उमेश जोशी   

किसान आंदोलन में ऐसी चार खूबियाँ देखने को मिली हैं जो आज तक किसी आंदोलन में कभी एक साथ नहीं दिखीं। इस मायने में यह आंदोलन खास कहा जाएगा और इसे इतिहास के पन्नों  विशेष स्थान मिलेगा।

 इतिहास में यह पहला आंदोलन है जिसमें सरकार ने रास्ते बंद किए और आंदोलनकारी रास्ते खुलवा रहे थे। अभी तक उल्टा होता रहा है। आंदोलनकारी रास्ते बंद करते थे और सरकार रास्ते खुलवाती थी। हरियाणा सरकार ने इस आंदोलन में उल्टी रीत बनाई। सरकार ने अच्छी भली सड़कें  तोड़ कर गड्ढे खुदवा दिए। अपनी संपत्ति को सरकार ने खुद ही नष्ट किया। आंदोलनकारी जब सरकारी सम्पत्ति की तोड़फोड़ करते हैं तो आंदोनकारियों से नुकसान की भरपाई करवाने के आदेश दिए जाते हैं। यहाँ तो सरकार ने खुद ही अपनी संपत्ति बर्बाद की है। ऐसे में सरकार के मुखिया से नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए क्योंकि यह तुगलकी आदेश मुख्यमंत्री की सहमति के बिना नहीं दिया जा सकता।

हालांकि सरकार की इस अविश्वसनीय हरकत पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है।  अभी तक ऐसे आंदोलनों को जनसमर्थन या तो बिल्कुल नहीं मिलता था या बहुत कम मिलता था। लेकिन इस बार हर वर्ग किसानों के साथ खड़ा है। इतना भारी समर्थन कल्पना से परे है। यहाँ तक सरकारी  कर्मचारी और वकील भी एकजुटता का एलान कर चुके हैं। सरकार जिस आंदोलन को तोड़ना चाहती है उसके कर्मचारी उस आंदोलन को मजबूत करने में जुटे हैं। यह विरोधाभास पहली बार देखने को मिला है। 

पहली बार भारतीय किसानों के आंदोलन को विदेशों में प्रवासी भारतीयों का भारी समर्थन मिल रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में रैली कर किसान आंदोलन को समर्थन दिया जा रहा है। एकजुटता दिखाने वाले वीडियो वायरल हो रहे हैं। किसी भी आन्दोलन के लिए ऐसी एकजुटता पहले कभी नहीं देखी गई।

 चौथी खूबी यह है कि यह आंदोलन बहुत शांतिपूर्ण है। कोई तोड़फोड़ नहीं है, कोई हिंसा नहीं है। जनता को कोई तकलीफ नहीं है। बेहद अनुशासित आंदोलन है। इससे पहले कभी ऐसा अनुशासन देखने को नहीं मिला।

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