भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक वर्तमान में सारे विश्व में कोरोना का कहर छाया हुआ है। हमारा भारत भी इससे अछूता नहीं है और हरियाणा में भी कोरोना ने पांव अच्छे पसार रखे हैं तथा गुुरुग्राम में तो इंतहा है। जहां एक ओर शासन, प्रशासन व गृहमंत्रालय तक के निर्देश हैं कि घर से न निकलें, मास्क लगाकर रखें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, ऐसे में हमारे देश-प्रदेश का किसान आंदोलनरत है। आखिर आंदोलन की राह पकडऩे की मजबूरी भी तो खास है वरना अपनी जान पर खेलकर कोई आंदोलन को नहीं निकलता। सृष्टि का नियम है कि अधिकांश अन्याय सहता रहता है, मेहनत करता रहता है और रोटी खाता रहता है तथा ऐसे ही जीवन व्यतीत कर जाता है परंतु जब कभी ऐसा व्यक्ति कभी संघर्ष को निकलता है तो वह अपना सबकुछ दांव पर लगाकर निकलता है और उसे अपनी जान की भी चिंता नहीं होाती। ऐसा ही कुछ इस किसान आंदोलन में दिखाई दे रहा है। हमारे देश में कहावत बनी हुई है, कहानी-किस्सों में भी लिखा गया है कि गरीब किसान। तात्पर्य यह कि अधिकांश यह देखा गया है कि मेहनतकश और सीधा व्यक्ति गरीब ही होता है। यद्यपि इन किसानों में कुछ मध्यम श्रेणी भी में कहे जा सकते हैं और अब ये लोग जब आंदोलन को निकलें हैं तो एक तो कोरोना की वजह से मौत का डर, दूसरे भयंकर सर्दी, जिसमें आम व्यक्ति दिन ढलने के बाद घर से निकलने के बारे में भी नहीं सोचता और ऐसे में ये सब सडक़ों पर आंदोलनरत हैं। तो यह कहा जा सकता है कि ये लोग सिर पर कफन बांधकर आंदोलन की राह पर निकले हैं। आमतौर से देखा जाता है कि आंदोलन करने वालों के साथ समाज जुड़ता नहीं है, क्योंकि आज के समय में सभी अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं और उनकी दिनचर्या में कहीं कोई रुकावट आती है तो वह खीझने लगते हैं और रुकावट डालने वालों को कोसने लगते हैं परंतु इस किसान आंदोलन में जब दिल्ली के कई बॉर्डर एक तरह से सील हो गए हैं तो भी लोगों का समर्थन इस किसान आंदोलन के साथ है, जिसके प्रमाण यह मिल रहे हैं कि हर वर्ग किसी न किसी रूप में किसान आंदोलन की मदद करने को तैयार है। कुछ समाचार ऐसे भी मिले हैं कि गरीब गांवों से भी चंदा एकत्रित कर आंदोलनकारियों की मदद के लिए भेजा जा रहा है। बच्चे, युवा, महिला, पुरूष सभी की इच्छा यह लगती है कि हम किस प्रकार इनकी मदद कर सकें और इनकी सफलता के लिए दुआ कर सकें। यह आंदोलन कृषि अध्यादेशों के विरूद्ध है और वे अध्यादेश केंद्र सरकार लाई थी और कानून भी केंद्र सरकार ने बनाया था। अत: असली गुस्सा केंद्र सरकार के प्रति है। हरियाणा की बात करें तो हरियाणा में भी हरियाणा सरकार ने इस बिल को बिना वोटिंग कराए पास कर दिया था, जबकि यह माना जाता था कि यदि वोटिंग हुई तो जजपा, निर्दलीय और संभव है कुछ भाजपा के विधायक भी इसके पक्ष में मतदान न करते। जब तो यह बात आई-गई हो गई किंतु अब किसानों में इस बात का भी रोष है हरियाणा के किसानों में रोष बढऩे का कारण हरियाणा सरकार की कार्यशैली और उनके ब्यान बहुत जिम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री कहते रहे कि हरियाणा का किसान संतुष्ट है। कुछ इसी प्रकार की बात कृषि मंत्री और पूर्व कृषि मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष भी कहते रहे। इन सभी बातों से हरियाणा के किसानों में नाराजगी बढ़ी ही है। अब जब जनता की नाराजगी सरकार के प्रति बढ़े तो राजनैतिक दल इसका लाभ न उठाएं, ऐसा तो संभव होता नहीं। अत: सभी राजनैतिक दल इसका लाभ उठाने में सक्रिय हैं। इनेलो के अभय चौटाला आरंभ से ही किसानों के साथ होने का दावा करते हैं। उन्होंने तो जजपा पर प्रहार करते हुए यहां तक कह दिया कि ताऊ देवीलाल ने तो किसानों के लिए केंद्र के उपमुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया था तो यहां का उपमुख्यमंत्री किसान हितैषी होने का दावा और उनका वारिस होने का दावा करता है तो क्यों नहीं त्याग पत्र देकर सरकार से अलग होता आज कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि राज्यपाल के पास किसान मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाने के लिए पत्र लिखा है और अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की बात कही है। इसके पीछे भी लगता है लक्ष्य यही है कि हरियाणा सरकार जजपा की बैशाखियों पर टिकी है और जजपा अपने आपको किसान हितैषी भी कहती है और सत्ता में भी बनी हुई है। तो शायद उनका लक्ष्य यह रहा होगा कि सत्र में अपने आप पता लग जाएगा कि कौन किसानों के पक्ष में मतदान करता है और कौन विपक्ष में। तो यह आंख-मिचौनी की राजनीति सामने आ जाएगी। यह तो हुई मुख्य पार्टियों की बात। इसके अतिरिक्त कुछ लोग और भी राजनीति कर रहे हैं, जो मंचों, संगठनों और संस्थाओं आदि के सहारे चुनाव के लिए अपनी राह बना रहे हैं, उन्हें अब जब किसान आंदोलन की सफलता दिखाई दी तो पांचवें-छठे दिन से वे भी ब्यान देने लगे हैं किसानों के पक्ष में। Post navigation सियालकोट से दिल्ली और दिल्ली से देश विदेश तक एम डी एच किसान आंदोलन दसवां दिन…शनिवार को फिर फ्रंट पर फार्मर और सामने होगी सरकार