उमेश जोशी

जागसी हमेशा याद रहेगा; कभी नहीं भूल पाएंगे बीजेपी के दिग्गज। जीत के लंबे चौड़े दावे करने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जागसी को कैसे भुला पाएंगे जहाँ  गाँव वालों ने उनकी एक नहीं सुनी; वोटों की अपील के दौरान हुड़दंग किया; फिर रास्तों पर डेरा जमा दिया। नतीजतन, मुख्यमंत्री के काफिले को निकलने के लिए रास्ता भी नहीं मिला। मुख्यमंत्री के साथ बीजेपी के कई नेता और इनसो के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह भी थे। अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला इलाके में अलग से अपनी डफली बजा कर बीजेपी उम्मीदवार के लिए वोट मांग रहे हैं। दुष्यंत चौटाला आज ही इलाके में गए हैं।   

 दिग्विजय ने जनता से हो-हल्ले के बीच अपील की कि यूँ तो बीजेपी के उम्मीदवार योगेश्वर दत्त भारी मतों से चुनाव जीत रहे हैं लेकिन आप उन्हें समर्थन देकर और अधिक मतों से विजयी बनाएँ। वो एक सप्ताह से इलाके में घूम रहे हैं। गाँव वालों की हूटिंग के दौरान दिग्विजय चौटाला का यह कहना कि योगेश्वर दत्त भारी मतों से जीतेंगे, किसी बड़े मज़ाक से कम नहीं लग रहा था। मजबूरी क्या नहीं करवाती। सत्ता का सुख भोगना है तो जेजेपी के नेताओं को बीजेपी के सुर में सुर मिला कर राग जयजयवंती गाना पड़ेगा। अजय चौटाला और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, उनके छोटे भाई दिग्विजय चौटाला समेत जेजेपी के सारे कारिंदे जीत का दावा कर रहे हैं क्योंकि बीजेपी ऐसा ही कहलवाना चाहती है। धरातल पर काँग्रेस की धमक है, एक साधारण व्यक्ति भी देख पा रहा है लेकिन जेजेपी के किसी नेता को कुछ नहीं दिख रहा है। दिखेगा भी नहीं, क्योंकि उन्हें बीजेपी के पास कोई जीत का मंत्र या जादू दिखाई दे रहा है।  

  एक ओर जागसी की घटना है तो दूसरी ओर योगेश्वर दत्त के पैतृक गाँव भैंसवाल में जो हुआ उस पर गौर करें तो तस्वीर और साफ हो जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भैंसवाल पहुँचे। गाँव वालों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्हें चौधर की निशानी हुक्का और गदा भेंट की और पगड़ी पहना कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री को भी वो सम्मान नहीं मिल रहा जो पूर्व मुख्यमंत्री को मिल रहा है। सम्मान मिलना तो बहुत दूर, उन्हें जागसी में हूट किया गया; कोई उनकी बात नहीं सुन रहा था।    

बीजेपी के नेता कह रहे थे कि भूपेंद्र हुड्डा भैंसवाल में जाएँगे तब पता चलेगा कि उनकी क्या साख है। सभी भाजपाइयों ने हुड्डा की साख देख ली है। तस्वीर के दो रूख देखने को मिले। क्या वहाँ के हालात बयां करने को यह तस्वीर पर्याप्त नहीं है? इसके अलावा राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा जहाँ भी गए हैं, जनता ने पलकों पर बैठाया है। भव्य स्वागत कर जनता उन्हें भी सम्मानित कर रही है। 

बीजेपी की दयनीय हालत से उसके अपने नेता भी वाकिफ हैं। स्टार प्रचारक बरोदा जाने से कतरा रहे हैं। बीजेपी के स्टार प्रचारक सांसद संजीव बाल्यान अभी तक प्रचार के लिए नहीं गए हैं। योगेश्वर दत्त के पर्चा भरने के समय भी नहीं थे। शायद उन्हें ज्ञान हो गया है कि वहाँ मेहनत करना फिजूल है। खुद मुख्यमंत्री इलाके में कल ही पहुंचे हैं। जो चुनाव नाक का सवाल बन गया हो वहाँ बहुत पहले मुख्यमंत्री को पहुँचना चाहिए था। यही हाल उपमुख्यमंत्री का है। उन्होंने आज ही मतदाताओं को शक्ल दिखाई है। दुष्यंत चौटाला ने वोट मांगते समय कितनी हिम्मत दिखाई होगी। ठीक एक साल पहले दुष्यंत चौटाला ने जिस बीजेपी को कोस कर अपने उम्मीदवार के लिए वोट मांगे थे आज उसी बीजेपी की तारीफ कर वोट मांगे। बीजेपी ने ऐसा क्या कर दिया कि दुष्यंत चौटाला को एक साल पहले की कोई बात याद नहीं है और बीजेपी की एक भी खामी नज़र नहीं आ रही है। 

 आज चौटाला परिवार की मजबूरी का प्रदर्शन पूरे इलाके में हो रहा है। चौधरी देवीलाल की तीन पीढ़ियाँ उस बीजेपी के लिए वोट माँग रही हैं जिसे ताऊ पसंद नहीं करते थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि  बीजेपी राजनीतिक दलों के लिए पनौती है यानी जिसके साथ भी बीजेपी ने समझौता किया उसी को खा गई। बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी, कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित काँग्रेस और इनेलो जीते जागते उदाहरण हैं। पहली दो पार्टियाँ समूल खत्म हो गई हैं; आज कोई नामोनिशान है। तीसरी पार्टी इनेलो अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। अब बारी जेजेपी की बात रहे हैं। जेजेपी के अजय चौटाला अपने दोनों बेटों के साथ उसी पार्टी की मदद के लिए निकले हैं जिसका पार्टी मिटाने का इतिहास रहा है।

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