मोहभंग

कुछ मामले धीरे धीरे समझ में आते हैं कि ये सौदा ही कुछ नी हैं। जैसे कि हरियाणा सरकार में बोर्ड-निगम के चेयरमैन। चेयरमैन के पदों की ऐसी बेकद्री इस से पहले शायद ही किसी सरकार में देखी-सुनी गई हो। एक निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने तो शुरू में ही चेयरमैन का पद अस्वीकार कर दिया था। उसके बाद दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान ने किसान आंदोलन की आड़ में पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया। सांगवान ने हरियाणा सरकार से अपना समर्थन भी वापस ले लिया। जजपा के बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग को भी हरियाणा आवास बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था,लेकिन उन्होंने दूरदर्शिता दिखाते हुए इस पद को शुरू में ही अस्वीकार कर दिया था। पुंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन को हरियाणा पर्यटन निगम का चेयरमैन बनाया गया था। अब गोलन भी मीडिया में कह रहे हैं कि उनके पल्ले कुछ नहीं है। पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर उनको काम नहीं करने दे रहे हैं। अगर हालात यंू ही रहे तो वो ये पद छोड़ देंगे। बाहदशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद चाव चाव में हरियाणा कृषि उद्योग निगम के चेयरमैन बन तो गए,लेकिन या तो उनको समझ में आ गई होगी या फिर बहुत जल्द समझ में आ जाएगी कि उनकी यहां कुछ हैसियत नहीं है। वैसे इन चेयरमैन कोे ज्यादा सा मायूस होने की जरूरत नहीं है। ये लोग ये मत समझें कि मंत्रियों की सरकार में बहोत चल रही है। बहुत से मंत्री भी अपने काम कराने के लिए अफसरों के आगे दंडवत हुए रहते हैं। कुछ तो अफसरों की ठोढी को भी सहलाते हैं,लेकिन उसके बावजूद उनकी मुराद पूरी नहीं होती। खासतौर पर मनचाहे तबादलों के मामलों में उनको अक्सर निराशा हाथ लगती है। सो ये जो मंत्री-चेयरमैनी-एमएलएशिप दूर दर से ही देखने की चीज है। इनके पास जाने-इनको पाने के बाद ज्यादातर लोग मन ही मन ये कहते हैं कि ये तो सौदा ही कुछ नी। इन पदों की तो कहाणी ही कुछ नी। इस से अच्छा तो हम बिना पद के ही ठीक थे। इस विकट हालात के बावजूद कुछ हुनरमंद मंत्री-विधायक ऐसे भी होते हैं जो मुख्यमंत्री से निकटता बढा कर-उनकी चाटुकारिता कर-सियासी मजबूरी का लाभ उठा कर सरकार में अपनी चलाते भी खूब हैं। कमाते भी खूब हैं। माल पाणी बनाते भी खूब हैं। इस हालात पर कहा जा सकता है:

हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी की शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया हमारा

दबाव

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला नई औद्योगिक और रोजगार नीति के फायदे पत्रकारों को गिना रहे थे। चंडीगढ में आयोजित एक प्रेस कांफ्रैंस में कह रहे थे कि इस नीति से पांच लाख नौकरियां देने और एक लाख करोड़ रूपए से अधिक का पंूजी निवेश का लक्ष्य रखा गया है। अगर वाकई में ऐसा हो गया तो हरियाणा को राम राज्य बनने से कोई भी विपक्षी दल नहीं रोक पाएगा। इसी दौरान दुष्यंत से पत्रकारों ने सवाल पूछा कि क्या किसान आंदोलन के मददेनजर उन पर डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा देने का दबाव है? इस पर दुष्यंत ने कहा कि उन पर और जजपा के अन्य विधायकों पर इस्तीफे का कोई दबाव नहीं है। वैसे दबाव बहुत अनूठा पदार्थ होता है। ना ये ठोस होता ना ये तरल होता है और न ही ये गैस होता है। मानों तो बहुत होता है और न मानों तो कुछ नहीं होता है। दबाव डालने वाला सोचता है कि वो बहोत दबाव डाल रहा है और जिस पर दबाव डल रहा होता है वो बहोत दफा सोचता है कि ये दबाव ही कुछ नहीं है। ऐसे ऐसे दबाव और दबाव डालने वाले हम बहोत देखते हैं। हर रोज ही देखते हैं।

फेरबदल की आहट

हरियाणा में नए बरस पर अफसशाही में कुछ फेरबदल हो सकता है। इसकी कुछ वजह हैं। एक तो ये कि कृषि विपणन बोर्ड की मुख्य प्रशासक सुमेधा कटारिया 31 दिसंबर को रिटायर हो रही हैं। दूसरा गुड़गामा के डीसी अमित खत्री भी अध्ययन- ट्रेनिंग के लिए अमेरिका जा रहे हैं। हरियाणा में नए नवेले करीब 50 एचसीएस अधिकारियों की ट्रेनिंग भी कम्पलीट हो रही है। इनको भी पहली पहली पोस्टिंग पाने का काफी चाव है और ये जनसेवा के लिए काफी व्याकुल हुए जा रहे हैं।

