गुरुग्राम, 08 नवम्बर, 2020 – ऊर्जा समिति ने आगामी 14 नवम्बर को दीवाली के पावन त्यौहार की सभी को बधाई देते हुए सभी से स्वयं ही स्वच्छता का प्रमाण देने की अपील की है। त्यौहार मनाना परम्परा है तो इसे पर्यावरण अनुकूल बनाना हमारा ही दायित्व है। वातावरण को स्वच्छ रखना, सरकार व प्रशासन द्वारा लागू किया जा रहा है मगर इसे अमल में लाना हम सब का कर्त्तव्य है।

ऊर्जा समिति के महासचिव संजय कुमार चुघ ने कहा कि हमें पर्यावरण में संतुलन बनाते हुए स्वच्छ व प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के साथ साथ ऊर्जा को भी बचाना है। वाहनों का धुआं बहुत हानिकारक है और सर्द मौसम में इसका स्तर ओर बढ़ जाता है, सभी ने मिलजुलकर इसे नियंत्रित करना है। विश्व भर में फैली कोरोना महामारी में प्रदुषण जानलेवा हो सकता है।

महासचिव ने शनिवार को मनाई राहगिरी में भी बताया कि खतरनाक बमों व पटाखों से त्यौहार मनाना अनिवार्य नहीं हैं, अपनी खुशी का इजहार तो दूसरों में खुशियां व प्यार बांटकर कर सकते हैं। लोग अपने पैसों को व्यर्थ न करके शांति और सौहार्द भरे माहौल में दीवाली मनाएं। स्वयं धुआं और धमाका मुक्त त्यौहार मनाने के लिए जागरूक रहें, इसके साथ-साथ अन्य लोगों को भी जागरूक करें।

दीवाली त्यौहार का वास्तविक आनंद तो परम्परा और पर्यावरण में संतुलन रखते हुए स्वच्छता के वातावरण में ही आएगा। पर्यावरण संतुलन के मध्यनज़र हम सब को मिलकर ही प्रत्येक के स्वस्थ हित में कार्य करना है, कोरोना महामारी में तो यह अपरिहार्य हो गया है। 

उन्होंने बताया कि दीवाली पर लोग अपने घरों को बड़े बल्बों व फोकस लाइटों के स्थान पर कम वाट की एलईडी व स्लिम लाइटों का इस्तेमाल करें। इससे बिजली की खपत कम होगी और पर्यावरण संतुलित होगा। ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है इसीलिए बचत को साधन बना कर ऊर्जा की मांग व आपूर्ति में समन्वय स्थापित किया जा सकता है।

ऊर्जा समिति के महासचिव ने सतर्क किया कि धुऐं से दमा, ब्रोंकाईटिस, चरमरोग और दिल का दौरा पडने जैसी अन्य अनेक बीमारियां पैदा होती है। पटाखे छोडने से प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ जाता है जोकि बहुत हानिकारक है। इससे आप और हम सबने मिलकर ही छुटकारा पाना हैं।

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