भिवानी/मुकेश वत्स

 मजदूर-किसान विरोधी कानूनों को रद््द करने, न्यूनतम वेतन 24000 रूपये लागू करने, नीजिकरण पर रोक लगाने, परियोजना कर्मीयों समेत कच्चे कर्मचारीयों को पक्का करने समेत सभी श्रम कानूनों को लागू करने आदि मागों को लेकर देश की सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी संगठनों के आह््वान पर होने वाली 26 नवम्बर की देशव्यापी हड़ताल में शामिल होगी परियोजना कर्मी।

यह निर्णय आज परियोजना कर्मियों (आगंनबाडी, आशा व मिड डे मील) की शहीद भगत सिंह यादगार भवन भिवानी में सम्पन्न हुई बैठक में लिया गया। आज की बैैैैठक की अध्यक्षता आंगनबाडी वर्कर्स एण्ड हैल्पर्स यूनियन की नेता बिमला बामला व मिड डे मील वर्कर्स यूनियन की जिला प्रधान बबली मोद ने की व संचालन सीटू जिला सचिव अनिल कुमार ने किया। बैठक को सीटू राज्य अध्यक्ष सुरेखा ने सम्बोधित करते हुए कहा की वर्तमान भाजपा सरकार महिला विरोधी हैं। देश व प्रदेश में अलग-अलग परियोजना में करोड़ो महिलाए काम करती हैं जो कई-कई साल से काम कर रही हैं बावजूद इसके इनको ना ही मजदूर माना जाता और ना ही कर्मचारी। सालों से समाज व सरकारों की सेवा करने के बावजूद इनको न्यूनतम वेतन तक भी नही दिया जा रहा है। मामूली वेतन देकर परियोजना कर्मीयों का भारी शोषण किया जा रहा है।

भाजपा सरकार ने कोरोना का बहाना बनाकर किसान मजदूरों के कानूनों में मजदूर, किसान व कर्मचारी विरोधी बदलाव करके ना केवल मजदूर किसान को गुलाम बनाने की तैयारी की जा रही हैं। रेलवे, बैंक, बीमा, कोयला, बिजली समेत अन्य सावृृजनिक क्षेत्र को कोडिय़ों के भाव में पूंजिपतियों के हवाले किया जा रहा है। केन्द्र सरकार ने मजदूर-किसान विरोधी कानून लाकर मजदूरों के श्रम कानूनों में बदलाव कर किसानों व मजदूरों के साथ-2 पूरी मेहनतकश जनता पर हमले बढ़ा रही है, जहां एक तरफ मजदूरों को दोबारा दास्ता की ओर ले जाएगा। वही किसानो के खिलाफ बनाये कानून से आम जनता का जीवन कष्टमय हो जाएगा और संकट बढ़ जायेगा। किसानो कि फसल ओने-पोने दामों पर खरीदी जायेगी वही दूसरी ओर काला बाजारी को बढ़ावा मिलेगा व खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।

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