70% बच्चों का व्यवहार खराब हुआ, मोबाइल कम यूज करने को कहने पर गुस्सा होते हैं, 46% की सेल्फ स्टडी छूटी

बंटी शर्मा सुनारिया

देश के करीब 13839 पेरेंट्स ने भाग लिया, हरियाणा के 2361 पेरेंट्स शामिल हुए

कोरोना काल में स्कूल बंद हैं। बच्चे घरों में कैद हैं। इसके चलते उनमें कई तरह के बदलाव आए हैं। इसे जानने के लिए दैनिक भास्कर ने ऑनलाइन सर्वे में 12 सवालों पर पेरेंट्स की राय पूछी। सर्वे के नतीजों को केजी से 12वीं कक्षा तक 4 वर्गों में बांटकर एक्सपर्ट्स से विश्लेषण कराया। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 70% पेरेंट्स ने माना कि लॉकडाउन में बच्चों का बिहेवियर खराब हुआ है

मोबाइल कम यूज करने को कहने पर केजी से दूसरी के सबसे ज्यादा 38.5% बच्चे नाराज हो जाते हैं। 10वीं से 12वीं के सर्वाधिक 18.8% बच्चे गुस्सा होकर छोटे भाई-बहन से झगड़ने लगते हैं। इन्हीं कक्षाओं के अधिकतम 42.5% बच्चों का स्क्रीन टाइम 2 घंटे से बढ़कर 5 घंटे तक हो गया है। ओवरऑल 44.02% पेरेंट्स ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे बोर हो चुके हैं। 36% पेरेंट्स को बच्चों का साल खराब होने का डर सता रहा है।

26.9% पेरेंट्स बोले कि बच्चे सिर्फ यस सर! यस मेम! करने तक सीमित हैं। 46% सेल्फ स्टडी नहीं करते। इनमें सबसे ज्यादा 62.9% बच्चे केजी से दूसरी तक के हैं। वहीं, केजी से दूसरी तक की श्रेणी में अधिकतम 42.1% अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चों को घर में रहकर अच्छा लग रहा है। अभी 10वीं से 12वीं तक के भी 50.2% बच्चे ही स्कूल जाना चाहते हैं। लॉकडाउन में इन कक्षाओं के सर्वाधिक 15.8% बच्चे चिड़चिड़े हो गए हैं। इन कक्षाओं के अधिकतम 20.7% बच्चे आलसी हो गए। विशेषज्ञ कहते हैं कि पढ़ाई के बाद बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी में व्यस्त रखें

36% पेरेंट्स को बच्चों का साल खराब होने का डर

44% पेरेंट्स ने माना कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों का नहीं लग रहा मन

36% को बच्चों का साल खराब होने का डर, इनमें 10वीं से 12वीं के 40.2%

50.2% बच्चे ही अभी स्कूल जाना चाहते हैं, केजी से दूसरी के सिर्फ 28.4% ही तैयार

15.8% लॉकडाउन में चिड़चिड़े हो गए हैं 10वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चे

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