कमलेश भारतीय आज सबसे दुख की बात यह है कि पत्रकारिता में जन सरोकार खत्म हो गये । पहले की तरह अन्वेषण और शोध की परंपरा भी नहीं रही । अब पत्रकार साक्षी नहीं होते । दूसरों से जानकारी जुटा कर दूसरों की नजरों से सभी का लिख रहे हैं । यह कहना है नेशनल बुक ट्रस्ट की पत्रिका पुस्तक संस्कृति के संपादक व विविध विषयों पर लिखने वाले पंकज चतुर्वेदी का । वे मूलतः मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के निवासी हैं । वहीं गणित में पोस्ट ग्रेजुएट हुए और जनसंचार में भी । कुछ वर्ष एसिस्टेंट प्रोफेसर । फिर पत्रकारिता में आए । -कहां कहां काम किया?-जागरण , जनसत्ता और दिल्ली प्रेस में । -आज की टीवी पत्रकारिता के बारे में क्या राय है ?-टी वी पर समाचार नहीं रह गये । नयी पीढ़ी को सूचना को समाचार बनाना नहीं आता । टी वी चैनल्ज पर बहस का एजेंडा कहीं और से तय होता है । फिर ये बहस के शोज में नतीजा कोई नहीं । बस चिल्ल पों ही सुनाई देती है । यह कुहासा छंटना चाहिए । -नेशनल बुक ट्रस्ट में कब से ?-सन् 1994 से । -क्या मुख्य उद्देश्य मानते हैं नेशनल बुक ट्रस्ट का ?-प्रकाशक व प्रकाशन को प्रोमोट करना । नया प्रकाशनों की जानकारी देना । -पुस्तक संस्कृति कब से प्रकाशित हो रही है ?-सन् 2016 से । पूर्व चेयरमैन बल्देव शर्मा का विचार था कि जब हर संस्था की अपनी पत्रिका है तो नेशनल बुक ट्रस्ट की भी होनी चाहिए । हम निजी प्रकाशकों की कृतियों की भी इसमें समीक्षा देते हैं । छोटे व नये प्रकाशकों को प्राथमिकता देते हैं । -आपने सभी विधाओं में लेखन किया है । आपको मुख्य तौर पर किस विधा का लेखक माना जाये -मेरी रूचि है पानी और पर्यावरण में । पारंपरिक जल स्त्रोत में । दूसरी रूचि बाल साहित्य में । -कौन कौन से मुख्य पुरस्कार ?-डाॅ हरे-कृष्ण देवसरे बाल साहित्य पुरस्कार । सपरे संग्रहालय पुरस्कार और माखन लाल चतुर्वेदी सम्मान सहित अनेक पुरस्कार । -पुस्तक संस्कृति का उद्देश्य ?-नये रचनाकारों को मंच प्रदान करना । वैसे तो लेखक लेखक होता है । हर रचनाकार से श्रेष्ठ लिखवाना । -अब क्या लक्ष्य ?-शहीद भगत सिंह के समकालीन लोगों से बातचीत कर एक पुस्तक लिखना और पंडित जवाहर लाल नेहरु के ऊपर चले मुकद्दमे पर एक पुस्तक लिखना । इनमें मज़े से पांच साल निकल जायेंगे । फिर अगला लक्ष्य सही । हमारी शुभकामनाएं पंकज चतुर्वेदी को । आप उन्हें इस मोबाइल पर सम्पर्क कर सकते हैं : 9891928376 Post navigation धोनी के बाद विराट आलोचना के घेरे में पहली बेटी हूं , आखिरी बेटी नहीं