किसान जागरूकता मेले में खाने के बिल जीएसटी के बिना बनाने पर कटर्स पर 76136 का जुर्माना

किसान मेलों को लेकर आरटीआई के तहत पकड़ा फर्जीवाडा
अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की मांग: जयपाल रसुलपुर

चंडीगढ़/कैथल। जहां किसान सरकार की गलत नीतियों को लेकर पहले ही सड़कों पर उतरा हुआ है वहीं कृषि विभाग भी किसान जागरूक कार्यक्रम पर जम कर फर्जीवाडा कर रहा हैं, ऐसा ही खुलासा एक आईटीआई के तहत सामने आया है जिसमे कृषि विभाग के अधिकारियों ने बिना जीएसटी रजिस्टर फर्म को किसानों को खाना खिलाने का टेंडर दिया गया था।

आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल रसूलपुर ने बताया कि उसने जिला कृषि विभाग से 2015 से 2020 तक किसान जागरूकता मेलों के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी जिसमे बताया गया कि 2018-19 में किसान जागरूकता मेलों में 14 लाख से अधिक का खर्च आया जिनमे से एक मेला कैथल में स्थित हनुमान वाटिका में आयोजित किया गया था। जिसमे किसानों को खाना खिलाने का टेंडर मदान कटर्स को दिया गया था। जिसमे किसानों को 3 लाख से अधिक रुपयों का खाना खिलाया गया और बिना जीएसटी के बिल बनाए गए थे।

ईटीओ कैथल को ईमेल के तहत की थी शिकायत,
जाँच में पाया दोषी तो लगाया 76136 का जुर्माना

जयपाल रसूलपुर ने बताया कि उसने बिन जिसकी के बिलों की शिकायत ईमेल के द्वारा ईटीओ कैथल को की थी जिसकी जांच के दौरान मदान केटर्स वो बिल बुक ही नही दिखा पाई जिस बिल बुक में से वो बिल काटे गए थे और जाँच के दौरान यह बात भी सामने आई कि उक्त फर्म ने जीएसटी नम्बर भी नही लिया हुआ था। इसलिए ईटीओ कैथल ने जीएसटी नियमों के अधीन बिना जीएसटी के बिल बनाने में दोषी पाया और उसके ऊपर 76136 रुपये का जुर्माना लगाया गया है जो फर्म ने सरकारी खजाने में जमा करवा दिए है ।

कृषि विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी हो कार्यवाही

जयपाल का कहना है कि कृषि विभाग के जिन अधिकारीयों ने बिना जीएसटी रजिस्टर फर्म को यह टेंडर दिया है उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी क्योंकि जब किसी सरकारी कार्य का टेंडर दिया जाता है तो सबसे पहले फर्म से उसका जीएसटी नम्बर पूछा जाता है और वित्तीय नियमों के अनुसार ऐसा होना भी चाहिए जो इस केस में ऐसा नही किया गया इस लिए कृषि विभाग के जिस अधिकारी ने यह टेंडर इस फर्म को दिया है वह मिलीभगत से दिया है। बिना जीएसटी के बिल पास किये है इस लिए उनके खिलाफ भी उच्च अधिकारियों को शिकायत की जाएगी ताकि भविष्य में सभी सरकारी कार्यालय के कर्मचारी ऐसा न कर सके।

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