हिसार। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन हरियाणा के युवा प्रदेश पूर्व अध्यक्ष विरेंद्र नरवाल ने कहा कि 5 नवंबर कोकाले कानून के खिलाफ  चक्का जाम किया जा रहा है। इसमें किसान बढचढ कर हिस्सा लेगें। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानो के खिलाफ तीन अध्यादेशों का काला कानून लागू किया है जो किसानों को बर्बादी तक पहुचाएगा। उन्होंने कहा कि देश का किसान पहले से ही कोडिव की मंदी झेल रहा है किसान तीन अध्यादेश कानून को झेलगे जिससे किसान और ज्यादा आर्थिक मंदी का शिकार होगा। उनकी मांग है कि अध्यादेश के कालू कानून भाजपा सरकार वापस लेना चाहिए और किसानों के हक में नई योजनाए लागू की जानी चाहिए।

 उन्होंने कहा कि तीन अध्यादेशों का कानून पारित किया है यह किसानों के लिए आए है ये तीनो तीनो बिल्कुल किसान को खत्म कर देने वाले कानून हैं। किसान कर्ज वापसी न कर पाने की स्थिति में  अपनी जमीन बेचने व आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है। पूर्व अध्यक्ष विरेंद्र नरवाल ने कहा कि इस के तहत  एक देश  एक कृषि मार्किट बनाई है इससे किसानों को भारी नुक्सान होगा।

  ध्यान रखने योग्य बात यह भी है कि केंद्र सरकार ने इस बात की कोई गारंटी नहीं दी है कि प्राइवेट पैन कार्ड धारक व्यक्ति  कम्पनी या सुपर मार्किट द्वारा किसानों के माल की खरीद डैच समर्थन मूल्यद्ध पर होगी। केंद्र सरकार के इस अध्यादेश से सबसे बड़ा खतरा यह है कि जब फसलें तैयार होंगी उस समय बड़ी.बड़ी कम्पनियां जानबूझकर किसानों के माल का दाम गिरा देंगी एवम उसे बड़ी मात्रा में स्टोर कर लेंगी जिसे वे बाद में ऊंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगी।  

विरेद्र नरवाल ने कहा कि उन्होने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार किसानों की मांगों को अनुसना कर तानाशाही का परिचय दे रही है। किसानों की दैनिक खरीद से सम्बंधित व अन्य समस्याओं को हल नहीं किया जा रहा और आंदोलन को मजबूर किसानों पर मुकदमें बनाये जा रहे है परंतु अब किसान कृषि कानून रद्द न होने तक आंदोलन से पीछे हटने वाले नहीं है। देश व प्रदेश भर में सभी किसान संगठन अब एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहे हैं।

 उन्होंने बताया कि किसानों को जागरूक करते हु से 9 नवम्बर तक गांवों में जत्थे निकालेगी व 5 नवम्बर को प्रदेश भर में रास्ते बंद किए जाएंगे। हरियाणा के भी किसान संगठन एकजुट होकर 9 नवम्बर को कानूनों के हिमायती मुख्यमंत्री मनोहर लाल  करनाल घेराव किया जाएगा। इसके बाद सभी किसान संगठन 26 व 27 नवंबर को प्रदेश दिल्ली में किसान डेरा डालेगे। कसानों ने कहा कि पराली के कानून को लेकर कहा कि सरकार ने एक चौट मार दी है इससे किसानों में और ज्यादा रोष है। उनकी मांग है कि स्वामी नाथन  की रिपोर्ट लागू की जानी चाहिए।

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