चंडीगढ़। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने ट्वीट करके आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने  तीनों अध्यादेशों के तहत किसानों को बड़ी कंपनियों के हाथों शोषण के लिए छोड़ दिया है। केजरीवाल ने गैरभाजपा पार्टियों को एकसाथ राजयसभा में इसका विरोध करने का भी आह्वान किया। केजरीवाल के इस ट्वीट पर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने उन्हें आड़े हाथों लिया और कहा कि केजरीवाल का काम देश मे आग लगाना है। विज ने केजरीवाल को चैलेंज किया कि केजरीवाल बताए कि विधेयक की कौन सी धारा में इसे किसी मल्टीनेशनल कंपनी को बेचा गया है ।
अनिल विज ने केजरीवाल और पूरे विपक्ष को घेरते हुए कहा कि जब भी देश मे कोई अच्छा काम होता है तो ये उसमें विघ्न डालने का काम करते है । जैसे पहले महाषियों के यज्ञ में राक्षस उसमे आ कर हड्डियां डाल देते थे और यह वही राक्षस हैं । विज ने कहा कि लेकिन हिंदुस्तान का किसान सब समझता है और वह यह समझ सकता है कि इस विधेयक से उस पर लगे सभी बंधन आजाद कर दिए गए हैं। वह कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है। विज ने कहा कि कांग्रेस एक नंबर की धोखेबाज पार्टी है। इन्होंने अपने घोषणा पत्र में ये विधेयक लाने की बात कही थी लेकिन ये नहीं लाये अब हम ले आये तो यह शोर मचा रहे हैं ।

गृहमंत्री अनिल विज ने सुखबीर बादल के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें सुखबीर बादल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिर्फ एक ट्वीट इस मामले को खत्म नहीं कर सकता वह किसानों की आवाज उठाते रहेंगे । विज ने कहा कि बादलों की अपनी राजनीति है लेकिन वह यह बताएं कि जिस दिन यह विधेयक जारी हुआ उस दिन उन्होंने त्यागपत्र क्यों नहीं दिया, आज लोकसभा में प्रस्तुत किया तब वह ऐसा कर रहे हैं जबकि बिल में कोई बदलाव नहीं हुआ ।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर विज ने हुड्डा को भी जवाब दिया । विज ने कहा कि हुड्डा नासमझ आदमी है, अभी विधानसभा स्थगित नहीं हुई है। अभी हम सेशन में हैं जो कभी भी बुलाया जा सकता है । विज ने आरोप लगाया कि हुड्डा साहब वैसे तो सेशन बुलाने की बात करते हैं लेकिन सत्र से उठकर भाग जाते हैं और वहां ये बात नहीं करते, न कभी लोगों के मुद्दे उठाते हैं। वहां इन्हें बोलना नहीं आता और इनका गला चोक हो जाता है। ये केवल लोगों को भड़काने का काम करते हैं, क्योंकि ये लोगों के हक में नहीं है क्योंकि अगर ये लोगों के हक में होते तो आजादी के 70 साल बाद भी किसानों की हालत ऐसी नहीं होती । आज 70 साल बाद किसी सरकार ने किसानों को उनका हक दिया है ।

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