भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

आज सबके साथ गुरुग्राम नगर निगम ने भी सुशासन दिवस मनाया और मुख्य अतिथि राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि गुरुग्राम सबसे अधिक राजस्व वाला जिला है। अत: यहां सुशासन की सबसे अधिक आवश्यकता है।

गुरुग्राम नगर निगम पिछले काफी समय से अपने भ्रष्टाचार के लिए चर्चा में बना ही रहता है चाहे मामला सफाई का हो, चाहे चिनाई का और चाहे तोडफ़ोड़ का। तात्पर्य यह है कि हर विभाग में अनियमितताओं के आरोप लगातार लगते रहते हैं और राव साहब गुरुग्राम निगम में जनता की भागीदारी अर्थात मेयर टीम आपके ही इशारे से बनी थी और मेयर का कुछ समय पूर्व ब्यान भी आया था कि आपकी गुरुग्राम निगम पर निगाह है।

वर्तमान में गुरुग्राम निगम की कार्यवाही से जनता साथ ही पार्षद और अधिकारी सभी अपनी-अपनी परेशानियों में घिरे नजर आते हैं। वर्तमान में गुरुग्राम में हमारी जानकारी के अनुसार चार एक्सइएन, तीन एसडीओ, दो जेई वर्क सस्पेंड पर हैं, जिसके चलते गुरुग्राम के विकास कार्यों में बहुत बाधा पड़ रही है। और जानकारी के मुताबिक जब से अधिकारियों का वर्क सस्पेंड का सिलसिला आरंभ हुआ, तब से ही निगम के ठेकेदारों की पेमेंट रोक दी गई हैं, जिसके चलते निगम ठेकेदार और कार्य करने में असमर्थता जता रहे हैं।

हमारी जानकारी यह भी आया कि कुछ पार्षदों व ठेकेदारों ने धरना देने का भी कार्यक्रम बनाया परंतु निगम आयुक्त को इन बातों की कोई परवाह दिखाई नहीं देती। एक जानकारी यह भी मिली कि कुछ पार्षद अपनी शिकायत विधायक के पास गए, जबकि उन्हें जाना मेयर के पास चाहिए था और विधायक ने निगम के कार्यों के बारे में जानकारी निगम आयुक्त से मांगी। अब वह जानकारी कितनी विधायक को मिली, सही मिली या गलत मिली और उस पर क्या कार्यवाही हुई, उसकी जानकारी अभी है नहीं।

सुशासन दिवस पर यह प्रश्न तो उठना स्वभाविक ही है कि क्या यही सुशासन है? यदि हम देखें तो प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार गुरुग्राम आते रहते हैं, ग्रीवेंस कमेटी के चेयरमैन भी वही हैं। राव इंद्रजीत के बारे में मेयर की मानें तो उनकी निगम के कार्यों पर नजर है। मेयर की बात न भी करें तो भी जब राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी आन-बान-शान का वास्ता देकर मेयर टीम बनाई थी तो उनकी यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वह देखें कि उनकी बनाई मेयर टीम जनता की सुविधाओं का कितना ध्यान रख रही है और अधिकारियों को भ्रष्टाचार के लिए रोकती भी है या वह भी उसमें संलिप्त हो जाती हैं। और निगम जो निर्णय लेता है वह कितने उचित हैं या अनुचित।

अब जनता में इस बारे में चर्चाएं होने लगी हैं, क्योंकि जनता के काम रुक रहे हैं, पार्षद उन्हें बताते है कि ठेकेदारों की पेमेंट नहीं हो रही है तो चर्चा चलती है कि यदि अधिकारी जो वर्क सस्पेंड किए गए हैं, उनकी गलती है और वे भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं तो उन पर एफआइआर दर्ज क्यों नहीं? और यदि वह भ्रष्टाचार मुक्त हैं तो फिर काम से हटाए क्यों गए? और यदि हटाए भी गए तो निगम का कार्य बाधित न हो, इसलिए हरियाणा सरकार से उनके स्थान पर दूसरे अधिकारी क्यों नहीं बुलाए गए या बुलाए जा रहे?

इसी प्रकार चर्चाओं में आता है कि सफाई अभियान चलाते हैं। सौ-पचास आदमी एकत्रित होते हैं, झाडुएं हाथ में होती है, फोटो खिंचाते हैं और अखबारों में छप जाती है। पर प्रश्न यह है कि वे सफाई कर्मी क्या अन्य दिनों अपना कार्य नहीं करते? क्या एक सडक़ को साफ करने के लिए पचास-सौ कर्मियों की आवश्यकता पड़ती है? क्या वे कर्मी जहां उनका कार्य है, अपने कार्यस्थल को छोडक़र ही आते होंगे तो उस स्थान का कार्य तो बाधित हुआ न?

आज मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के नए कार्यकर्ताओं ने भी सुशासन दिवस मनाया। ऐसे में हम सबसे पहले तो अपने मेयर और विधायक से ऐसी आशा करेंगे कि वे इन बातों पर ध्यान देकर इनका समाधान निकालें। और यदि समस्या इतनी बड़ी है, जो उनके संभाले नहीं संभल रही तो वे इस बारे में राव इंद्रजीत सिंह, निकाय मंत्री अनिल विज, मुख्यमंत्री मनोहर लाल तक फरियाद पहुंचाकर समस्या का हल कराएं। तभी सुशासन दिवस सार्थक माना जाएगा।

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