करोना महामारी में ई-सचिवालय पोर्टल का आम जनता को नही मिल रहा लाभ

अब भी सरकारी कार्यालयों में लगा रहता लोगों का जमवाडा
 अखबारों तक सिमिट कर रह गया ई-सचिवालय पोर्टल

चंडीगढ़/कैथल। सुशासन और ई-गवर्नेंस का नारा देने वाली सरकार की ज्यादातर योजनाए फेल होती नजर आ रही है। इसका मुख्य कारण सरकार की अधिकारियों पर पकड़ व अधिकारियों द्वारा योजनाओं को गम्भीरता से न लेना माना जा रहा है। जिसका खामयाजा आम जनता को झेलना पड़ता है। जिससे न केवल सरकार की छवि खराब होती है अपितु भविष्य में चलाई जाने वाली योजनायें मात्र एक मजाक बन कर रह जाती है।

ऐसे ही करोना महामारी के चलते लोगों को अपनी शिकायत लेकर जिला सचिवालय की भीड़-भाड में आने से बचाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा गत जुलाई माह को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-सचिवालय पोर्टल की शुरुआत की थी। जिसमे जिले के डीसी, एसपी तथा अन्य सभी अधिकारीयों मिलने की बजाए अपनी बात रखने के लिए विडियो कोंफ्रेसिंग की योजना चलाई है। जिसके जरीये से सिर्फ जिले के अधिकारी से ही नही अपितु मंत्रियों व सरकार के उच्च अधिकारियों से भी विडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए अपनी शिकायत व बात रख सकते है इसलिए सरकार ने यह आॅनलाइन प्लेटफार्म शुरू किया है ताकि लोगों को सचिवालयों में आए बिना ही अधिकारी यों द्वारा विडिओ कॉफेसिंग के जरिये उनकी बात को सुना जाए और उनकी समस्या का हल किया जाए इस लिए इस योजना का नाम ई-सचिवालय पोर्टल रखा गया है।

अब भी सरकारी कार्यालयों में लगा रहता है लोगों का जमवाडा-

सिर्फ अखबारों तक ई-सचिवालय पोर्टल सिमिट कर रह गया। ई-सचिवालय पोर्टल को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर ने जिला पुलिस अधीक्षक कैथल के कार्यालय से आरटीआई के तहत 19 जुलाई से लेकर अब आम जनता द्वारा उनके कार्यालय को वीडियो कोंफ्रेसिंग के लिए  भेजे गए कुल अनुरोध व उनके निपटान बारे सुचना मांगी थी जिस जवाब में एसपी कार्यालय द्वारा बताया गया की सरकार द्वारा जब से ई-सचिवालय पोर्टल शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक इस कार्यालय को कुल 4 अनुरोध प्राप्त हुए थे जिनमे से किस भी अनुरोध की विडियो कोंफ्रेसिंग पेंडिंग नही है।

जयपाल ने बतया की पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा बताए गये 4 विडियो कोंफ्रेसिंग अनुरोधों में से 3 अनुरोध उसने स्वयं किए थे जिनके अनुरोध नम्बर 512, 825,1250 है जिन पर पुलिस अधीक्षक द्वारा लगभग 2 महीनो तक कोई विडियो कोंफ्रेसिंग नही की। उसके बाद जब उसने इसकी जानकारी आरटीआई से मांगी तो पुलिस विभाग ने आनन-फानन में बिना कोई सुनवाई किए और बिना किसी आपत्ति के उसके तीनों अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। जिसकी सुचना उसको इमेल व एसएमएस के द्वारा मिली थी, जबकि सरकार द्वारा विडियो कोंफ्रेसिंग के अनुरोधों की सुनवाई का समय 24 घंटों में तय करने के आदेश है।

कोई भी विभाग इसको लेकर सचेत नही है इस लिए अब भी सरकारी कार्यालयों में लोगों का अपनी शिकायतों को लेकर जमवाडा लगा रहता है और यह योजना भी सिर्फ अखबारों तक सिमिट कर रह गई। जयपाल रसूलपुर ने बताया की हरियाणा के सीएम द्वारा गत जुलाई महीने में डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-सचिवालय को शुरू करते समय आम जनता की तरफ से अधिकारियों को मिलने के लिए किए गये विडियो कोंफ्रेसिंग के अनुरोधों की सुनवाई का समय 24 घंटों में तय करके अनुरोधकर्ता को इमेल व एसएमएस के द्वारा इसकी कन्फर्मेशन की सुचना भेजना अनिवार्य है जोकि उपरोक्त पुलिस विभाग द्वारा लगभग दो महीनों तक मेरे उक्त तीनों अनुरोधों पर कोई कार्यवाही अमल में नही लाई गई जिस से स्पष्ट जाहिर होता है की जिले के उच्च अधिकारी भी इस पोर्टल को गम्भीरता से नही लते इस लिए यह पोर्टल सिर्फ एक घोषणा मात्र बन कर रह गया जिस से आम जनता को कोई लाभ नही हो रहा।  

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