26 नवंबर 2020 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया एक तरफ मोदी-भाजपा सरकार व हरियाणा भाजपा-जजपा-खट्टर सरकार संविधान दिवस मनाने की नौटंकी करती है, वही संविधान दिवस व संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर किसानों, मजदूरों के संवैधानिक अधिकारो पर डाका डालकर विरोध व अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचलने, दबाने के लिए सत्ता दुरुपयोग के सभी हदें पार करती है1

विद्रोही ने कहा कि अपने हकों की रक्षा के लिए संविधान दिवस पर किसानों के मोदी सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच कार्यक्रम पर जिस तरह हरियाणा में भाजपा-जजपा-खट्टर सरकार ने दमनात्मक रवैया अपनाया वह अंग्रेजी हकूमत के जुल्मों की याद ताजा करते हैं1 रात के मुंह अंधेरे में किसान नेताओं को उनके घरों, खेतों में छापामारी करके आतंकवादियों की तरह अवैध रूप से गिरफ्तार करना, नजरबंद करना कौन सा लोकतंत्रिक कदम है? संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर कुरुक्षेत्र व दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर भयंकर सर्दी में वाटर कैनिंग, लाठीचार्ज, बल प्रयोग करना जुल्म की इंतहा नहीं तो और क्या है? विद्रोही ने सवाल किया क्या दिल्ली जाकर तीन काले कृषि कानूनों की खिलाफत करना अपराध है? हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर, पंजाब-हरियाणा बॉर्डर व विभिन्न सड़क संपर्क मार्गों को सील करना कौन सा लोकतांत्रिक कदम है? क्या ऐसी फासिस्ट, जनविरोधी सरकार को संविधान दिवस मनाने का कोई नैतिक अधिकार है? जब केंद्र की मोदी-भाजपा सरकार व विभिन्न राज्यों की संघी सरकारें संविधान, लोकतांत्रिक परंपराओं, अभिव्यक्ति, विरोध के अधिकारो को का सम्मान ही नहीं करती तो संविधान दिवस मनाने का क्या औचित्य है?

विद्रोही ने सवाल किया क्या मोदी-भाजपा सरकार इस बात पर अपना आत्मविश्लेषण करेगी कि संविधान दिवस के दिन ही किसानों ने दिल्ली कूच कार्यक्रम क्यों रखा? वहीं विभिन्न सरकारी-अर्द्ध सरकारी, बोर्ड-निगमों-पीएसयू, बैंक कर्मचारी व विभिन्न औद्योगिक, असंगठित क्षेत्र के मजदूर, बेरोजगार युवा संविधान दिवस के दिन ही हड़ताल पर क्यों गए?

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