–किसान आंदोलन को लेकर जेजेपी विधायकों के विरोध के स्वर मुखर  — बागी हुए विधायक तो हो बन सकते हैं कुलदीप जैसे हालात — दक्षिण हरियाणा मैं भी बदल रहे हैं हालात — किसानों के आंदोलन से घबराई खट्टर-दुष्यंत सरकार  — कल रास्ता रोको आंदोलन के दौरान किसानों को कहीं भी नहीं रोकने- टोकने के अफसरशाही को दिए  आदेश — हालात पर नजर रखने के लिए पूरे प्रदेश में वरिष्ठ अधिकारियों की लगाई गई थी ड्यूटी

 अशोक कुमार कौशिक

नारनौल । हरियाणा में अरे किसान विरोध के चलते अब राजनीति में भी उलटफेर होने की संभावना जताई जाने लगी है। कृषि विधेयकों को लेकर हुए किसान आंदोलन के आगाज का अंजाम भले ही कुछ भी हो, फिलहाल इस आंदोलन की शुरुआत ने जेजेपी संस्थापक दुष्यंत चौटाला को धर्म संकट में खड़ा कर दिया है। दुष्यंत को आंदोलनकारी किसानों का साथ देने के लिए मजबूर विधायकों के बागी होने की आशंका सताने लगी है। वहीं उनके भाई दिग्विजय को इस बात का डर है कि अगर दुष्यंत के सरकार से समर्थन वापस लेने की सूरत में प्रदेश में फिर से विधानसभा चुनाव होते हैं तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार बनाने में कामयाब हो सकते हैं।

इधर दक्षिण हरियाणा के राजनेताओं की भूमिका भविष्य में उनके लिए सिरदर्द बन सकती है। किसान आंदोलन यदि चरम तक पहुंच गया तो दक्षिण हरियाणा भी अछूता नहीं रह पाएगा और आज जो सांसद और विधायक इस बिल का समर्थन कर रहे हैं वह जन समर्थन से कहीं हाथ में दो बैठे इसके लक्षण भविष्य में दिखाई पड़  सकते हैं। निर्दलीय और जजपा के विधायकों के बागी तेवर अब सरकार के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। महम के विधायक बलराज कुंडू और जजपा के विधायक जोगीराम सिहाग किसानों के समर्थन में आ गए। कुछ भाजपा के जिला स्तरीय नेता भी किसानों के साथ आए हैं।

किसान आंदोलन शुरू होने के बाद सबसे अधिक दबाव में दुष्यंत चौटाला नजर आ रहे हैं। कृषि अध्यादेशों को लेकर लंबे समय तक चुप्पी साधे रखने वाले दुष्यंत चौटाला ने आखिरकार कृषि विधेयकों को किसान हित में बताते हुए किसानों से आंदोलन नहीं करने की अपील कर दी है। दुष्यंत कांग्रेसी नेताओं पर किसानों को बेवजह भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। कुछ समय पूर्व पीपली में किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर भी दुष्यंत ने चुप्पी साधे रखी थी। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता दुष्यंत चौटाला पर किसान विरोधी होने के आरोप लगा रहे हैं। आंदोलन करने वाले किसान संगठनों के नेता भी दुष्यंत से सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग करने लगे हैं।

दुष्यंत के भाई दिग्विजय चौटाला एक और जहां किसानों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर वह सरकार से समर्थन वापस नहीं लेने की मजबूरी के बारे में भी किसानों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। एक टीवी के साथ बातचीत में दिग्विजय यह साफ कर चुके हैं कि अगर दुष्यंत चौटाला अपने पद से इस्तीफा देकर सरकार से समर्थन वापस लेते हैं, तो प्रदेश में एक बार फिर से चुनाव होने की स्थिति पैदा हो जाएगी। प्रदेश में फिर से चुनाव होते हैं तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार बनाने में कामयाब हो जाएंगे और किसानों का जमकर शोषण करेंगे। दिग्विजय का यह बयान इस बात के संकेत दे रहा है कि जेजेपी को बीजेपी से बड़ा खतरा भूपेंद्र सिंह हुड्डा से है। 

