प्रस्तावित झज्जर-कोसली-कनीना-नारनौल रेलमार्ग बनाने की प्रारंभिक स्वीकृति दी अशोक कुमार कौशिक नारनौल। 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद दक्षिणी हरियाणा के विकास को नई दिशा मिली है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने महेंद्रगढ़ जिले को अनेक बड़ी योजनाओं की सौगातों से नवाजा है। भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ने इस जिले के विकास में व्यक्तिगत रूचि लेते हुए वे आजादी के बाद के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने जिन्होंने जिले की अनेकों समस्याओं का समाधान किया। इस सूखे क्षेत्र में जो पश्चिमी यमुना नहर के अंतिम छोर पर स्थित है उसकी दशकों पुरानी नहरी पानी की व्यवस्था में आमूलचूल सुधार करते हुए क्षेत्र को नया मेडिकल कॉलेज, लॉजिस्टिक हब व नेशनल हाईवे का विस्तृत नेटवर्क जैसी बड़ी योजनाएं उनकी व्यक्तिगत रुचि से संभव हो पाई हैं। नांगल चौधरी के विधायक डा. अभय सिंह यादव ने यह विचार प्रकट करते हुए जानकारी दी कि मुख्यमंत्री ने इसी कड़ी में हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन की प्रस्तावित झज्जर-कोसली-कनीना-नारनौल रेलमार्ग को बनाने की परियोजना को प्रारंभिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। रेल इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन ने अपने बोर्ड की मीटिंग में 9 सितंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस प्रस्ताव को पहले ही स्वीकृति दे दी थी। अब मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद इस परियोजना पर सर्वे का काम प्रारंभ होगा। इस परियोजना से संबंधित समस्त बारीकियों का जिसमें भूतल सर्वे तकनीकी सर्वे तथा व्यावसायिक सर्वे इत्यादि सभी कारकों का विस्तृत निरीक्षण के बाद इस परियोजना की कार्यकारी रूपरेखा बनाई जाएगी। तदोपरांत सरकार की संस्तुति के साथ रेलवे मंत्रालय को यह परियोजना अंतिम स्वीकृति के लिए भेजी जाएगी। नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह यादव ने विधानसभा के गत बजट सत्र के दौरान सरकार के समक्ष यह मांग रखी थी तथा तदोपरांत लगातार अधिकारियों के संपर्क में रहे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री स्वयं क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। अत: उन्होंने उनकी इस मांग को स्वीकार कर लिया। उन्होंने बताया कि इस योजना के बाद महेंद्रगढ़ जिले समेत दक्षिण हरियाणा को मिलने वाली रेल सेवाओं में एक महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि नारनौल के पास बसीरपुर, तलोट व घाटासेर में बनने वाला लॉजिस्टिक हब उत्तरी भारत के सभी प्रांतों से रेलमार्ग से सीधे जुड़ जाएगा। इससे दिल्ली मुंबई फ्रेट कॉरिडोर के माध्यम से पश्चिमी बंदरगाहों पर जाने वाला माल उत्तरी भारत के प्रांतों से सीधे नारनौल स्थित लॉजिस्टिक हब पर पहुंच जाएगा। इसी तरह से पश्चिमी बंदरगाहों से आने वाले माल को भी इसी रेलमार्ग द्वारा उत्तरी प्रांतों को दिल्ली को बाईपास करते हुए पहुंचा दिया जाएगा। वास्तव में यह प्रस्तावित मार्ग उत्तर से पश्चिम जाने और आने के लिए दिल्ली के बाईपास मार्ग का काम करेगा। जिस तरह से एनएच 152डी को दिल्ली, बड़ोदरा, मुंबई एक्सप्रेस सडक मार्ग से जोडऩे से उत्तर से पश्चिम को जाने आने वाले वाहनों के लिए सबसे छोटा सड़क मार्ग होगा उसी तरह नारनौल को झज्जर से जोडऩे के बाद यह रेल मार्ग भी उत्तर से पश्चिम को जाने व आने वाले यात्रियों एवं माल के लिए सबसे छोटा रेल मार्ग होगा। यदि भविष्य में इसे भी बढ़ाकर अलवर से जोड़ दिया गया तो यह संपूर्ण एनसीआर का एक महत्वपूर्ण बाईपास रेलमार्ग भी होगा। इसके साथ ही यह रेल मार्ग बनने के बाद नारनौल से चंडीगढ़ भी सीधे रेल मार्ग से जुड़ जाएगा तथा यह हरियाणा के उत्तर-दक्षिण रेल कोरिडोर का काम करेगा। डॉ यादव ने आशा व्यक्त की कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विकास के संकल्प से दक्षिण हरियाणा का इस रेलमार्ग का सपना अवश्य साकार होगा। तदोपरांत सड़क एवं रेल संपर्क की दृष्टि से महेंद्रगढ़ जिला हरियाणा के अग्रणी जिलों की श्रेणी में अपनी उपस्थिति दर्ज करेगा तथा विकास की एक ऐसी तस्वीर उभर कर आएगी कि आने वाली पीढिय़ों के लिए भाजपा का यह शासन चिर स्मरणीय रहेगा। Post navigation हरियाणा मे हो सकता है परिर्वतन , जजपा को सता रहा हुड्डा का डर! फिरौती मांगने के मामले में गैंग लीडर प्रदीप उर्फ अन्ना गिरफ्तार