1983 पीटीआई के बाद अब 816 ड्राइंग टीचरों को भी अब नौकरी से निकाले जाने की तैयारी

1983 पीटीआई भर्ती के फैसले के बाद अब 816 ड्राइंग टीचरों को भी अब नौकरी से निकाले जाने की तैयारी पूरी हो गई है। आपको बता दें कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह भर्ती 2006 में विज्ञापन जारी कर 2008 में यह भर्ती प्रक्रिया चली थी। इसके बाद 2010 में जॉइनिंग दी गई। आरोप है कि भर्ती में अनियमितता बरती गई।

सुप्रीम कोर्ट में इनकी याचिका खारिज होने के बाद मौलिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से इनकी रिपोर्ट मांग ली है। एक साल में भुपेंद्र हुड्‌डा सरकार की दूसरी भर्ती है, जिसे रद्द कर वर्षों से नौकरी कर रहे कर्मचारियों को घर भेजा जा सकता है। इससे पहले 1983 पीटीआई की छुट्‌टी की जा चुकी है। हालांकि उन्हें 25 हजार रुपए मासिक के आधार पर वालिंटियर के आधार पर रखा जा रहा है।

ड्राइंग टीचर हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के बाद डबल बेंच में गए थे। परंतु वहां भी वे केस हार गए। इसके बाद देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। अब विभाग जल्द ही इन्हें नौकरी से बर्खास्त करेगा। क्योंकि महानिदेशक ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 21 दिसंबर की दोपहर 2 बजे तक इनकी सूचना अनिवार्य रूप से भिजवा दें। इसके लिए 19 व 20 दिसंबर को शनिवार व रविवार का अवकाश होने पर भी कार्यालय खोलकर काम किया जाए।

ड्राइंग टीचर एसोसिएशन के राज्य प्रधान पवन कुमार का कहना है कि उनकी भर्ती भी 24 में से बाकी 23 कैटेगिरी के नियमों के अनुसार हुई है। जबकि पीटीआई की भर्ती के नियम अलग थे। लेकिन उनकी भर्ती को पीटीआई केस के साथ जोड़ दिया। अभी हम मंत्री से लेकर एमएलए तक से मिल रहें हैं। 816 परिवार हैं। सरकार नौकरी को जारी रखे।

आपको बता दें कि 1983 पीटीआई के साथ ही 2006 में 816 ड्राइंग टीचरों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। चयन समिति ने इंटरव्यू का 30 अंक तय किया। 2007 में पीटीआई के साथ उनकी भर्ती के लिए एक नोटिस जारी किया कि उनका पेपर व इंटरव्यू होगा। इसके सात दिन बाद ही यह नोटिस जारी किया कि ड्राइंग टीचर का पेपर नहीं होगा। भर्ती प्रक्रिया के दौरान बार-बार नियम बदलने के अरोप लगे। 2010 में सभी चयनितों की जॉइनिंग हो गई। उस वक्त 24 कैटेगिरी की भर्ती निकाली गई थी, जिसमें पीटीआई भर्ती केस के साथ ड्राइंग टीचर भर्ती का केस भी जुड़ गया। मामले को लेकर ड्राइंग टीचर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली।

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