सरकारी फैसला

मुख्यमंत्री मनोहरलाल के अंबाला दौरे के दौरान उनको काले झंझे दिखाए गए। प्रदर्शनकाली खुद को किसान बताते हुए मुख्यमंत्री के काफिले के निहायत करीब जा पहुंचे और कुछ ने तो इन झंड़ों की काफिले में शामिल गाड़ियों से मुठभेड़ भी करवा दी। ऐसा कहा जाता है कि किसानों के इस इजहार-ए मोहब्बत कार्यक्रम को मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सरकारी स्तर पर गंभीर चूक माना गया। इसी वास्ते अंबाला के एसपी राजेश कालिया को हटा दिया गया। अब अंबाला में नए एसपी हामिद अख्तर विराजमान हो चुके हैं। कई दफा अचानक से लाटरी लगती है। बिना कोशिश के भी मुराद पूरी होती है। हामिद अख्तर का एसपी लगना इसका ज्वलंत उदाहरण है। रोचक तथ्य ये है कि जिन राजेश कालिया को मुख्यमंत्री की सुरक्षा में कोताही के नाम पर हटाया गया अब उनको एसपी सुरक्षा की जिम्मेदारी दे दी गई है। जो अफसर एक जिले में मुख्यमंत्री की सुरक्षा करने में नाकाम रहा, अब उनको पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राज काज में ऐसा होता ही रहता है।

सम्मान समारोह

पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर हरियाणा में कई अफसरों-कर्मचारियों को मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने सुशासन अवार्ड से सम्मानित किया। ऐसा माना जा सकता है कि इस सम्मान से सम्मानित होने के बाद सम्मानित होने वाले लोग अपना-प्रदेश और देश का सम्मान बढाने के लिए और ज्यादा व्याकुल रहा करेंगे। उच्चाधिकारियों को सम्मानित करने से सम्मान करने वालों और इन सम्मानित होने वालों को देखने वाले, दोनों ही सम्मान के पात्र हो जाते हैं। सम्मानित होने वालों का चयन पूरी तरह से पारदर्शिता के आधार पर हुआ है। सरकार की पैनी निगाह अत्यंत दूरी से ही प्रतिभा को परख और पकड़ लेती है। तभी तो आयुष्मान भारत श्रेणी के तहत एक डाटा एंट्री आपरेटर को भी सम्मान मिला है। अब ये सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है कि उन डाटा एंट्री आपरेटर ने ऐसा क्या ही डाटा ऐंटर कर दिया होगा कि वो इस कद्र प्रतिष्ठित सम्मान पाने के लिए पात्र हो गए?

गीता जयंती

किसान आंदोलन का असर इस दफा गीता जयंती कार्यक्रम पर भी पड़ा। भाजपा सरकार आने के बाद गीता जयंती के कार्यक्रम खूब ही गाजे बाजे के साथ होते रहे हैं। बड़े बड़े कलाकार यहां पर अपनी कला के जौहर दिखाते रहे हैं। इस दफा कुरूक्षेत्र में आयोजित गीता जयंती कार्यक्रम में वो जलवा नहीं था,जिसके लिए ये जाना जाता था। यंू तो हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर,हरियाण के मुख्यमंत्री मनोहरलाल समेत प्रदेश के कुछ मंत्री भी इस कार्यक्रम में पधारे। मुख्यमंत्री का कुरूक्षेत्र दौरा भी बेहद संक्षिप्त ही रहा। अब चाहे इसके लिए कोरोना को दोष दिया जाए, चाहे सीआईडी के इनपुट कहें जाएं या फिर बदलते हालात कहें जाएं, आप जैसा उचित समझे इसके मायने निकालते जाएं।

किसान

कड़ाके की ठंड में किसान सड़क पर हैं। सरकार उनसे वार्ता के नाम पर सब कर रही है,वार्ता ही नहीं कर रही। उचित होगा कि इस किसान आंदोलन को जल्द खत्म करने की दिशा में सार्थक पहलकदमी की जाए। इसी में सबका फायदा है। अगर ये आंदोलन हिंसक हो गया तो हालात विकट हो सकते हैं। इस हालात पर कहा जा सकता है:

छोड़ कर अपने खेत खलिहान
लेकर हथेली पर अपनी जान
सर्दी में बीच सड़क पर दिन रात डटे हैं किसान
जागो मेरे मुल्क के हुक्मरान
तज कर अपनी जिद और अभिमान
वापस ले लो काले फरमान
करो अन्नदाता का सम्मान
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