बैठक में नहीं पहुंचे कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, तो मीटिंग से बाहर आए किसानों ने फाड़ी बिल की कॉपी, मचा बवाल

15 अक्टूबर 2020. स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मोदी-भाजपा सरकार व संघी सत्ता मद में इस कदर चूर हो गए है कि बुधवार को केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर द्वारा पंजाब के किसानों को किसान बिलों पर चर्चा के लिए बुलाने के बाद भी खुद बैठक से गायब हो गए और अपनी जगह केन्द्रीय कृषि सचिव को बैठक में भेजकर ना केवल किसानों का अपमान किया अपितु यह भी संकेत दिया कि मोदी सरकार को किसान आंदोलन की कोई चिंता नही है।

विद्रोही ने कहा कि जो मोदी सरकार सत्ता में मद में इतनी चूर हो कि किसानों की बैठक बुलाकर भी कृषि मंत्री दिल्ली में मौजूद रहते हुए भी बैठक से किनारा करे व उसी समय कृषि राज्यमंत्री पंजाब में वर्चुअल रैली के माध्यम से आंदोलनकारी किसानों की आलोचना करे, ऐसी किसान विरोधी अहंकारी सरकार से किसी भी तरह की किसान हित की आशा बेमानी है। मोदी-संघी सरकार का रवैया बताता है कि माईवे इज हाईवे अर्थात जो हम कह रहे है, वही ठीक है। हमे किसी के विरोध की कोई चिंता नही।

 विद्रोही ने कहा कि ऐसी स्थिति में किसानों ने यदि संघी सरकार का घमंड तोडक़र उसे उसकी हैसियत नही दिखाई तो आने वाला समय किसान, मजदूर, गरीबों, शोषितों, वंचितों के लिए बहुत ही कष्टदायी होगा। हरियाणा में किसानों के सामने संघीयों को करारा सबक सिखाने का मौका बरोदा विधानसभा का उपचुनाव है। बरोदा उपचुनाव संदर्भ में मुख्यमंत्री, मंत्रीयों व भाजपा सांसदों, विधायकों, नेताओं के जो लम्बे-चौड़े अहंकारी बयान रोज मीडिया में आ रहे है, उससे साफ दिख रहा है कि भाजपा को अपनी बांटो व राज करो की अंग्र्रेजी हुकूमत की नीति पर इतना भरोसा है कि उन्हे न तो किसान आंदोलन की परवाह है और न ही अपनी जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आमजनों के विरोध की।

विद्रोही ने कहा कि भाजपा बरोदा उपचुनाव जीतने के लिए सत्ता दुरूपयोग से मतदाताओं को जातिवाद में बांटकर प्रलोभन व अफसरों द्वारा सत्ता दुरूपयोग के बल पर चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। यदि बरोदा की छत्तीस बिरादरी की जनता ने एकजुट होकर जनविरोधी सत्ता अहंकारी, षडयंत्रकारी भाजपा को सबक नही सिखाया तो आने वाला समय हरियाणा के मेहनतकश वर्ग के लिए बहुत ही भारी पड़ेगा।