–धनंजय कुमार कभी-कभी किसी का नाराज होना भी समझ से बाहर हो जाता है। फिर उसका समर्थन और विरोध सामने वाले की पोजीशन देखकर किया जाता है। ऐसा ही कुछ बबुआ और गुड्डी के मामले में हुआ है। असल में बबुआ ने कहा था कि ड्रग्स की तस्करी और युवाओं द्वारा इसका सेवन करना हमारे देश के सामने नई चुनौती बनकर सामने आया है। युवाओं को भटकाने के लिए चीन और पाकिस्तान साजिश के तहत पंजाब और नेपाल के जरिए यह ड्रग्स पूरे देश में फैलाता है। अब इसमें भला फिल्म इण्डस्ट्री को बदनाम करने की कौनसी बात हो गई यह समझ से परे है। एक जमाने में गुड्डी भी मेरी पसंदीदा अभिनेत्रियों में से हुआ करती थीं। गुड्डी का अभिनय अभिमान में भी बड़ा जबर्दस्त था और ‘शोले‘ के तो क्या कहने, लाजवाब। भला उसे कौन भुला सकता है? किसी ने सही कहा है कि यह अभिनेता, अभिनेत्री किसी बुद्धिजीवी की लिखी स्क्रिप्ट एवं किसी के निर्देशन पर ही अभिनय करते हैं। भोली जनता सिर्फ उस छवि का सम्मान कर अपने पलक-पावडे़ बिछा देती है। यानि रील को भी रियल में देखने लगते हैं, जिसका वह किरदार निभा रहे होते हैं। इनके एक-एक संवाद पर वाह-वाह करते नहीं थकते। जब वही लोगों को हम असल जिंदगी में देखते हैं तो पता चलता है इनकी असली शख्सियत क्या हैं। दरअसल, गुड्डी ने अपनी अंग्रेजी की स्पीच में अंत में हिंदी की गलत लोकोक्ति का प्रयोग कर दिया। वह भी इतनी बुरी तरह से किया जो किसी भी इंसान को सहन नहीं हो सकता। वे कहती हैं, ‘जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं।‘ ये गलत ही नहीं, बिल्कुल गलत है। यह लोकोक्ति उस समय प्रयोग की जाती है, जब कोई व्यक्ति उनके घर का नौकर हो, उन्हीं का दिया खा रहा हो और फिर उनके साथ विश्वासघात भी किए जा रहा हो। लेकिन यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं था। हर कलाकार हर नेता संसद में भी और बॉलीवुड में भी अपनी मेहनत का ही खा रहा है। न इनकी थाली का प्रयोग कर रहा है और न ही इनका दिया खाना खा रहा है, तो छेद करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। असल में इस लोकोक्ति की जगह यदि वे यह बोलतीं, ‘जिस डाली पर बैठे हो, उसी को काट रहे हो‘ फिर भी शायद लोग पचा लेते। लेकिन बबुआ ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था। चंद लोगों की वजह से पूरी इंडस्ट्री को बदनाम नहीं किया जा सकता। यह बात बिल्कुल सही बोली परंतु फिर इस मामले की तह तक जाने के लिए सरकार के मार्ग मे रुकावट क्यों होनी चाहिए? क्या उन चंद लोगों को बॉलीवुड से निकालकर ड्रग्स की सफाई नहीं होनी चाहिए? क्या गुड्डी इसके समर्थन में नहीं है। लगता तो ऐसा ही है। जिससे आगे आने वाले नए कलाकारों को एक साफ सुथरा वातावरण बॉलीवुड में मिल सके। जिसमें ड्रग्स पार्टी पर रोक लग जाए और कोई भी नया बच्चा बॉलीवुड में आते ही संघर्ष करते-करते अवसाद की अवस्था में जाकर ड्रग के चक्कर में न पड़े। जिससे फिर कोई ऐसा दिल दहला देने वाला हत्या या आत्महत्या जो भी हो। इस तरह का केस कभी भविष्य में न हो। फिर किसी क्वीन की मेहनत का आशियाना न तोड़ा जाये। जिससे भविष्य में एक बार फिर अच्छी फिल्मों के जरिये मनोरंजन की दुनिया की फसल लहलहा उठे। ये बात समझ में ही नहीं आई कि गुड्डी इतनी नाराज क्यों हो गई? बबुआ ने तो एक बार फिर कहा कि कोई माँ-बाप नहीं चाहता कि उनका बेटा नशेड़ी हो, मानसिक तनाव से गुजरे। उन्होंने गुड्डी के थाली वाले बयान पर भी कहा कि जिस थाली में ड्रग्स जैसी गंदगी रहेगी, वह उसकी सफाई करेंगे। उस थाली में छेद करूंगा। आखिर बॉलीवुड के सफाई अभियान के लिए ये भी जरूरी ही है। लगता हैं गुड्डी बात पूरी तरह से समझ नहीं पाई और अपनी प्रतिक्रिया उन्होंने जल्दबाजी में दे दी। बेहतर तो यही होता कि इस सफाई अभियान की वे प्रमुख होती। Post navigation खेल मंत्रालय भारत सरकार व भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (आइओए) के प्रयास हुए सफल मीडिया क्या करे , आईपीएल , किसान और रिया,,,किस ओर चले ?