सत्ता के सहारे पूरे प्रदेश में जेजेपी को मजबूती प्रदान करने की दिशा में काम कर रहे दोनों भाइयों की हालत किसान आंदोलन ने पतली कर दी है। किसानों के सहारे चुनाव जीतने वाले जेजेपी के कुछ विधायक अब किसानों का साथ देने के लिए खुलकर मैदान में आने लगे हैं। जोगीराम सिहाग सबसे पहले किसानो के साथ आए| किसानों के दबाव में यह विधायक जेजेपी से बगावत करने पर उतारू हो सकते हैं। ऐसे में दुष्यंत की स्थिति वही हो सकती है जो वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद कुलदीप बिश्नोई की हुई थी। दुष्यंत और उनकी पार्टी जेजेपी का भविष्य अब काफी हद तक किसान आंदोलन के अंतिम परिणाम पर टिका हुआ नजर आ रहा है।

महम के विधायक बलराज कुंडू ने ऐतिहासिक महम चबूतरे पर जिस तरह ताल ठोकी है, वह सरकार के लिए खतरे का एक संकेत  है।  केंद्र सरकार ने भले ही लोकसभा के बाद राजसभा में इसे पारित करवा लिया लेकिन यह विधायक भाजपा के सिर दर्द बन सकता है और इसकी शुरुआत हरियाणा से होती दिखाई दे रही है ।

इधर दक्षिण हरियाणा की राजनीति मैं भाजपा के सिरमौर केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह तथा दक्षिण हरियाणा के मंत्रियों एवं विधायकों का मौन जनता को अखर रहा है। अभी यह लोग खुलकर कुछ नहीं बोल रहे। जब यह जनता के बीच होगे तब  इनको हकीकत का सामना होगा वैसे दक्षिणी हरियाणा की राजनीति उत्तर हरियाणा से अलग ही रहती है । पर किसान आंदोलन की गर्म हवा से ये इलाका अछूता रह पाएगा यह अभी से कहना संभव नहीं। अतीत में देवीलाल के आंदोलन के दौरान दक्षिण हरियाणा ने व्यापक जन समर्थन दिया था। अब दक्षिण हरियाणा में तेजी से इनेलो पैर पसार रही है। अगर चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला अधिक सक्रिय होते हैं तो यह भाजपा, जजपा के साथ दक्षिण हरियाणा के नुमाइंदों के लिए खतरे की घण्टी हो सकती है।

10 सितंबर को कुरुक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर मचे बवाल से सवालों के घेरे में घिरी खट्टर- दुष्यंत सरकार आंदोलन को लेकर प्रेशर में आ गई है। घबराई हुई सरकार ने कल 20 सितंबर को पूरे प्रदेश में किसानों के रास्ता रोको आंदोलन के दौरान अफसरशाही को आदेश जारी किए हैं कि किसानों को कहीं भी न तो रोका जाए और ना टोका जाए और उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने दिया जाए।

 हालात पर नजर रखने के लिए पूरे प्रदेश में सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों की ड्यूटियां लगा दी गई हैं। मुख्यमंत्री खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला दोनों ही इस बात से डर रहे हैं कि आंदोलन और न भड़क जाए। किसानों को शांत करने के लिए जहां एमएसपी और मंडियों को लेकर पॉजिटिव दावे किए जा रहे हैं वही किसानों के समर्थन में बयान भी दिए जा रहे हैं।

गठबंधन सरकार को यह पता चल गया है कि किसानों के साथ अब व्यापारी, आढती और मजदूर भी मैदान में उतर गए हैं जिसके चलते हालात बद से बदतर हो सकते हैं।

 आंदोलन के और ज्यादा भड़कने से जहां सरकार को जवाब देना मुश्किल होगा वही बीजेपी और जेजेपी दोनों को ही भारी सियासी नुकसान हो जाएगा। इस खतरे को भांपते हुए 20 सितंबर के रास्ता रोको आंदोलन को बिना किसी रूकावट के होने देने के लिए अफसरशाही को निर्देश दिए गए हैं। बेहद खराब हालात में ही किसानों के साथ अफसरशाही सख्ताई के साथ पेश आएगी। यह भी कह सकते हैं कि किसान आंदोलन के सामने खट्टर-दुष्यंत सरकार ने घुटने टेक दिए हैं और वह किसी भी सूरत में उनके साथ टकराव मोल लेना नहीं चाहती है।

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