पंचकूला। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि सुधार से सम्बन्धित दो अध्यादेशों को राज्य सभा में जिस जल्दबाजी में पास करके कानून बनाया इससे देश के इतिहास में एक काला अध्याय जुड़ गया है। इसकी कीमत आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को चुकानी पड़ेगी। यह बिल देश के किसानों के हितों के लिए लिए आत्मघाती सिद्ध होगा? और इन के कानून बनने के साथ ही देश के किसानों के लिए काला अध्याय शुरू हो गया है। लोक सभा पहले ही यह बिल पास हो चुका है और राज्य सभा में यह किसान विरोधी बिल हंगामे के बीच बिना मतदान के पास करवा लिए गए। इससे भाजपा का किसान विरोधी दोहरा चरित्र सामने आ गया है। इन बिलों के पास होने से किसानों का निवाला छीन जायेगा और उनकी आत्महत्याओ के मामलों में बेहतहासा बढ़ोतरी की आशंका बढ़ जाएगी।   

चन्द्र मोहन ने कहा कि  देश में आजादी के बाद  ऐसी पहली सरकार आई है, जो गरीबों, मजदूरों  और किसानों की विरोधी होने के साथ-साथ  कारपोरेट घरानों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित है।इन अध्यादेशों के खिलाफ सारे देश में किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। भाजपा सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए देश के किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है।  किसानों के जो छल कपट किया जा रहा है। उसके परिणाम जिस समय सामने आएगें, तब तक धरती पर इन पूंजी पतियों के चंगुल में फंस चुका होगा।

उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह किसानों को गुमराह करके अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं। किसानों की वेदना और पीड़ा का एहसास उन्हें नहीं है। मैं पूछता हूं कि मुख्यमंत्री ने इन कृषि अध्यादेशों को लागू करने की सिफारिश करने से पहले  अपनी आत्मा की आवाज को सुन लेना चाहिए और अगर उनमें हिम्मत और साहस है तो किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए और उनको  साहूकारों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इन अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा जाए।

धरना स्थल पर किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह नया गांव, बहादुर सिंह ककराली, नरेश रावल, सन्त राम बतौड़, सुरेंद्र सिंह ठरवा, अमन भरैली, गुरजीत भरैली, तेग राणा नटवाल, पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह बहबलपुर, रणदीप बरवाला, महेंद्र सिंह बरवाला, देविंदर, सहित सैकड़ों किसान धरना स्थल पर मौजूद रहे।