Haryana Chief Minister Mr. Manohar Lal addressing Digital Press Conference regarding preparedness to tackle Covid-19 in the State at Chandigarh on March 23, 2020.

7 नवम्बर 2020 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर जी के 7 जुलाई 2015 को मनेठी में एम्स खोलने की घोषणा के बाद से अब तक का भाजपा सरकार का रवैया खुद प्रमाण है कि वह एम्स खोलने की बजाय इसे लटकाने का कुप्रयास करती आ रही है।

विद्रोही ने कहा कि पहले एम्स खोलने की घोषणा को मुख्यमंत्री खट्टर जी जुमला जता चुके, फिर जनदबाव में एम्स निर्माण प्रस्ताव 28 फरवरी 2019 को केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने पारित किया। पर केन्द्रीय केबिनेट के प्रस्ताव के लगभग 21 माह बाद भी स्थिति जस की तस रही। मनेठी में एम्स के लिए हरियाणा सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 अनुसार जमीन अधिग्रहण करने की बजाय पोर्टल-पोर्टल का खेल खेलती रही। सरकार की सोच थी कि किसान इस कुचक्र में फसेंगे और जमीन नही मिल पायेगी और वह इस मुद्दे को फिर से लटका देगी। लेकिन किसानों ने भाजपा सरकार की मंशा को धाराशाही करते हुए माजरा गांव में पोर्टल पर एम्स के लिए अपेक्षित जमीन भी दे दी।

विद्रोही ने कहा कि पहले मुख्यमंत्री खट्टर जी किसानों के साथ रेवाड़ी रेस्ट हाऊस की बैठक में पोर्टल पर दी जाने वाली जमीन का मुआवजा 50 लाख रूपये प्रति एकड के हिसाब से देने की मौखिक हामी भर चुके, पर लगता है कि मुख्यमंत्री की यह कथित सहमति भी लोगों का एम्स निर्माण न होने पर पनपे रोष को कम करने की रणनीति थी। अब सरकार कह रही है कि क्या तो एम्स के लिए जमीन 29 लाख रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से दो अन्यथा सरकार इस प्रोजेक्ट को मसानी या कहीं अन्य स्थानातंरित कर सकती है। जबकि माजरा में एम्स के लिए मिलने वाली 200 एकड जमीन में 75 एकड जमीन ग्राम पंचायत की है जो सरकार को मुफ्त मिल रही है।

किसनों का केवल 125 एकड़ जमीन का मुआवजा देना होगा। यदि 125 एकड़ जमीन का मुआवजा 50 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से सरकार दे तो यह 200 एकड़ जमीन के प्रति एकड़ 30 लाख रूपये के मुआवजा के बराबर ही होगा। फिर सरकार किसानों को 50 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने से क्यों भाग रही है जबकि उसको 75 एकड़ जमीन मुफ्त मिलने के बाद एक अतिरिक्त पैसा भी खर्च करना नही पड़ रहा।

विद्रोही ने सरकार के इस रवैये को एम्स के नाम पर किसानों की जमीन सस्ते से सस्ते में हडपने की ब्लैकमेलिंग बताया। सरकार का यह रवैया अनुचित व अनैतिक है। एम्स के नाम पर इस तरह की ब्लैकमेलिंग करना अलोकतांत्रिक रवैया तो है ही साथ में यह भी बताता है कि हरियाणा भाजपा सरकार लोकतांत्रिक, जनकल्याकारी सरकार होने की बजाय व्यापारियों की ऐसी दलाल सरकार है जो सत्ता दुरूपयोग से आमजनों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर ठगती है।

सवाल उठता है कि यदि भाजपा सरकार दक्षिणी हरियाणा में एम्स बनाने के प्रति गंभीर व ईमानदार है तो उसे माजरा के किसानों को एम्स के लिए जमीन का मुआवजा 50 लाख रूपये प्रति एकड़ से देने में आपत्ति क्या है? जबकि यदि  इसी जमीन को भूमि अधिग्रहण कानून 2013 अनुसार अधिग्रहित किया जाये तो मुआवजा एक से डेढ़ करोड़ रूपये प्रति एकड़ की दर से बनता है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वे किसानों को विकास, एम्स के नाम पर ठगने व ब्लैकमेलिंग करने की बजाय उन्हे 50 लाख रूपये प्रति एकड की से एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का मुआवजा देकर माजरा में एम्स निर्माण का रास्ता साफ करके 5 साल 4 माह पूर्व मनेठी में एम्स बनाने की अपने सार्वजनिक वचन का पालन करे। 

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