साइबर क्राइम पर प्रभावी तरीके से लगेगी लगाम चंडीगढ़, 30 दिसंबर – हरियाणा पुलिस द्वारा विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध से निपटने के लिए प्रदेश में ’क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), हरियाणा, श्री मनोज यादव ने आज यहां खुलासा करते हुए बताया कि यह केंद्र साइबर जांच में पुलिस की क्षमता बढ़ाने और ऐसे खतरे को रोकने के लिए एक नोडल बिंदु के रूप में कार्य करेगा। साथ ही इससे साइबर क्राइम का पता लगाकर प्रभावी तरीके से रोक लगाई जा सकेगी। इसकी स्थापना का प्रस्ताव पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस वर्ष भेजा जा चुका है। मंजूरी मिलने के बाद, वर्ष 2021 में इसे स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय के साथ कंप्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट के उपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इसके साथ साइबर क्राइम पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। हाल के दिनों में कोविड महामारी के कारण प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि से साइबर अपराध की घटनाओं में भी तेजी से उछाल आया है। उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना से पुलिस को तकनीक आधारित क्राइम का प्रभावी तरीके से पता लगाकर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। डीजीपी ने कहा कि हरियाणा पुलिस व्यापक एवं समन्वित तरीके से साइबर अपराध से निपटने के लिए एक ईकोसिस्टम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। ’क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ के अतिरिक्त, पुलिस द्वारा बैंक फ्राॅड, पेमेंट गेटवे का दुरुपयोग, सोशल मीडिया संबंधी साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों से निपटने के लिए अपने मौजूदा साइबर सेल को साइबर रिस्पांस सेंटर में अपग्रेड किया जा रहा है। साइबर अपराध से निपटने में हरियाणा पुलिस की क्षमता बढ़ाने के मामले में साल 2020 को एक बेहतर वर्ष बताते हुए उन्होंने कहा कि इस साल राज्य सरकार ने रोहतक, हिसार, करनाल, अंबाला, रेवाड़ी और फरीदाबाद में 6 साइबर पुलिस स्टेशन खोलने की मंजूरी दी है। इन थानों के लिए पुलिस अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों के कुल 264 पद सृजित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, साइबर क्राइम से निपटने के लिए गुरुग्राम और पंचकुला में दो साइबर पुलिस स्टेशन पहले से ही संचालित हैं। साथ ही, पंचकूला में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम योजना के तहत 2 करोड 30 लाख रुपये की लागत से एक साइबर फोरेंसिक लैब भी स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष 2021 में बच्चों को साइबर बुलिंग, साइबर स्टाकिंग आदि से बचाने के लिए और अधिक साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, पुलिस द्वारा साइबर अपराध से संबंधित एडवाइज़री भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के माध्यम से आमजन के साथ साझा की जा रही है। Post navigation संपत्ति मालिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए फर्जी बिक्री जैसे हस्तांतरणों पर रोक लगाने की तैयारी बिश्नोई सभा ने वन एवं पर्यावरण मंत्री से वन्यजीवों के संरक्षण में सहयोग की अपील