-कमलेश भारतीय

हमारे छोटे भाई राकेश तनेजा कोरोना ने लील लिया । बहुत दुखद । अभी कोई उम्र थी जाने की यार । मेरे पास आते थे शुरू के दिनों में और इजाजत,लेकर सिगरेट सुलगा लेते । कितनी छोटी सी खुशियां थीं । गुजवि में एक कैंटीन चलाने से लेकर जी न्यूज के स्टार बनने तक का सफर इन आंखों ने देखा पर देखा कि अपनी विनम्रता और अपनापन नहीं खोया ।

दैनिक भास्कर , हिसार में लगे तो हम परस्पर प्रतिस्पर्धी भी बने । खूब खूब कदम बढ़ाते रहे क्या इसीलिए कि सब कुछ कर जल्दी चले जाना था कहीं दूर हमसे ? यह तो चीटिंग है भाई । अभी तो नयी पारी की शुरुआत की थी । सैलजा के मीडिया सलाहकार बन कर । मैंने हिसार आने पल सैलजा जी के सामने ही बधाई दी थी । शुभकामनायें दी थीं । फिर हाल ही में सैलजा जी के आने पर राकेश को न देखकर पूछा था कि राकेश कहां रह गये ? बताया कि फरीदाबाद में है । अब कहां चले गये दोस्त? वो प्रिंस कुरूक्षेत्र का , इंतज़ार कर,रहा होगा जिसे बोरवेल से बाहर निकालने में कितनी लम्बी कवरेज की थी ?एक बार तो आओ यार । वादा था कि अगली बार आपके पास बैठ कर गप्पें लगाऊंगा । अब ऐसे रूठकर चल दिए । मैं राह देखता रह गया,,,,विनम्र श्रद्धांजलि ।

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