3 दिसंबर को फिर से किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच होगी बात.
अब कृषि कानूनों के हर मुद्दे पर एक-एक कर के विस्तार से बात होगी.
कृषि कानूनों की खामियों की सूची बना के केंद्र सरकार को सौंपेंगे.
किसान नेताओं ने मीटिंग के दौरान चाय ब्रेक का बहिष्कार किया

गुरूग्राम/नई दिल्ली। आंदोलनरत किसान नेताओं ने कहा कि देश के किसानों का केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है। प्रधानमंत्री के वाराणसी के भाषण पर किसान नेताओं ने कहा कि किसानों के प्रति पीएम की नीति और नीयत ठीक नहीं है और केंद्र सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है।

किसान नेताओं ने आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है। किसानों के  दिल्ली कूच और घेराव आंदोलन के चलते मंगलवार को केंद्र सरकार के निमंत्रण पर किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधियों की बैठक विज्ञान भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल एवम वाणिज्य राज्यमंत्री सोमप्रकाश के साथ हुई।

पंजाब के ’किसान नेता बलबीर सिंह राजोवाल’ ने दो टूक कहा कि ये नए तीन कृषि कानून पूंजीपतियों के इकोनॉमिस्ट के बनाये हुए हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन को शांतिपूर्ण चलाना हमारी जिम्मेदारी है और हम आगे भी चलाएंगे। उन्होंने कहा कि ये कृषि कानून मार्किटिंग सिस्टम को तोड़ने की साजिश हैं। उन्होंने अंत में कहा कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपना चाह रही है और इसके लिए सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है।

कृषि कानून किसानों की मौत का फरमान

मध्यप्रदेश के ’किसान नेता शिव कुमार कक्काजी’ ने कहा कि ये तीन कृषि कानून किसानों की मौत के फरमान हैं। उन्होंने कहा कि सभी किसान नेता बहुत समझदार हैं और वो जानते हैं कि इन कानूनों से किसानों को बहुत नुकसान हैं। उन्होंने आगे कि आने वाले समय में यह किसान आंदोलन जन आंदोलन बनने जा रहा है और बुआई के सीजन के बाद आंदोलन में धरने स्थल पर किसानों की संख्या कई गुणा बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के कमरों में बैठकर किसानों की नीतियां नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने अंत में कहा कि अब की बार मध्यप्रदेश में गेहूं, बाजरा, धान समर्थन मूल्य से बहुत कम पर बिका है और किसानों का शोषण हो रहा है।

तीन कृषि कानून किसानों पर थोपे

किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल’ ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिना किसी किसान संगठन से बात किये हुए ये तीन कृषि कानून किसानों पर थोपे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर, केरल, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक के किसानों ने भी धरने स्थल पर आना शुरू कर दिया है और इनकी संख्या आने वाले दिनों में बढ़ती जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांग पूरी नहीं करती है तो आने वाले समय में केंद्र सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

सरकार किसानों पर संवेदनशील नहीं

हरियाणा के ’किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी’ ने कहा कि जब से कृषि कानून आये हैं तब से सरकार दुष्प्रचार कर रही है कि इन कानूनों के बहुत फायदे हैं लेकिन किसान इस बात को अच्छे तरीके से जानते हैं कि ये कानून किसानों के लिए मौत के फरमान हैं। उन्होंने आगे कहा कि किसान 5 महीने से आंदोलित है और इतनी कड़कड़ाती ठंड में आंदोलन कर रहे हैं।

’किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहाना’ ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर संवेदनशील नहीं है, उन्होंने कहा कि कड़कड़ाती ठंड में बच्चे और बुजुर्ग किसान सड़कों पर हैं लेकिन सरकार असंवेदनशील तरीके से व्यवहार कर रही है।  किसान नेता हनानमौला’ ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

बैठक में मौजूद रहे किसान नेता

म्ंागलवार की बैठक में किसानों के प्रतिनिधमंडल में जगजीत सिंह दल्लेवाल, शिव कुमार कक्काजी, गुरनाम सिंह चढूनी, बलबीर सिंह राजोवाल, जोगिंदर सिंह उग्रहाना, कुलवंत सिंह संधू, बूटा सिंह, बलदेव सिंह निहालगढ़, निरभाई सिंह, रुलदू सिंह मानसा, मेजर सिंह पुन्नावल, इंदरजीत सिंह , हरजिंदर सिंह टांडा, गुरबख्श सिंह बरनाला, सतनाम सिंह पन्नू, कंवलप्रीत सिंह पन्नू, मंजीत सिंह राय, सुरजीत सिंह फूल, हरमीत सिंह, सतनाम सिंह सहानी, बोध सिंह मानसा, बलविंदर सिंह औलख, सतनाम सिंह बेहरु, बूटा सिंह सादीपुर, बलदेव सिंह सिरसा, जगवीर सिंह टांडा, मुकेश चंद्रा, सुखपाल सिंह डाफर, हरपाल सांगा, बलदेव सिंह मियांपुर, कृपाल सिंह नाथुवाला, परमिंदर सिंह पालमजरा, प्रेम सिंह भंगू, किरणजीत शेखों, हनानमौला मौजूद रहे।

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