भिवानी/शशी कौशिक

 सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा का आरोप कि प्रधान नियोक्ताओं की मिलीभगत से ठेके कर्मियों का भारी आर्थिक शोषण हो रहा है। सकसं ने मुख्यमंत्री से इस मामले में तुरन्त हस्तक्षेप कर ठेकाप्रथा समाप्त कर ठेका कर्मचारियों को इस बिचौलिये सिस्टम से निजात दिलाने व सरकार के करोड़ों रूपए प्रतिमाह बचाने की मांग की है। सकसं जिला अध्यक्ष कमेटी की ओर से मा. सुखदर्शन सरोहा, नरेन्द्र दिनोद, सरोज शास्त्री, सूरजभान जटासरा, राजेश लाम्बा ने यह मांग करते हुए बताया कि प्रदेश में करीब 50 हजार कर्मचारी आउटसोर्सिंग नीति पार्ट-1 के तहत विभिन्न विभागों बोर्डो, निगमों, विश्वविद्यालयों, नगर निगमों, परिषदों व पालिकाओं में लगे हुए हैं।

उन्होंने बताया कि बिजली निगमों में तो आउटसोर्सिंग नीति 2015 की धज्जियां उड़ाकर करीब 15 हजार कर्मचारी पार्ट-2 की बजाय पार्ट-1 में स्वीकृत पदों के विरूद्ध ठेकेदारों के माध्यम से लगाए हुए हैं। हरियाणा वेयर हाउस, आई.टी.आई., नगर निगमों, परिषदों व पालिकाओं आदि अनेक विभागों से शिकायतें मिल रही हैं कि ठेकेदार प्रधान नियोक्ता की मिलीभगत से विभाग से तो सरकार द्वारा निर्धारित वेतन प्राप्त कर रहे हैं लेकिन ठेका कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे रहे हैं। विभागों से प्राप्त की गई ई.पी.एफ. व ई.एस.आई. की राशि को भी डकार रहे हैं।

उन्होनें कहा कि जो ठेका कर्मचारी पूरा वेतन व ई.पी.एफ. की स्टेटमैंट तथा ई.एस.आई का कार्ड देेने की मांग करता है तो उसको तुरन्त नौकरी से निकाल दिया जाता है। ठेका खत्म होने और नया ठेका छूटने के बाद  पुराने ठेका कर्मियों से नौकरी पर रखने के नाम पर 20 से 50 हजार तक रिश्वत लेने की शिकायतें लगातार आ रही है। ऐसी शिकायत कोई ओर नहीं हरियाणा वेयर हाउस के चेयरमैन को सत्तापक्ष के विधायकों ने ही की है। ऐसी ही शिकायत आई.टी.आई. के ठेका कर्मियों ने भी विभाग के मंत्री मूलचंद शर्मा से की है।

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