राजस्थान के किसान नहीं पहुंच सके दिल्ल्ली के दक्षिण द्वार. योगेंद्र यादव ,प्रशांत भूषण, मेघा पाटेकर, अमराराम का नेतृत्व. दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे पर यातायात हो गया प्रभावित फतह सिंह उजाला नए कृषि बिल के मुद्दे को लेकर आंदोलनरत अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा की पूर्व घोषणा के मुताबिक आंदोलनकारी किसान दिल्ली के दक्षिण द्वार तक नहीं पहुंच सके। रविवार को अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के साथ-साथ सीआईटीयू , सीपीआईएम, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने भी किसान आंदोलन सहित किसानों की मांगों के समर्थन में राजस्थान हरियाणा की सीमा पर दिल्ली जयपुर-नेशनल हाईवे को लाल झंडे लहराते हुए पूरी तरह से लाल कर दिया । रविवार को पूर्व घोषणा के मुताबिक राजस्थान से दिल्ली एनसीआर में दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे से दिल्ली के दक्षिण प्रवेश द्वार तक पहुंचने के लिए राजस्थान के शाहजहांपुर से सैकड़ों की संख्या में किसान स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव, राजस्थान के पूर्व सांसद और पूर्व एमएलए अमराराम, विख्यात एडवोकेट प्रशांत भूषण, सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर, सी आई डी यू , सीपीआईएम , अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति के नेताओं के साथ मिलकर दिल्ली प्रवेश के दक्षिण द्वार तक पहुंचने के लिए अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए जोशो खरोश के साथ में रवाना हुए । लेकिन शाहजहांपुर और रेवाड़ी के बीच जयपुर खेड़ा के नजदीक हरियाणा बॉर्डर पर अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी में प्रवेश करने से ही किसानों और किसान संगठनों के नेताओं सहित अन्य प्रबुद्ध नागरिकों को हरियाणा पुलिस के द्वारा हरियाणा सीमा में प्रवेश करने से ही रोक दिया गया । किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे योगेंद्र यादव, एडवोकेट प्रशांत भूषण, सोशल एक्टिविस्ट मेघा पाटेकर, राजस्थान के पूर्व सांसद पूर्व एमएलए अमराराम, सीपीआईएम के गुरुग्राम महासचिव मेजर एस एल प्रजापति, सीआईटीयू के राज्य उपप्रधान कामरेड सत्यवीर, सुखबीर सिंह, जिला पदाधिकारी कामरेड धर्मवीर सैनी सहित सैकड़ों की संख्या में दिल्ली कूच के लिए लालायित महिलाओं को भी हरियाणा पुलिस ने इनके हरियाणा सीमा में प्रवेश करने की हर संभव कोशिश को अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी जिला की सीमा पर ही नाकाम कर दिया । इस दौरान खास बात यह रही कि प्रदर्शनकारी अपने साथ में डब्ल्यूटीओ का पुतला लेकर चल रहे थे। स्वराज इंडिया के संस्थापक और किसान आंदोलन के रणनीतिकार योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों का यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है । किसान किसी भी प्रकार की हिंसा के समर्थक नहीं है । उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अपनी जिद छोड़ कर किसानों की मांगों को मान लेना चाहिए । केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए बिल अथवा कानून पूरी तरह से कारपोरेट घरानों के हित में ही है । केंद्र सरकार के नए कृषि बिलों से किसानों को खासतौर से छोटे काश्तकार किसानों को किसी भी प्रकार का लाभ होने वाला नहीं है । प्रख्यात एडवोकेट प्रशांत भूषण ने भी केंद्र सरकार की हठधर्मिता की निंदा करते हुए देश के अन्नदाता की बात सुनने का केंद्र सरकार से आह्वान किया है । उन्होंने भी दावा किया कि नए कृषि बिल से किसानों को किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं होने वाला। इसका सीधा और दूरगामी लाभ केवल कुछ कारपोरेट घरानों के द्वारा ही आने वाले समय में उठाया जाएगा । सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर ने कहा केंद्र सरकार को यह देखना और समझना चाहिए कि आज देश के हर कोने से किसान अपना घर, गांव, खेत, खलियान छोड़कर दिल्ली प्रवेश के एकमात्र खुले दक्षिण द्वार को आखिर अब क्यों डेरा डालने के लिए तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा किसान अब पहले के मुकाबले अधिक समझदार पढ़ा-लिखा और जागरूक हो चुका है । इसी मौके पर राजस्थान के पूर्व सांसद और पूर्व एमएलए किसान नेता अमराराम ने भी केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए नए कृषि बिल को किसानों के लिए काला कानून ठहराया है । उन्होंने साफ-साफ कहा कि देशभर का किसान अपने लिए नहीं अपनी आने वाली पीढ़ी के हक हकूक को सुरक्षित रखने के लिए सड़कों पर उतरा हुआ है । दिसंबर माह में हाड जमा देने वाली सर्दी के बावजूद देशभर के किसानों का जोश अपने चरम पर और गर्म है । इसी कड़ी में स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने हरियाणा सरकार के द्वारा मेवात जिला में लगाई गई धारा 144 और किसानों के आगमन को रोकने पर हरियाणा सरकार का तानाशाही रवैया ठहराया है। बहरहाल अपनी पूर्व घोषणा के मुताबिक रविवार को राजस्थान के किसान और किसान नेता दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे से होते हुए बेशक नहीं पहुंच पाए हो, लेकिन रेवाड़ी और शाहजहांपुर के बीच जयपुर खेड़ा के पास हरियाणा सीमा में दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर लगाए गए बैरिकेट्स के कारण आंदोलनकारी किसानों के द्वारा अपना लंगर डाल दिया जाने से दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे कथित रूप से पूरी तरह बंद हो चुका है । रविवार के इस दिल्ली मार्च के प्रदर्शन में शामिल विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा बताया गया कि वह भी दिन ढलने के बाद रेवाड़ी शहर से होते हुए अपने अपने गिरे क्षेत्रों में लौटने में सफल रहे हैं । बहरहाल अब देखना यही है कि अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा और विभिन्न किसान संगठनों के द्वारा एनसीआर में दिल्ली प्रवेश के दक्षिण द्वार की घेराबंदी अपनी मांगों को मनवाने के लिए पूरी की जा सकेगी ? 14 दिसंबर सोमवार को भी अखिल भारतीय किसान मोर्चा के द्वारा क्या और कैसी रणनीति अपनाई जाएगी , इस बात पर भी केंद्र सरकार की नजरें टिकी हुई है । वहीं जानकारों का कहना और दावा है कि देशभर के किसानों का दिल्ली के साथ-साथ जिस प्रकार से केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है और दिल्ली की घेराबंदी के लिए जिस तेजी से किसानों का आने का सिलसिला बना हुआ है। इस मुद्दे पर भी तमाम विपक्षी दलों की नजरें लगी हुई है । ऐसे में यदि केंद्र सरकार नए कृषि बिल को वापस लेना अथवा रद्द भी करना चाहे तो यह केंद्र सरकार के लिए संभव ही नहीं है । क्योंकि इन हालात में विपक्ष पूरी तरह से हावी होने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देगा। Post navigation झूठ पेलकर लोगों को ठगना सरकार की राजनैतिक आदत : विद्रोही 105 वीआईपीज को कोरोना वैक्सीन के टीके लगाने को प्राथमिकता : विद्रोही