खट्टर सरकार आ सकती है खतरे में।

मंडन मिश्रा

भिवानी। हरियाणा प्रदेश के विपक्षी दल के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे है उन्होंने यह भी कहा है कि वह विधानसभा में सरकार के खिलाफ है अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे क्योंकि सरकार अल्पमत में आ चुकी है क्योंकि सरकार के सहयोगी व भाजपा के सदस्य भी आज सरकार के विरुद्ध है। किसान आंदोलन के कारण प्रदेश की काफी विधायक किसानों के समर्थन में आ रहे हैं क्योंकि प्रदेश का अधिकतर वोट बैंक किसान परिवार से ही आता है। इसलिए प्रदेश विधायकों की मजबूरी है कि वह किसानों का समर्थन करें अगर वह उनके समर्थन में नहीं आते हैं तो उनके भविष्य पर भी खतरा मंडरा सकता है। इसलिए प्रदेश के एक सांसद भी अप्रत्यक्ष रूप से किसानों के समर्थन कर चुके है।उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों की मांगों पर विचार करने की मांग की है और किसानों को कांग्रेसी कहने पर ऐतराज जताया है।किसान आंदोलन का बढ़ता हुआ विस्तार प्रदेश की बीजेपी जेजेपी गठबंधन सरकार के लिए खतरे की घंटी बजाने का काम कर रहा है। प्रदेश सरकार में शामिल सात विधायक कृषि कानूनों पर सरकार का साथ देने की बजाय किसानों के समर्थन में आ चुके हैं जिसके चलते प्रदेश के सियासी हालात में गर्माहट आ गई है। जेजेपी के 2 विधायकों ने सरकार की बजाय किसान आंदोलन का समर्थन देकर सबको चौका दिया।

पहले नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम ने किसानों को समर्थन देने की घोषणा की और उसके बाद जुलाना से जेजेपी विधायक अमरजीत ढांडा किसानों के पक्ष में उतर गए।

ढांडा बोले मै एक किसान का बेटा हुं, इसलिए किसानो के साथ खड़ा हूँ। उन्होंने कहा की किसान हमारा अन्नदाता , सभी का पेट पालता इसलिए केंद्र सरकार को उनकी बात माननी चाहिए
विधायक ने कहा किसान आंदोलन में हरियाणा, पंजाब ,राजस्थान से और अन्य सभी राज्यो से आये किसानो की बात केंद्र सरकार को माननी चाहिए ।

उन्होंने कहा कि ठंड के समय मे बुजुर्ग दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे है, सरकार को उनकी परेशानी के बारे में सोचना चाहिए । इससे पहले जेजेपी के शाहबाद से विधायक रामकरण काला , बरवाला से जोगी राम सिहाग किसानों के पक्ष में खड़े हो चुके हैं।

निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और सोमवीर सांगवान पहले ही सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं।

इनके अलावा नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धनपाल गोंदर भी किसानों के समर्थन में आ चुके हैं। हरियाणा में बीजेपी ने जेजेपी और निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बनाई हुई है। निर्दलीय विधायकों के साथ जेजेपी के विधायकों का सरकार की बजाय किसान आंदोलन को समर्थन देना गठबंधन सरकार के लिए खतरे की घंटी बजाने का काम कर गया है।

खास बात यह है कि सरकार में शामिल विधायकों को सत्ता की भागीदारी भी फीकी लग रही है।
बरवाला के विधायक जोगीराम सिहाग ने चेयरमैनी को ही ठुकरा दिया। इसके अलावा सोमवीर सांगवान ने चेयरमैनी छोड़कर किसान आंदोलन को समर्थन दिया।

रामकरण काला ने भी चेयरमैन होते हुए सरकार की बजाए किसान आंदोलन को समर्थन दिया। विधायकों में सरकार से मोहभंग होना गठबंधन के लिए बड़ी चिंता का सबब बन रहा है। अगर किसान आंदोलन का जल्दी ही हल नहीं निकला और यह भड़क गया तो जनता के प्रेशर में सत्ता पक्ष के विधायक इस्तीफा देने के फैसले लेने को भी मजबूर हो सकते हैं।

उन हालात में गठबंधन सरकार के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग जाएगा और वह अल्पमत में भी आ सकती है। कांग्रेस पहले से ही जेजेपी और निर्दलीय विधायकों को सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए उकसा रही है।जाएगा जिससे प्रदेश की सरकार खतरे में आ सकती है। अगर किसान आंदोलन लंबा खिंच जाता है तो प्रदेश विधायकों की मजबूरी होगी कि वह किसानों का समर्थन करें जिससे प्रदेश सरकार खतरे में आ सकती है। जेजेपी के विधायकों व कार्यकर्ताओं का भी दुष्यंत चौटाला पर किसान आंदोलन का खुला समर्थन करने व प्रदेश सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए भी दबाव बनाया जा रहा है। यह तो भविष्य के गर्भ में होगा कि आने वाला समय प्रदेश सरकार के लिए किस प्रकार का होगा।

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