अब पहुंचा एजेंडा फार्मर का और फैसला होगा सरकार का. संयुक्त मोर्चा ने सशर्त भेजा सरकार के पास अपना एजेंडा. मंगल को भी नहीं निकला रास्ता तो बंद होगा फिर रास्ता फतह सिंह उजाला केंद्र सरकार के द्वारा कृषि और किसान हित में बताए गए 3 नए कृषि कानूनों को अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा और विभिन्न किसान संगठन पहले दिन से ही नकारते आ रहे हैं कृषि कानूनों के पक्ष में सरकार और सत्ता पक्ष के द्वारा किए जा रहे प्रचार का जवाब, भी आंदोलनकारी किसान और संगठन सरकार के जवाब का काउंटर करते हुए देने में जुटे हुए हैं । किसान आंदोलन को हाड जमा देने वाली ठंड में 32 दिन बीत चुके हैं और रविवार को पीएम मोदी के द्वारा मन की बात कार्यक्रम का सरकार के अंदाज में ही किसान संगठनों और आंदोलनकारी किसानों के द्व जवाब दिया गया । वहीं पूर्व घोषणा के मुताबिक देश के विभिन्न स्थानों खासतौर से हरियाणा में टोल बैरियर को भी फ्री रखा गया। अब बात करते हैं किसान संगठनों और सरकार के बीच मंगलवार को कृषि कानूनों के मुद्दे को लेकर होने वाली बातचीत पर । जिस प्रकार से सशर्त बातचीत का एजेंडा अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा और किसान संगठनों के द्वारा सरकार के पास भेजा गया है , इस बात की संभावना से अभी भी इंकार नहीं की सरकार पूरी तरह से किसानों के एजेंडे पर अपनी सहमति प्रदान कर सकेगी ? ऐसे में आंदोलनकारी किसान संगठनों के द्वारा पहले ही घोषणा कर दी गई है कि मंगलवार 29 दिसंबर को किसान संगठन के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच होने वाली बातचीत का कोई रास्ता नहीं निकला तो दिल्ली के चारों तरफ के रास्तों को और अधिक मजबूती से बंद कर दिया जाएगा । दूसरी ओर दिल्ली के लिए लाइफ लाइन कहलाने वाले दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर हरियाणा और राजस्थान सीमा क्षेत्र में आंदोलनकारी किसानों के द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे को पूरी तरह से बंद किया हुआ है । यहां स्थानीय ग्रामीणों के आवागमन के लिए केवल सर्विस लेन को ही खाली छोड़ा गया है। रविवार को स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव सहित सौरभ, जानू ,राहुल, राकेश फागेरिया, राकेश बिश्नोई, नारायण राम, शेर सिंह, संदीप मील, अशोक मिठारवाल व अन्य के द्वारा 24 घंटे का अपना अनशन जारी रखा गया । इस बीच शाजापुर बॉर्डर और अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बावल में बीते करीब एक पखवाड़े से अधिक समय से हरियाणा ,राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र से आए हुए हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं । राजस्थान सीमा में शाहजहांपुर बॉर्डर और हरियाणा सीमा में बनीपुर चैक पर पुलिस प्रशासन के द्वारा बैरिकेट्ड लगाए गए हैं कि आंदोलनकारी किसान किसी भी प्रकार से दिल्ली की तरफ रवाना नहीं हो सके । इसी बीच रविवार को किसान नेताओं में शामिल राजाराम मील, पिंटू यादव, मुसद्दीलाल यादव , रामेश्वर, अमराराम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय किसान सभा, राजाराम मील, बलबीर सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान महापंचायत , रामपाल जाट , तेज बहादुर सिंह , राजेंद्र कामरेड , राजबाला , उल्ला खान मेवात, हिम्मत गुर्जर , मंजू बाला सहित अनेक वक्ताओं ने गुरु गोविंद सिंह जी के दो मासूम साहब जादो की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आह्वान किया कि देश भर के किसान अब केंद्र सरकार के द्वारा जबरन थोपे गए कृषि कानूनों को रद्द करवा कर ही अपना आंदोलन समाप्त करेंगे । रविवार को ही अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बावल के हाईवे पर स्थित बनीपुर चैक पर रामकिशन मेहलावत , ईश्वर मेहलावत, मांगे पनवाड़ , सुमेर जैलदार, महिंद्र ककरावत, सुमेर बनीपुर, सरजीत पहलवान , टिकला सहित अन्य ने भी साफ-साफ कहा कि किसानों का यह आंदोलन किसानों के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए ही किया जा रहा है । केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून किसान और किसानी के बर्बादी के लिए कथित कारपोरेट घरानों के दबाव में केंद्र सरकार के द्वारा लागू किए गए हैं । जबकि किसानों के द्वारा किसी भी प्रकार के नए किसी कानूनों की मांग नहीं की गई । किसानों को कृषि कानून में संशोधन की जरूरत नहीं है , किसानों की सीधे और और सरल शब्दों में एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं तथा बिजली विधेयक को भी खारिज किया जाए। केंद्र सरकार किसानों की इतनी ही बड़ी शुभचिंतक और हितकारी है तो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को किसान हित में लागू किया जाए। रविवार को पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा देश के किसान और अन्नदाता के हित सरकार के लिए सर्वोपरि हैं तथा बातचीत के लिए सरकार 24 घंटे तैयार भी है । इधर अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा और इसके घटक किसान संगठनों के द्वारा एक बार फिर से केंद्र सरकार को आगाह कर दिया गया है कि 29 दिसंबर मंगलवार को किसानों की कोर कमेटी और केंद्र सरकार के बीच में बातचीत बेनतीजा रही तो 30 दिसंबर को सिंधु बॉर्डर पर सभी किसान संगठन और किसान नेताओं सहित आंदोलनकारी किसान यहां सड़क मार्ग को पूरी तरह से बंद कर देंगे । वही किसानों के द्वारा यह भी कहा गया है कि किसानों की कोर कमेटी और केंद्र सरकार के बीच में होने वाली बातचीत बेनतीजा रही तो 1 जनवरी 2021 को आंदोलनकारी अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा अपने किसान आंदोलन के दृष्टिगत सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा ऐलान किया जाएगा। Post navigation आफ द रिकार्ड–यशवीर कादियान विगत 135 वर्षो में कांग्रेस भारतीय राजनीति व समाज की प्रमुख धुरी रही है : विद्रोही