चंडीगढ़,29 सितंबर। श्रम कानूनों में  बदलाव कर पूंजीपतियों को मजदूरों की छंटनी का अधिकार देने और जनता के खून-पसीने से खड़े किए गए सरकारी विभागों एवं उपक्रमों का निजीकरण करने से गुस्साए कर्मचारियों ने मंगलवार को राष्ट्रीय विरोध दिवस पर प्रदेशभर में आक्रोश प्रदर्शन किए। आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंप्लाइज फैडरेशन के आह्वान पर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बेनर तले आयोजित प्रदर्शनों में प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपायुक्तों को सौंपे गए।

मंगलवार को हुए प्रदर्शनों में सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों, विश्वविद्यालयों, नगर निगमों, पालिकाओं व परिषदों के कर्मचारियों ने भाग लिया। प्रदर्शनों में सर्व सम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव में आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए एनपीएस रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल कर एनपीएस में जमा राशि को जीपीएफ में ट्रांसफर करने,ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मचारियों को सीधा विभागों के पे रोल पर लेकर ठेकेदारों को दी जाने वाली करीब 22 से 24 प्रतिशत को बचाने की मांग की।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने मंगलवार को आयोजित कर्मचारियों के प्रदेशभर में हुए प्रदर्शनों की सफलता का दावा किया है। उन्होंने बर्खास्त पीटीआई के तीन महीने से चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि अगर सरकार की नीयत साफ हो तो  सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी लागू हो सकता है और 1983 बर्खास्त पीटीआई को भी एडजस्ट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पीटीआई की नई भर्ती के लिए 23 अगस्त को ली गई परीक्षा के परिणाम के बावजूद 1053 पीटीआई के पद खाली रह गए हैं और 1612 पद पहले से खाली है। इन रिक्त पदों के विरुद्ध एडजस्ट किया जा सकता है। उन्होंने नई राष्टÑीय शिक्षा नीति में शिक्षाविदों व एसटीएफआई द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार संशोधित करने की मांग की। एक अन्य प्रस्ताव में नई भर्तियों में कर्मचारियों के परिजनों के 5 अंक की कटौती करने के निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए इसे वापस लेने की भी मांग की। प्रदर्शनों में यूपी सरकार द्वारा उत्तरांचल रिजन के बिजली निजीकरण करने की निंदा की और इसके खिलाफ यूपी के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर के चल रहे आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रकट की।

प्रर्दशन की मुख्य मांगे निम्न हैं :-

आंदोलन की प्रमुख मांगों में 1983 बर्खास्त पीटीआई सहित तमाम छंटनी ग्रस्त कर्मियों को वापिस नोकरी पर लेना, ठेकेदारी प्रथा खत्म कर सभी प्रकार के पार्ट टाइम,टर्म अप्वाइंटी,मैस वर्कर, अनुबंध,तदर्थ,ट्रैनिज, दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित करना और नियमित होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करना,महामारी की आड़ में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों एवं विभागों के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने,डीए, एलटीसी व नई भर्तियों पर लगाई गई रोक को हटाने और सभी आरक्षित श्रेणियों के बैकलाग को भरने,एचटेट की पात्रता अवधि नेट की तरह आजीवन करने और जेबीटी की भर्तियां करने, आन लाइन ट्रांसफर पॉलसी रद्द करना,वास्तविक खर्च पर आधारित कैशलेस मेडिकल सुविधा देने,एक्स ग्रेसिया रोजगार पॉलसी में लगाई गई शर्ते खत्म की जाए और पॉलसी बादन्द होने के समय के मृतक कर्मियों के आश्रितों को भी नौकरी देना,धारा 311(2) एबीसी व यूएपीए जैसे काले कानूनों को रद्द करने और भाजपा-जजपा गठबंधन के चुनावी वायदों को लागू करना शामिल है।

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