किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज, लाठी चार्ज करने, आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल को खेद प्रकट करना चाहिए – बजरंग गर्ग
किसान कोई आतंकवादी नहीं है जिस पर सरकार के इशारे पर पुलिस द्वारा जुल्म ढ़ाने का काम किया – बजरंग गर्ग
केंद्र व प्रदेश तानाशाही सरकार किसान, आढ़तियों व मजदूरों का आंदोलन कुचलने में लगी हुई है – बजरंग गर्ग
हरियाणा सरकार ने किसानों का शांतिप्रिय आंदोलन को कुचलने के लिए आंदोलन को भड़काने का काम किया – बजरंग गर्ग

चण्डीगढ़ – अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने किसान नेताओं से बातचीत करने के उपरांत कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा हजारों किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज करना लोकतंत्र की हत्या है। हरियाणा सरकार को तुरंत प्रभाव से किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों को वापिस लेते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री को पुलिस प्रशासन द्वारा लाठी चार्ज करने, आंसू गैस के गोले छोड़ने, झूठे मुकदमे दर्ज करने व नेशनल हाईवे सड़कों को तोड़ने व पुलिस द्वारा रास्ता रोकने के लिए खेद प्रकट करना चाहिए।

राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि किसान कोई आतंकवादी नहीं है जिन पर पुलिस द्वारा सरकार के इशारे पर निहत्थे किसानों पर जुल्मों को ढ़ाया गया है। आजाद भारत देश में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने व अपनी बात मनाने के लिए शांतिप्रिय आंदोलन करने का अधिकार है मगर केंद्र व हरियाणा की तानाशाही सरकार किसान, आढ़ती, मजदूर व आम जनता का आंदोलन कुचलना चाहती है। किसान देश का अन्नदाता है जो अपने पेट के लिए आंदोलन करके सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आंदोलन कर रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा उन पर झूठे मुकदमे दर्ज करके उन पर ज्यादति करना कहां का न्याय है। सरकार द्वारा की जा रही ज्यादति को देश की जनता किसी प्रकार सहन नहीं करेगी। सरकार द्वारा तीन कृषि काले कानून के खिलाफ आज किसान, आढ़ती, मजदूर व आम जनता पूरी तरह खफा है। जब तक कृषि काले कानून को केंद्र सरकार वापिस नहीं लेती तब तक किसान, आढ़ती व मजदूरों का आंदोलन देश व प्रदेश में जारी रहेगा।

राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि किसान द्वारा शांतिप्रिय आंदोलन को हरियाणा सरकार ने किसानों पर ज्यादति करके आंदोलन को भड़काने का काम किया। जिस प्रकार केंद्र व हरियाणा सरकार ने किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज करके लाठियां बरसाई है जो देश के इतिहास में काला दिन होगा, जबकि कृषि काले कानून को वापिस करने के लिए देश में प्रदेश का किसान 5 अप्रैल 2020 को कृषि संबंधित अध्यादेश जारी होते ही आंदोलन कर रहा है मगर सरकार ने किसानों की समस्या हल ना करके किसानों का बार-बार आंदोलन कुचलने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाने का काम किया। लाठी-डंडों से आंदोलन को कुचला नहीं जा सकता।

केंद्र सरकार को तुरंत प्रभाव से किसान नेताओं से बातचीत करके तीन कृषि काले कानून को वापिस लेकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए। तीन कृषि कानून देश और प्रदेश के किसान, आढ़ती व मजदूरों के खिलाफ है। इससे किसान ,आढ़ती व मजदूर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। जिसे देश की अर्थव्यवस्था पहले से ओर ज्यादा खराब होगी

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