कमलेश भारतीय बिग बी अमिताभ बच्चन चंडीगढ़ से मनाली तक का सफर हवाई जहाज से नहीं कर पाये खराब मौसम की वजह से । इसलिए कार से यह सफर तय करना पड़ा और इस सफर के दौरान उन्होंने न केवल खूबसूरती देखी बल्कि सादगी भी देखी और साथ ही विचार के लिए समय भी मिल गया भरपूर । उन्होंने लिखा कि दिमाग कुछ सोच रहा है , अंगुलियां कहीं और जा रही हैं : लगता है मुझे रिटायर हो जाना चाहिए । पूरे पचास साल फिल्मों में बिता लिए और अपने आदर्श दिलीप कुमार की तरह लगातार सक्रिय , सफल और लोकप्रिय रहे । पचास साल में एंग्री यंग मैन से लेकर कभी कभी के लवर ब्बाॅय व शायर तो अग्निपथ व अंधा कानून के विद्रोही नायक से बढ़कर बौने का रोल विद्या बालन से निभाने वाले बिग बी यों ही बिग बी नहीं बने । आज भी नयी नायिकाएं उनके साथ फिल्म करने का सपना देख रही हैं । करोड़पति में आने को तरस रही हैं । बिग बी ने भी लिखा कि मेरे रास्ते में आने वाले हर पड़ाव को मेरा धन्यवाद । यानी कुली की शूटिंग के दौरान बुरी तरह घायल होने और जिंदगी मौत से लडते नया जीवन पाने के बाद जाना कि कैसे सारा देश उनके लिए दुआएं कर रहा था । जब वे इंदिरा गांधी के प्रभाव से फिल्म उद्योग में आए तब उन्हें अपनी लम्बाई को लेकर बहुत कुछ सुनना पड़ा । कोई डायरेक्टर कहता कि जाओ हमें टैंट लगाने के लिए किसी ऐसे आदमी की जरूरत नहीं । कोई लम्बाई पर कहता कि नीचे से कट लगा कर आओ । मुश्किल से प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला ख्वाजा अहमद अब्बास की सात हिंदुस्तानी में । फिर भी बात नहीं बनी । सुनील दत्त की रेशमा और शेरा में भी रोल मिला । नेगेटिव रोल तक कर लिया और बोरिया बिस्तर बांध कर कोलकाता लौटने जा रहे थे जब जया भादुडी ने जंजीर फिल्म दिलवाई । जिसके लिए राजकुमारर जैसे हीरो इंकार कर चुके थे । मिताभ को लगा कि यही आखिरी मौका है और उन्होंने सर्वस्व झोंक दिया और फिर हिंदी फिल्मों को मिला एंग्री यंगमैन । रोमांटिक राजेश खन्ना की विदाई । लगातार पंद्रह हिट फिल्में देने वाला विदा और एक हिट फिल्म वाला हीरो । फिल्मी दुनिया इनकी ओर ही घूम गयी । शक्ति में दिलीप कुमार के बेटे की भूमिका तो मोहब्बतें में शाहरूख खान इनके बेटे के रोल में । ज़माना ऐसे बदलता रहा । करोड़पति ने बताया कि सिर्फ लिखे हुए संवाद ही नहीं बोलते बल्कि वे हरिवंश राय बच्चन के बेटे हैं और संस्कारित हिंदी बोल सकते हैं धाराप्रवाह । बहुत लोग इस हिंदी बोलने वाले के फैन हो गये । बहुत सारी प्रयोगात्मक फिल्में भी कीं । राजनीति का पड़ाव भी सुखद नहीं रहा । बालपन के सखा राजीव गांधी के प्यार में राजनीति में आए और इलाहाबाद से हेमवतीनंदन बहुगुणा को हरा कर लोकसभा पहुंचे लेकिन बोफोर्स ने राजनीति से विदाई के लिए विवश कर दिया । इस सारे मामले में सोनिया गांधी की बेरुखी के चलते परिवारों का रिश्ता खत्म हो गया और इतनी ही टिप्पणी की कि वे राजा हैं और हम रंक । बेशक जया बच्चन समाजवादी पार्टी से राज्यसभा में हैं लेकिन अमिताभ बच्चन गुजरात के ब्रांड एम्बेसेडर होने के कारण मोदी के मित्रों में शुमार । असल में थकान आई हर तरह के विज्ञापन करने से । इसलिए सोशल मीडिया पर कमेंट आया कि दीवार फिल्म में डायलाॅग बोलते हैं अमिताभ कि मैं आज भी फेंके गये पैसे नहीं उठाता लेकिन एक भी विज्ञापन हाथ से जाने नहीं देता । इन छोटे छोटे विज्ञापनों की बजाय सिर्फ चुनी हुई फिल्में करें तो विदाई लेने की जरूरत न रहे । आजकल आप कोरोना के लिए संदेश सुन रहे हैं कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं । इससे पहले पोलियो ड्राप्स और उससे भी पहले बंद दरवाजा यानी स्वच्छता अभियान की बात । अमिताभ करोड़पति के नये सीजन में भी जलवे बिखेर रहे हैं और अपना काम निरंतर कर रहे हैं । सैल्यूट । Post navigation किसान परेशान तो सरकार मस्त क्यों ? पिछड़ा वर्ग-ए को पंचायतीराज में 8 प्रतिशत आरक्षण देने पर मुख्यमंत्री का सामूहिक अभिनंदन