ देना चाहिए क्योंकि सभी प्रक्रियाएं उसी के हाथ में है।

एमएसपी के कानून अधिकार देने के प्रश्न पर सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि जिस धान की एमएसपी 1868 रु0 प्रति कुंतल है उसे आज निजी व्यापारी 900 में खरीद रहे हैं, ये स्थिति समाप्त हो। साथ में गन्ना किसानों के सालों-साल भुगतान न होने की समस्या को भी हल करना पड़ेगा। निजीकरण के पक्ष वाले मंडी कानून 2020 ने धान की एमएसपी व वास्तविक खरीद में फर्क को पिछले साल 0.67 फीसदी से घटाकर 0.48 फीसदी कर दिया है।

मंडी कानून ने भाजपा शासन मध्य प्रदेश में किसानों पर पहला बड़ा हमला कराया है, जब दो किसानों से निजी व्यापारी ने 2581 कुंतल दाल बिना पेमेंट किये खरीद और फिर लापता हो गये। सरकार का एमएसपी जारी रखने के दिखावटी आश्वासन का असर तेलंगाना में भी स्पष्ट है जहां राज्य सरकार ने धान की खरीद रोक दी है और कहा है कि केन्द्र ने मदद नहीं की और उसे ऐसा करने को कहा। वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री लगातार मोदी के आश्वासनों पर भरोसा करने की लगातार अपील करते रहे हैं।

एआईकेएससीसी ने मांग की है कि राशन में कोटा को बढ़ा कर 15 किलो प्रति यूनिट किया जाए, क्योंकि भूखे लोगों की विश्व सूची में भारत तेजी से गिरता जा रहा है। मोदी शासन में हर साल भारत पिछड़ता गया है और 107 देशों में भारत 94वें स्थान पर है। बच्चों में ठिगना रह जाने में भी कोई सुधार नहीं हुआ है।

एआईकेएससीसी ने भाजपा शासित व प्रभावित राज्य सरकारों द्वारा दमन की प्रक्रिया तेज करने की निन्दा की है और इसका व्यापक जनविरोध कर मुकाबला करने का निर्णय लिया है। उसने किसानों से राज्य स्तरीय यात्राएं तथा जिला स्तरीय विरोध सभाएं आयोजित करने की अपील की।

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