पंचकूला: पेड़ो पर चढकर कर रहे मोरनी में गॉव के स्कूली बच्चें पढाई

मोरनी के एरिया में नही मिल रहा मोबाइल नेटवर्क
आजादी के 74 साल बाद भी नही मिला मोबाइल का नेटवर्क

रमेश गोयत

चंडीगढ़/पंचकूला, 19 सितम्बर। देश व प्रदेश में दूरसंचार क्रांति के बडेÞ-बडें दावे किए जाते रहे है, मगर यह दावे पंचकूला के मोरनी के गॉव में आते ही हवा-हवाई हो जाते है। आजादी के 74 साल बाद भी मोबाइल का नेटवर्क नही पहुंचा है।

कोराना कॉल के चलते आॅनलाइन पढाई का सरकार ने अभियान चलाया हुआ है। पंचकूला के मोरनी में गांव के बच्चों को आॅनलाइन पढाई करनें में भी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। मोरनी के एरिया में मोबाइल नेटवर्क नही है। ऐसे में स्कूली बच्चें आनलाईन पढाई कैसे करे। गांव के बच्चों को आनलाइन पढाई करने के लिए मोबाइल नेटवर्क के लिए पेड़ो पर या किसी उच्चें पहाड़ पर चढकर नेटवर्क का सहारा लेना पडता है।

कोरोना काल की वजह से प्रभावित हो रही शिक्षा को हालांकि आॅनलाइन स्टडी के जरिए जारी रखने की कोशिश की जा रही है। मगर आॅनलाइन स्टडी की सीमा जहां समाप्त होती है वहां से विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने की दिक्कतें शुरू होती है। पंचकूला के मोरनी क्षेत्र में ऐसे कई गांव है जहां आज भी मोबाइल का नेटवर्क नही पहुंचता है। लिहाजा यहां बच्चे ऊंचे पहाड़ की चोटियों या फिर पेड़ पर चढ़ कर आॅनलाइन स्टडी करते है।

मोरनी ब्लॉक में कुल 83 स्कूल हैं जिनमें करीब साढ़े तीन हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। मोरनी पहाड़ी एरिया हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ व प्रदेश की मिनी राजधानी पंचकूला की नाक के बिल्कुल नीचे है। जहा प्रदेश शिक्षा विभाग का निदेशालय भी है। चंडीगढ़ में ही बैठकर सरकार पूरे प्रदेश की व्यवस्था संभालती है। आॅनलाइन स्टडी के जरिए शिक्षा ग्रहण करना उन विद्यार्थियों के लिए दूर की कौड़ी जैसी है जो विद्यार्थी ऐसे स्थानों पर रहते है जहां आजादी के 74 साल बाद भी मोबाइल का नेटवर्क नही पहुंचा है।

इन हालातों को ओर भी बेहतर ढंग से समझना हो तो पंचकूला जिले के मोरनी क्षेत्र में गांव दापाना का यह मामला है। मोरनी के गांव दापाना में इस पेड़ चढकर बच्चो को पढाई करवाई जा रही है। गांव का एक युवक पेड़ पर चढ़ता है ताकी मोबाइल फोन में ऊंचे पेड़ पर नेटवर्क आ जाए। और वो पेड़ के नीचे बैठे इस गांव के अलग अलग कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल से आॅलाइन भेजा गया स्कूल का काम पढ़ कर सुना सके। ऐसा इसलिए क्योंकि इस गांव में किसी भी मोबाइल फोन का नेटवर्क नही आता। लिहाजा बच्चों को फोन पर शिक्षकों द्वारा भेजा गया काम मोबाइल में से देखने के लिए किसी ऊंचे पेड़ पर या फिर ऊंचे पहाड़ की चोटी पर चढ़ना पड़ता है। और ऐसी पढ़ाई जान पर भी किस कदर भारी पड़ सकती है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है क्योंकि युवक के पेड़ पर से फिसल कर नीचे गिरने का भी डर बना रहता है।

इस क्षेत्र में दपाना गांव का ही ये हाल नहीं है बल्कि इस तरह के और भी सैकड़ों गांव हैं जहां मोबाइल का नेटवर्क नही है। जानकारी के अनुसार मोरनी ब्लॉक में कुल 83 स्कूल हैं जिनमें करीब साढ़े तीन हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। क्षेत्रों में पढ़ने वाले विद्यार्थी यह दुआ भी कर रहे हैं कि उनके घरों तक मोबाइल फोन का नेटवर्क पहुंच जाए। ताकि वो कोरोना काल में अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें।

पंचकूला से विधायक एवं हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि मोरनी के एरिया में 90 प्रतिशत एरिया बन विभाग का है। कम आबादी के कारण मुबाइल कम्पनियों ने मुबाइल टावर नही लगाए है। जिसके कारण यह समस्या आ रही है, फिर भी लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए। जल्दी ही इस समस्या का समाधान करवा दिया जाएगा।

कवरपाल गुर्ज्जर शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार ने पंचकूला के मोरनी में गांव के बच्चों को आॅनलाइन पढाई करनें में नेंटवर्क समसस्या बारे बताया कि इस समस्या बारे मुझें आज ही पता चला है। मैने पंचकूला शिक्षा अधिकारी को रिर्पोट करने के आदेश दिए है। जल्दी ही मोबाइल नेटवर्क समस्या का समाधान करवा दिया जाएगा।

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