देश के समस्त किसान संगठनों के आह्वान पर भारत बंद के समर्थन में झाड़सा चौक गुरुग्राम पर किसानों द्वारा महेंद्र सिंह ठाकरान की अध्यक्षता में धरना दिया गया।इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान एवं वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि नए कृषि क़ानून किसान विरोधी है मज़दूर विरोधी है ग़रीब विरोधी है तथा जन विरोधी है।

यह खेत खलिहान को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का षड्यंत्र है। कॉन्ट्रैक्ट फारमिंग से किसान अपने ही खेत में मज़दूर बन कर रह जाएंगे।नए कृषि कानूनों से जमाख़ोरी मुनाफाखोरी तथा कालाबाज़ारी बढ़ेगी । नए कृषि क़ानून किसान के मज़दूर के ग़रीब आदमी के डैथ वारंट है। कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो जीवन के लिए बहुत ज़रूरी है।अगर इंसान को कुछ दिनों तक खाना नहीं मिलेगा तो उसका ज़िंदा रहना भी मुश्किल हो जाएगा।इसलिए सरकार ने जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं आटा दाल और अनाज और सब्ज़ियों को आवश्यक वस्तुएं घोषित करके क़ानून बना दिया जिससे की आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन आपूर्ति और वितरण को नियंत्रण किया जा सके ताकि आम आदमी को खाना उचित दाम पर उपलब्ध हो सके तथा अपना जीवन बचा सके।

आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में बदलाव से अनाजों, दलहनों, खाद्य तेल, आलू और प्याज आदि को अनिवार्य वस्तुओं की सूची से हटा दिया है तथा स्टॉक लिमिट भी हटा दी है जिससे जमाख़ोरी, मुनाफाखोरी तथा कालाबाजारी बढ़ेगी तथा बाज़ार पर पूरी तरह पूंजीपति व्यापारियों का क़ब्ज़ा हो जाएगा।उन्होंने सरकार से माँग की कि जनहित में तीनों नये कृषि क़ानून वापस लिया जाए।

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