पौराणिक महत्व के स्थानों का जीर्णोद्धार जरूरी: ज्ञानानंद

गीता के मर्मज्ञ स्वामी ज्ञानानंद पहुंचे गांव पड़ोसी गांव गोकुलपुर.
पांडव कालीन प्रचीन शिव मंदिर में शिवलिंग का किया अभिषेक.
सनातन और संस्कृति के वाहक लिए संस्कारों का हो संरक्षण

फतह सिंह उजाला

पटौदी । आध्यात्मिक गुरु गीता के मर्मज्ञ स्वामी ज्ञानानंद निकटवर्ती गांव गोकुलपुर में स्थित पौराणिक महत्व के प्राचीन शिव मंदिर पहुंचे । यहां आगमन पर अज्ञातवास को प्रस्थान कर चुके महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी के शिष्य धीरज गिरी जोकि यहां प्राचीन शिव मंदिर के पीठाधीश्वर भी हैं और प्रबुद्ध ग्रामीणों के द्वारा आध्यात्मिक गुरु स्वामी ज्ञानानंद जी का सनातन संस्कृति के मुताबिक तिलक और आरती के साथ अभिनंदन किया गया। इस मौके पर साथ में कोसली के विधायक लक्ष्मण यादव , हवा पुरी महाराज विशेष रुप से मौजूद रहे ।

पांडव कालीन प्राचीन शिव मंदिर गोकुलपुर आगमन पर गीता मर्मज्ञ आध्यात्मिक गुरु ज्ञानानंद जी के द्वारा भगवान शंकर का विशेष रूप से दुग्ध अभिषेक करके समस्त जीवो के कल्याण और भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई । इस मौके पर स्वामी गीतानंद ज्ञानानंद महाराज ने कहा की धीरज गिरी के द्वारा पांडव कालीन पौराणिक महत्व के इस प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाना , उनके भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ इसके प्रसार प्रचार के संकल्प को जाहिर करता है । उन्होंने कहा कि आज के बदलते परिवेश में साधु, संत, सन्यासियों का परम धर्म और कर्तव्य है कि जहां-जहां भी पौराणिक महत्व के प्राचीन धार्मिक स्थल हैं उनका जीर्णोद्धार करने के साथ-साथ भारतीय सनातन संस्कृति को भी आज की आने वाली युवा पीढ़ी के अवगत करवाया जाए ।

उन्होंने कहा हमारे ऋषि मुनि, तपस्वी , अनादि काल से ही विशेष तौर से दूरदराज के और एकांत स्थल पर स्थित गांवों के आसपास ही किसी धार्मिक स्थल अथवा मंदिर को अपनी धर्म और कर्म स्थली के रूप में प्राथमिकता देते आ रहे हैं । गांव गोकुलपुर के इस प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास पांडव कालीन समय सहित महाभारत युद्ध से भी संबंधित है । निश्चित रूप से यहां भी महाभारत युद्ध के दौरान पौराणिक महत्व के मंदिर में स्थित भगवान शंकर का अभिषेक कर पांडवों के द्वारा आशीर्वाद लिया गया होगा।  गीता के मर्मज्ञ आध्यात्मिक गुरु ज्ञानानंद ने इस मौके पर मौजूद प्रबुद्ध नागरिकों और ग्रामीणों का आह्वान किया कि ऐसे पौराणिक महत्व के धार्मिक स्थलों का उद्धार करने के लिए सभी को सामूहिक सहयोग करते हुए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए ।

उन्होंने कहा कि कोई भी साधु अथवा संत जब किसी भी पौराणिक महत्व के धार्मिक स्थल पर पवित्र और दृढ़ संकल्प के साथ जनकल्याण कार्य के लिए पहुंचता है , तो भगवान स्वयं भी किसी न किसी रूप में अपना सहयोग और आशीर्वाद प्राप्त करते रहते हैं । इस प्रकार के पौराणिक महत्व के धार्मिक स्थलों अथवा मंदिरों की बदौलत ही जो भारतीय सनातन संस्कृति के संस्कार विशेष रूप से युवा पीढ़ी को प्राप्त होते है।ं उनकी बदौलत ही भारतीय सनातन संस्कृति को भी संरक्षण प्राप्त हो रहा है । आज के समय में युवाओं को साधु-संतों के द्वारा बताए गए जनहित के और जनकल्याण के कार्यों के साथ जनकल्याण की शिक्षा पर भी अमल करते हुए जीवन में भी धारण करना  चाहिए।

स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज हमें अपने माता-पिता, बुजुर्गों, धर्म गुरूओं के साथ-साथ जितना अधिक संभव हो गौ सेवा भी करनी चाहिए । सही मायने में गीता जीवन क्या है और जीवन के क्या उद्देश्य हैं, इसका एक सारगर्भित दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक ग्रंथ है । गीता में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिया गया ज्ञान और संदेश ही हमारा और समस्त मानव जाति का कल्याण करने में सक्षम है । उन्होंने विश्वास जाहिर किया कि आने वाले कुछ समय में गोकुलपुर का यह प्राचीन शिव मंदिर निश्चित ही स्वामी धीरज गिरी के मार्गदर्शन में भव्य स्वरूप प्रदान करेगा

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