नया तुगलकी फरमान- सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS की फीस 40 लाख की. खट्टर- दुष्यंत सरकार का युवा विरोधी चेहरा हुआ बेनकाब

08-11-2020, चंडीगढ़ – खट्टर-दुष्यंत सरकार के नए ‘तुगलकी फरमान’ ने हरियाणा के गरीब विद्यार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना तोड़ दिया है। 

खट्टर सरकार आए दिन एक नया युवा विरोधी कदम उठाकर हरियाणा में अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों और गरीबों पर नित नए प्रहार कर रही है। अभी तक SC वर्ग छात्रवर्ति के घोटाले की जांच पूरी नहीं हो पाई है और न ही कोई दोषी पाया गया है। उल्टा SC छात्रों का नया वजीफा भी बंद कर दिया गया है। इसी प्रकार से हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन में 14 से अधिक ‘पेपर लीक घोटाले’ हो चुके, जिस पर आज तक न किसी को सजा मिली और न ही कोई दोषी पाया गया। 

यही नहीं, खट्टर सरकार ने नौजवानों की नई नौकरियों में भर्ती पर पहले संपूर्ण प्रतिबंध लगा दिया तथा घोर विरोध के बाद प्रतिबंध तो वापस ले लिया पर वास्तविकता यह है कि हरियाणा के युवाओं को सरकारी नौकरियाँ नहीं दी जा रही। 

देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी की दर भी हरियाणा में है, जो 33.5 प्रतिशत आंकी गई है। एक तरफ सरकारी नौकरियाँ नहीं और दूसरी तरफ स्कूल-कॉलेजों की फीस बेतहाशा बढ़ाई जा रही है।

खट्टर सरकार ने अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS की पढ़ाई को अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्गों और गरीबों की पहुंच से बाहर कर दिया है। आइए, इस बारे सिलसिलेवार तथ्य जानते हैं:-

. हरियाणा में सरकारी मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई की फीस 53 हजार रुपए सालाना थी। इसके साथ 15-20 हजार हॉस्टल की फीस होती थी।

खट्टर सरकार ने ये सालाना फीस 10 लाख रुपए साल कर दी है और 4 साल में अब यह फीस 40 लाख रुपए प्रति विद्यार्थी होगी।  2. यही नहीं, हर विद्यार्थी को 3,71,280 रुपए फीस अपनी जेब से देनी होगी और इसके साथ-साथ 36,28,720 रुपए लोन चुकाना होगा। इस प्रकार यह कुल राशि 40 लाख रुपए होती है। 

इस लोन पर 7 साल के ब्याज की राशि अगर 6 प्रतिशत सालाना के हिसाब से लगएं तो हर विद्यार्थी को लगभग 55 लाख रुपए MBBSके चार साल के लिए चुकाने होंगे। 3. हरियाणा में निजी मेडिकल कॉलेज में 4 साल की MBBS की फीस 15 लाख से 18 लाख रुपए है पर सरकारी मेडिकल कॉलेज में अब यह 40 लाख रुपए होगी और ब्याज सहित 55 लाख रुपए होगी। 4. नतीजा साफ है। गरीब के बेटा-बेटी की पहुंच से MBBS की पढ़ाई बाहर हो जाएगी और MBBS की जो पढ़ाई गरीब विद्यार्थी लगभग 3 लाख रुपए में पूरी कर लेता था, उसे अब 40 लाख रुपए व ब्याज देना पड़ेगा।

कारण साफ है, खट्टर सरकार सब गरीब विद्यार्थियों को प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की ओर धकेलना चाहती है ताकि वो वहाँ दाखिला लें और प्राईवेट कॉलेज 18 लाख फीस तथा ऊपर की कमाई कर पाएं। 

खट्टर सरकार का यह निर्णय युवा विरोधी व गरीब विरोधी है तथा प्राईवेट कॉलेजस की मदद के लिए किया गया है। इस षड़यंत्रकारी फैसले को बगैर किसी देरी के वापस लिया जाना चाहिए। अगर खट्टर सरकार इसे वापस नहीं लेती तो उसे पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। 

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