आठवां फेरा लेंगे बजरंग और संगीता

-कमलेश भारतीय

बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ । सिर्फ नारा है ? नहीं । पर इसे जब तक आमजन नही अपनाता तब तक नारा ही है । नारे किसी बात को प्रचारित करने के लिए बनाये जाते हैं । ताकि आमजन को किसी मुद्दे पर जागरूक किया जा सके । राजनीति तो चलती ही नारों और वादों पर है । लेकिन आज राजनीति नहीं सामाजिक बात करने का मन है ।

चरखी दादरी और विवाह में आठवां फेरा । एक दूसरे से जुड़े हुए हैं । हमारे प्रदेश में लड़के और लड़की का लिंगानुपात बड़ी चिंता का विषय रहा । लड़कियों की जन्म दर कम होती गयी और ऐसा भय सताने लगा कि यदि यही हाल रहा तो बहू कहां से लाओगे ? युवा समारोहों में अकसर ये हरियाणवी स्किट देखने को मिलती । मोल की बहुएं लाई जा रही हैं । यह हमारी सामाजिक गिरावट है । इस बात को स्वास्थ्य विभाग की बैठक में एक अधिकारी श्याम सुंदर ने बड़ी गंभीरता से लिया और विवाह में बेटी के जन्म के नाम पर आठवां फारा शुरू किया । आज यही फेरा पहलवान बजरंग पूनिया और संगीता फौगाट भी लेंगे ।

श्याम सुंदर हिसार और यमुनानगर में मिलते रहे और अपने इस अभियान की जानकारी देते रहे । पिता और मां के बीच लगातार लड़ाई से दुखी होकर मां से कहा कि छोड़ दो ऐसे आदमी को तो जवाब दिया मां ने कि सात फेरे लिए हैं , कैसे छोड़ दूं ? बस । यहीं से आठवां फेरा शुरू करने का मन बना लिया । बहुत विरोध भी झेला लेकिन जो विरोध से टूट जायें वो बदलाव नहीं ला सकते । इसलिए दृढ़ निश्चय जरूरी है । नारा लगाने से दिल से अपनाना जरूरी है । यह आठवां फेरा जारी रहे । फौगाट परिवार के बहाने यह बेटी बचाओ मुहिम आगे बढ़े ।

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