· अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री स्वयं हस्तक्षेप करें और किसानों की मांगों को पूरा करें · सरकार ये न सोचे कि अगर किसानों की मांग मान लेगी तो ये उसकी हार है · जब किसान खुद कह रहे हैं कि कृषि क़ानून उनके हक में नहीं हैं, तो सरकार इनको वापस ले ले · सरकार अपनी जिद छोड़े और बड़ा दिल दिखाए राजहठ छोड़े और राजधर्म के रास्ते पर चले चंडीगढ़, 17 दिसंबर। संत राम सिंह का आत्म-बलिदान किसान हमेशा याद रखेंगे। अब समय आ गया है कि किसान आन्दोलन की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए कि प्रधानमंत्री जी स्वयं इसमें हस्तक्षेप करें और किसानों की मांगों को पूरा करें। सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने आज करनाल के सिंघड़ा स्थित नानकसर गुरुद्वारे में संत राम सिंह के अंतिम दर्शन करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहीं। उन्होंने उन 21 शहीद किसानों को भी याद किया और श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने इस आन्दोलन में अपनी कुर्बानी दी। उन्होंने कहा कि हाड़ कंपा देने वाली ठंड में अन्नदाता 22 दिन से खुले आसमान के नीचे अपनी जायज मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी जिद छोड़ने पर राजी नहीं है। ये सब देखकर संत बाबा राम सिंह जी के मन में घोर पीड़ा थी। वे किसानों की समस्या और सुनवाई नहीं होने किसानों को हो रही पीड़ा को सहन नहीं कर सके और किसानों के लिए आत्मबलिदान दे दिया। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से अपील करी कि वो राज-हठ छोड़कर मानवीय दृष्टि से किसान हित में सोचे और तुरंत किसानों की मांगों को माने। इससे पहले, दीपेन्द्र हुड्डा ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि संत बाबा राम सिंह जी और शहीद किसानों ने जो कुर्बानी दी है वो व्यर्थ नहीं जायेगी। किसानों के साथ सरकार जिस तरह का व्यवहार कर रही है उससे हर कोई दु:खी है। उन्होंने आगे कहा कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश का अन्नदाता अपनी जान गँवा रहा है, लेकिन सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। सरकार ये न सोचे कि अगर किसानों की मांग मान लेगी तो उसकी हार होगी। प्रजा की बात मानने से छोटा नहीं होता। प्रजातंत्र में हठधर्मिता का कोई स्थान नहीं है। आन्दोलन कर रहे किसानों की सरकार के मंत्रियों के साथ 6-7 राउंड की वार्ता हो चुकी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार अपनी जिद छोड़े और बड़ा दिल दिखाए राजहठ छोड़े और राजधर्म के रास्ते पर चले। सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि सरकार कहती है कि ये क़ानून किसानों के हक में हैं जबकि किसान खुद कह रहे हैं कि ये क़ानून उनके हक में नहीं हैं। तो सरकार इनको वापस ले ले और यदि कृषि प्रणाली में कोई बदलाव करना चाहती है सरकार तो व्यापक विचार विमर्श के बाद बदलाव लाने की तरफ कदम बढ़ाया जा सकता है मगर अभी सरकार अविलंब इन तीनों कानूनों को वापस ले। उन्होंने कहा कि MSP का मुद्दा, किसान की फसल का मुद्दा और कृषि प्रणाली में व्यापक बदलाव की बात जिन्हें लेकर किसान अपने भविष्य को असुरक्षित पा रहे हैं। किसान के हकों के लिए पूरा देश किसान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ रहा है। इस दौरान उनके साथ कुलदीप शर्मा, हरमोहिंदर सिंह चट्ठा, अशोक अरोड़ा, नीरज शर्मा, मेवा सिंह, जिले राम शर्मा, सुमित सिंह, राकेश कांबोज, नरेंद्र सांगवान, भीमसेन मेहता, सुरेन्द्र नरवाल, अनिल राणा सहित अनेकों गणमान्य लोग मौजूद रहे। Post navigation हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो, 7 जांचों में से 4 जांचों में आरोप सिद्ध नवंबर, 2020 के दौरान हरियाणा पुलिस का नशे पर प्रहार – मादक पदार्थ तस्करी करते तीन काबू, 145 किलोग्राम डोडा चूरा पोस्त बरामद