हांसी ,11 अक्तूबर । मनमोहन शर्मा 

 हरियाणा के हिसार शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी  न्याय प्रिय और साहित्य व कला में गहरी रुचि रखने वाले राहुल तायल हमारे बीच नहीं है परंतु आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए। उनकी जंयती पर हिसार सहित हरियाणा में अलग.अलग स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें लोगों ने पहली जयंती पर  श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। राहुल देव तायल की जयंती के अवसर पर हिसार शहर में समाजसेवी संस्थाओं के लोगों ने फल फूट वितरित किए मिठाइयां बाटी गई ।

   हिसार के डीएन कालेज रोड पूर्व सांसद रामजीलाल,   अधिवक्ता प्रमोद बाडगी, सेवानिवृति अधिकारी होशियार सिंह, टीनू जैन, पार्षद, सुशील जलवा पार्षद प्रतिनिधि ललीत गोयका, सुरेदं्र सैनी, शालू  राधेश्याम आर्य ने जयंती पर फूलों से श्रदाजलि अर्पित की। पटेल नगर में सुदर्शन तनेजा, हरीश गांधी पंकज कोच, ग्रीन स्केयर मार्किट निति आहूजा, डा. विजय खेडा, रोहित, पडाव चौक पर पूर्व चेयरमैन भूपेदं्र गंगवा, सोनू गुज्जर, राजेदं्र सैनी, रमेश वत्स, मनीद्रर सरदार, आजाद नगर में रमित शर्मा, राजेश ढाडा, दिलबाग बैनीवाल, इंडीस्ट्रीय ऐरिया में कर्ण, प्रवीन जैन, प्रदीप सैनी, जगमोहन मिलत पार्षद,    जुगलान सज्जन, कृष्ण, सहित जंयती मनाई

राहुल तायल के बारे में जानकारी

राहुल तायल हिसार शहर के जाने माने परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता बलदेव तायल हरियाणा सरकार में मंत्री थे और वकील थे। राहुल की मां भी विख्यात समाज सेविका थीं। उन्होंने हजारों महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाने का काम किया। इतने संपन्न और नामवर परिवार के होते हुए भी उनमें जरा सा भी अहंकार नहीं था। उनके पास जो भी मदद कि अपेक्षा लेकर आतेए उनकी मुराद पूरी कर देते थे। राहुल भी पढ़े लिखे और संवेदनशील थे। सज्जनता उनमें कूट कूट कर भरी थी। उनमें साहसिक ता भी थी। वे अंधविश्वास के खिलाफ थे और तर्कशील और विज्ञान सम्मत विचारों के आधार पर ही फैसला लेते थे।

बहुआयामी रुचियों वाले व्यक्तित्व थे। राहुल के पिता बलदेव तायल राजनीति में थे और मंत्री भी बने  थे। उनका रुतबा था। लेकिन इन सब स्थितियों में भी राहुल सहज सरल थे। उनकी जीवन शैली और सोच बनावटी और दिखाऊ नहीं थी। सबके साथ घुल मिल जाने वाले राहुल तायल कभी राजनीति में भी सक्रिय हुए। चुनाव भी लडे पर कामयाब नहीं हुए। उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व और अद्भुत कार्य किया। ससुराल में जला दी गई लड़कियों का जीवन बचाने और उनके पुनर्वास के लिए कार्य किएए जो एक मिसाल है। आमतौर पर ससुराल में जला दी गई लड़कियां बच नहीं पाती थीं क्योंकि अधिकतम लड़कियां ज्यादा फीसदी जला दी गई होती हैं और समय पर चिकित्सा उपलब्ध नहीं होने के कारण ज्यादातर की मौत हो जाती हैं। राहुल तायल ने 85 फीसदी जली कविता नाम की लड़की की जान बचाई। इसके बाद ऐसी मुश्किलों से घिरी कई लड़कियों को बचाने और पुनर्वास के प्रयास किए। उन्होंने हिसार शहर में कभी सफाई अभियान भी चलाया। तब कोई राष्ट्रव्यापी सफाई अभियान भी नहीं चल रहा था। लेकिन वे अपने शहर हिसार और वहां के लोगों को प्यार करते थे। सम्मान देते थे।

राहुल तायल प्रचार के भूखे नहीं थे। लोगों की भलाई का कार्य करते रहते थे लेकिन उसका श्रेय लेने की होड़ में कभी नहीं रहे। उन्होंने किसी सामूहिक कार्यों का अकेला श्रेय लेने का भी कभी प्रयास नहीं किया। लाला लाजपत राय का उनके घर आना जाना होता था। बाद में बड़े बड़े राजनेता के संपर्क में भी रहे लेकिन उन्होंने किसी से कोई राजनीतिक लाभ उठाने का भी प्रयास नहीं किया। विख्यात साहित्यकार विष्णु प्रभाकर भी इनके परिवार से जुड़े थे।

राहुल तायल सहज और सरल थे और लेकिन अपने मन के मालिक भी थे। उनका मन न्यायप्रियए शांत और प्रजातांत्रिक था। इसलिए उनका अपना लिया निर्णय भी स्वीकारने योग्य थे। सच्चे और निर्णय के प्रति सहमति जताने में भी हिचकते नहीं थे। यही वजह था कि उनके मित्र उनसे मिलकर बड़े हो जाते थे क्योंकि वे मित्रों को आगे बढ़ाने में लगे रहते थे। वे अपने हितों की परवाह नहीं करते थे। जाति क्षेत्र और महजब से ऊपर उठ कर सोचते थे। मौजूदा कोरॉना विपदा से चिंतित थे खासकर उनके प्रति जो लॉक डाउन के कारण उजड़ गए लोगों के हालत से दुखी थे। उन्होंने बहुत से रंतनतंजउंद परिवारों को अनाज मुहैया करने में भी लोगों की मदद की । वे कभी नगर सुधार मंडल के अध्यक्ष भी रहे। लेकिन पद को लेकर उनके मन में कभी कोई अहंकार नहीं आया। वे हमेशा की तरह सहज सरल बने रहे। उनका असमय इस दुनिया से कूच कर जाना न केवल उनके परिवार की क्षति हैए बल्कि सार्वजनिक क्षति भी है। जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकती। उनकी यादें हर किसी को इंसानियत को जि़ंदा रखने के लिए प्रेरित करती रहेगी ।

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